बैकुण्ठपुर@क्या राजस्व अधिकारियों को कार्यवाही का नहीं भय और भू-माफियों को राजस्व अधिकारी का नहीं भय?

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क्या भू-माफिया की गिरफ्त में कोरिया का राजस्व अमला,फाईलों से गायब हो जाते हैं दस्तावेज?
भू-अभिलेखों में हेराफेरी कर हड़प ली ग्रामीण की जमीन भू-माफिया के विरूद्ध कार्यवाही की मांग कलेक्टर से
भू-माफियाओं के आतंक से थरथरा रहा कोरिया,भु-माफियाओं को राजस्व अधिकारी का नहीं भय
भू-माफिया के गिरफ्त में है राजस्व अधिकारी जमीन के मामले कार्यालयों में काफी संख्या में लंबित
कार्यालय में फाइल उन्हीं के बढ़ते हैं जिनके पैसे में वजन होता है बाकी गरीबों की जमीन उस वजन में छिन जाती है…

रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर 5 मार्च 2023 (घटती-घटना)। कोरिया जिले में भू-माफियाओं का आतंक इतना है की इनके आतंक के गिरफ्त में कहीं न कहीं अधिकारी भी दिख रहे, राजस्व अधिकारी को उन पर होने वाले कार्यवाही का भय नहीं है तो वही भू-माफिया को राजस्व अधिकारी का भय नहीं है ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि राजस्व अधिकारी अपनी सारी सीमाएं लांघ चुके हैं उन्हें बिल्कुल भी इस बात का भय नहीं है कि यदि वह गलत करेंगे तो उन पर भी कार्यवाही करने को कोई बैठा है और वह धड़ल्ले से गलत पर गलत किए जा रहे हैं, पर वही राजस्व अधिकारी के आदेशों को भू-माफिया भी पालन नहीं कर रहे हैं यदि राजस्व अधिकारी किसी मामले में रोक लगाते भी हैं तो भू-माफिया उस आदेश को नहीं मानते और धड़ल्ले से निर्माण करते रहते हैं कुछ ऐसा ही मामला कोरिया जिले का है जहां पर राजस्व अधिकारी ने निर्माण पर स्थगन दिया पर उस स्थागन का कोई मतलब नहीं है क्योंकि निर्माण हो ही रहा है और पीडि़त थाने और तहसील के चक्कर लगा रहा है और छुट्टी का मौका पाकर भू-माफिया निर्माण पर निर्माण कर रहे हैं अब सवाल यह उठता है कि जब निर्माण पूरा कर लेंगे तो फिर पीडि़त को न्याय मिलेगा कैसे? थाने के दरवाजे पर पीडि़त पहुंचता है तो थाने के संबंधित अधिकारी यह कहकर पला झाड़ लेते है कि आप जाइए राजस्व अधिकारी को बोलिए वह यदि हमें बोलेंगे तब हम वहां जाएंगे अब ऐसी विडंबना के बीच पीडि़त न्याय पाने के लिए यहां भटकता रह जाता है और भूमाफिया अपना निर्माण पूरा कर जमीन को अपने कब्जे में कर लेते हैं।
ज्ञात हो की कोरिया जिला में विगत कुछ वर्षों से भू माफिया की सक्रियता लगातार बढ़ रही है। वर्तमान स्थिति में जिले का राजस्व अमला भू-माफिया की गिरफ्त में हैं, कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी । ऐसे सैकड़ों प्रकरणों में पीडि़त पक्षकार भू माफिया का शिकार होकर परेशान हो रहे हैं। लंबी कानूनी लड़ाई गांव का किसान नहीं लड़ पाता और अनेक अवसरों पर तथाकथित भू माफिया अपने दलालों के माध्यम से भोले-भाले किसानों की जमीन को औने-पौने दाम में हथियाने में कामयाब हो जाते हैं। कई प्रकरणों की शिकायत मुख्यमंत्री कमिश्नर, राजस्व मंत्री, कलेक्टर आदि से की जाती है लेकिन परिणाम कुछ भी न निकलने से भू माफिया के हौसले बुलन्द होते जा रहे हैं। बैकुण्ठपुर जिला मुख्यालय व आसपास जमीन संबंधी विवादों में राजस्व अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका इन दिनों शहर में चरचा का विषय बनी हुई है भूमि स्वामी सुरेश चंद्र बड़ेरिया ने बताया है कि, उनकी पैतृक भूमि पर भू-माफिया की नजर विगत दो-तीन वर्षों से लगी है जिन्हें संभवतः प्रशासनिक व अन्य संरक्षण भी प्राप्त है उनहोनें बताया की उनकी दादा स्व0 देवी दयाल पिता रामनारायण ने मंगलसाय राजवाड़े पिता भिखारी राजवाड़े से ख.नं. 1223, 0.0190 हे. जमीन क्रय की थी। विगत 60 वर्षों से अधिक से हमारा कब्जा है और अहाता बनाकर भूमि को 60 वर्षों से अपना आधिपत्य बनाए रखा है। ढाई तीन वर्षों से महुआपारा के मंगला पनिका पिता गोलई के वंशज महादेव पनिका द्वारा भू माफिया के माध्यम से दस्तावेज में हेराफेरी कर अपना दावा पेश किया है। 55-56 वर्षों से उसे इस बात की सुध नहीं थी कि, उसकी उक्त भूमि है उसने दावे में अपने आपको मंगलसाय रजवार पिता भिखारी रजवार का उत्तराधिकारी बताया है सवाल उठता है कि, मंगलसाय रजवार का उत्तसराधिकारी महादेव पनिका या अन्य कैसे हो सकते हैं? राजस्व दस्तावेजों में कांट छांट ओवर राइटिंग आदि कर 2-3 वर्षों से भूमि हड़पने का प्रयास भू माफिया द्वारा किया जा रहा है। राजस्व दस्तावेजों में मंगलसाय रजवार से मिलता-जुलता नाम मंगलसाय पनिका, मंगलसाय उर्फ मंगला पनिका और मंगल पनिका अलग-अलग दस्तावेजों में लिखा गया है। राजस्व दस्तावेजों में एक 2-3 प्रकार से कैसे लिखा जा सकता है? इस संबंध में कलेक्टर कोरिया, मुख्यमंत्री व अन्य उच्चाधिकारियों व मंत्रियों को शिकायत की गई लेकिन इसकी जांच भी भू-माफिया प्रभावित कर या तो पेडिंग करवा देते हैं या फिर दस्तावेज की गायब कर देते हैं। इस बात की भी शिकायत की गई है जिसकी जांच की औपचारिकता चल रही है।
दस्तावेज गायब हो जाते हैं…
इस संबंध में कई पक्षकारों से चर्चा की गई तो बताया जाता है कि, उनके प्रकरणों से अनेक जरूरी दस्तावेज गायब कर दिये जाते हैं। भू-माफिया का नेटवर्क इतना तगड़ा है कि, उच्चाधिकारियों को शिकायत करने के बाद भी संबंधित जनों पर कोई कार्यवाही नहीं हो पाती है । मुख्यमंत्री के निर्देश पर भी कार्यवाही नहीं होती है। कुछ पक्षकारों ने बताया कि, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर भी कई प्रकरणों की जांच तो की गई लेकिन मात्र औपचारिकता ही निभाई गई । ऐसे ही कई मामले खरवत, पटना, बैकुण्ठपुर आदि के बताए गए है। एक ऐसा ही मामला खरवत हल्के का बताया गया है जिसमें 60 वर्ष पुरानी जमीन के लिए भू माफिया द्वारा राजस्व अभिलेखों में काट-छांट, ओवर राइटिंग आदि की गई है जिसकी जांच मुख्यमंत्री कार्यालय से आई थी। इस जांच के 06 माह से ज्यादा बीत चुके हैं लेकिन अभी तक किसी प्रकार की कार्यवाही होने या जांच होने की जानकारी संबंधित पक्षकार को नहीं दी गई है। जो अनेक प्रकार की आशंकाओं को जन्म दे रहा है।
नकल देने में कोताही
तहसील कार्यालय में अनेक पक्षकार कई माह से भटक रहे हैं और उन्हें उनके द्वारा आवेदन किए गए राजस्व अभिलेखों की नकल नहीं मिल पा रही है । ज्यादा प्रकरण अनुविभागीय कार्यालय के हैं। नकल देने वाले स्टाफ का कहना है कि, उक्त कार्यालय द्वारा फाईल ही नहीं जाती ऐसे में नकल संबंधित पक्षकार को कैसे दी जा सकती है?
पीडि़त पक्षकार को अंधेरे में रखा जाता है
राजस्व विभाग में कई पीडि़त भू-स्वामी इतने परेशान होते हैं कि, उन्हें पेशी तक की तारीख सही न बताकर अंधेरे में है। कई प्रकरणों में 6-6, 7-7 माह में भी फैसले की या कार्यवाही की जानकारी पीडि़त भूस्वामी को नहीं दी जाती और प्रकरण को लम्बा लटकाने और एक तरफा करने में इस प्रकार के षडयंत्र किए जाते है। बैकुण्ठपुर के कुछ जागरूक नागरिकों ने इस संबंध में अभियान छेड़ने की योजना बना रहे हैं ताकि राजस्व विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार कमीशनखोरी दलाली आदि पर अंकुश लग सके ।
केनापारा का नक्शा गायब
बैकुण्ठपुर के आसपास के ग्रामों में भी राजस्व दस्तावेजों की चोरी, हेराफेरी के मामले भी ज्यादा प्रकाश में आने लगे हैं । ग्राम पंचायत केनापारा के जयलाल राजवाड़े ने बताया है कि, उनके हल्के का पुराना मिसल नक्शा, चोरी/ गायब हो गया है वे कई माह से अपनी भूमि का पुराना मिसल रिकार्ड निकलने के लिए आवेदन दिए हुए है लेकिन बताया जाता है कि, केनापारा का पुराना मिसल नक्शा गायब हो गया है । आनलाईन आवेदन में भी यह बताया जाता है कि केनापारा हल्के का पुराना मिसल नक्शा रिकार्ड में दर्ज नहीं हैं । जयलाल ने बताया कि, इस संबंध में जब उसने संबंधित राजस्व स्टाफ से आवेदन किया जो उनका कहना था कि, अंबिकापुर से ही उक्त नक्शा मिल सकने की संभावना है। क्या स्थानीय राजस्व विभाग की यह जिम्मेदारी नहीं है कि, वह अंबिकापुर से पुराना रिकार्ड लाकर केनापारा के रिकार्ड को दुरूस्त करें?
पीडि़त पक्ष को महीनों नहीं मिलती दस्तावेज की नकल
राजस्व अमले में भर्राशाही और मनमानी का यह आलम है कि, तहसील कार्यालय में स्थित नकल शाखा से नकल लेने में कई बार पीडि़त पक्षकार को महीनों लग जाते हैं । इस संबंध में एक पक्षकार दिनेश चन्द्र बताया कि, उनके द्वारा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कार्यालय से राजस्व दस्तावेज की नकल हेतु आवेदन दिनांक 07.02.2023 को किया गया था और नकल देने के लिए 17.02.2023 की तिथि निर्धारित की गई थी। यह उल्लेखनीय है कि, तहसील कार्यालय से कुछ ही कदमों पर अनुविभागीय अधिकारी राजस्व का कार्यालय है उक्त नकल ढाई सप्ताह बीत जाने के बावजूद भी नकल शाखा के संबंधित बड़े बाबू नहीं दे रहे हैं। उनके द्वारा बतलाया गया कि, पत्र भेज कर आवेदित दस्तावेज की फाईल मंगाई गई है जो अभी तक उक्त कार्यालय से वहां के स्टाफ मोहन बाबू व अजय बाबू द्वारा नहीं भेजी जा रही है। इस प्रकार के कई प्रकरण है और आए दिन नकल शाखा में पक्षकारों और विभाग के अमले के बीच कहा सुनी होते रहती है । इसी संदर्भ में कचहरीपारा निवासी राजाराम शिवहरे ने भी बताया कि, उसने लगभग 02 माह पूर्व न्यायालय प्रकरण के लिए दस्तावेज प्रदाय हेतु आवेदन किया था लेकिन नकल शाखा द्वारा चाही गई नकल न दिए जाकर तरह-तरह के बहाने बताए जाते हैं।
चेर हल्का के ग्रामीणों ने कलेक्टर से शिकायत कर भू माफिया के विरूद्ध आपराधिक
प्रकरण दर्ज करने की मांग की

चेर हल्का के अनेक ग्रामीणों ने कलेक्टर से शिकायत कर भू-माफिया के विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज कर हेराफेरी से बनाए गए पट्टे को निरस्त करने की मांग की है। ग्रामीणों ने कलेक्टर कार्यालय जाकर कई ग्रामीणों के हस्ताक्षरित शिकायत पत्र कलेक्टर को सौंपा शिकायत पत्र में जिला मुख्यालय से ग्राम-चेर के दर्जनों ग्रामीणों ने कलेक्टर के समक्ष भूमाफियाओं के द्वारा राजस्व विभाग से मिलकर राजस्व रिकार्ड में हेराफेरी करने वालों के विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज कर कार्यवाही किए जाने एवं पट्टा निरस्त किए जाने की मांग की है। कलेक्टर को दिए शिकायत में ग्रामीणों ने उल्लेख किया है कि, वर्ष 1946-47 में ग्राम चेर के नक्शे में खसरा नंबर 255 छोटे बड़े झाड़ मद की भूमि दर्ज थी। उक्त खसरा नंबर से 0.405 हे0 भूमि का एक योजना के अंतर्गत वर्ष 1971-72 में बाघराय धरकार को शासकीय पट्टेदार के रूप में पट्टा प्रदान किया गया था। जिसकी मृत्यु के उपरांत उसके उत्तराधिकारी हरिराम एवं कृष्णा नायक के नाम पर राजस्व रिकार्ड दर्ज हुआ। बाघराय को जो पट्टा मिला था उसमें कच्चा रास्ता में कृषि प्रयोजन हेतु था। वहीं मुख्य सडक से लगी हुई खसरा नबर 259 आरटीओ कार्यालय हेतु चिन्हाकिंत किया गया था लेकिन वर्तमान में राजस्व अधिकारियों के द्वारा भूमि स्वामी का खसरा नंबर 255/2 रकबा बढ़ाकर 0.607 हे0 का नक्शा 259 के सामने नक्शे में दर्शा दिया गया है।


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