- राजस्व मामलो के निपटारे में रूचि नही ले रहे अधिकारी
- कलेक्टर ने बैकुंठपुर व पटना तहसीलदार को जारी किया नोटिस
- क्या पत्नी एसडीएम इसलिए पटना तहसीलदार काम में नही लेते रूचि?
- बैकुंठपुर तहसीलदार भी प्रकरणों के निराकरण को छोड़ अन्य कार्यो में मस्त
- राजस्व विभागों में अंगद के पैर की तरह जमे हैं बाबू, इससे भी पड़ रहा फर्क
–रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर,02 मार्च 2023 (घटती-घटना)। शासन प्रशासन के लाख कोशिश के बावजूद राजस्व अधिकारी मामलो के निपटारे में रूचि नही ले रहे हैं, पक्षकार अपने काम के लिए राजस्व कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन राजस्व अधिकारी तारिख पर तारिख की चाल चल रहे हैं कभी व्हीआईपी का आगमन तो कभी अन्य कोई आयोजन और नही तो कोई न कोई मीटिंग के नाम पर राजस्व अधिकारी पक्षकारों को परेशान करने में कोई कमी नही छोड़ते, अधिकारी समय पर कार्यालय पहुंच जाए यह तो कभी होता ही नही, विडंबना और भी है कि राजस्व विभागो के कार्यालयों में अधिकारी से ज्यादा बाबूओं का बोलबाला है, वहां पदस्थ बाबू अपने हिसाब से काम निपटाते हैं जिससे कि स्थिति दयनीय हो गई है, हां इतना जरूर है कि पहुंच वाले व्यक्ति और जहां कोई अन्य आर्थिक लाभ दिखलाई देता है उस मामले का निपटारा समय सीमा से पहले भी कर दिया जाता है, सूत्र बतलाते हैं कि राजस्व मामलो के निराकरण में कोरिया जिला की स्थिति इतनी दयनीय है कि प्रदेश भर में अंतिम क्रम में इसकी गिनती हो रही है।
बैकुंठपुर व पटना तहसीलदार को नोटिस जारी
गत मंगलवार को संपन्न हुई टीएम मीटिंग के दौरान ही कलेक्टर कोरिया विनय कुमार लंगेह ने राजस्व प्रकरणों की भी समीक्षा की जिसके बाद संतोषजनक प्रगति न पाये जाने पर कलेक्टर ने बैकुंठपुर तहसीलदार मनहरण सिहं राठिया और पटना प्रभारी तहसीलदार समीर शर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। दोनो अधिकारियों को जारी नोटिस में कहा गया है कि राजस्व अधिकारियों की समीक्षा बैठक में विभिन्न बिंदुओ की समीक्षा की गई, जिसमें पटना व बैकुंठपुर तहसील की समीक्षा में पाया गया कि राजस्व प्रकरणों के निराकरण, जाति प्रमाण पत्र, नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन के प्रकरणों के निराकरण की स्थिति अच्छी नही है। विशेषकर पंजीयन कार्यालय से भूमि अंतरण की सूचना पर अभिलेख अद्यतन करने की स्थिति में खाता विभाजन एवं नामांतरण के प्रकरणों की समीक्षा में पाया गया कि बैकुंठपुर व पटना तहसील मे प्रकरणों के निराकरण की स्थिति संतोषजनक नही है,जबकि प्रत्येक समय सीमा की बैठक तथा राजस्व अधिकारियों की बैठक में राजस्व प्रकरणों के निराकरण में विशेष रूचि लेकर प्रकरणों के निराकरण हेतु समय समय पर निर्देशित किया गया है,उपरोक्त में स्पष्ट है कि आप विभागीय कार्यों के संपादन में समुचित रूचि नही ले रहे हैं, फलरूवरूप जिले की प्रगति प्रभावित हो रही है। यह कृत्य छग सिविल सेवा आचरण नियम के प्रतिकुल होकर अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है। उपरोक्तानुसार कृत्य के लिए क्यों न आपके विरूद्व अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाये। नोटिस जारी करते हुए दोनो अधिकारियों को अपना स्पष्टीकरण 3 दिवस के भीतर उपस्थित होकर प्रस्तुत करने को कहा गया है,साथ ही अपनी कार्यशैली में आवश्यक सुधार लाते हुए प्रकरणों के निराकरण तथा सौपे गए अन्य कार्यो में प्रगति लाने की हिदायत दी गई और समय पर जवाब नही देने की स्थिति में एकपक्षीय कार्यवाही की बात कही गई है।
कब सुधरेगी स्थिति
ऐसा नही है राजस्व कार्यालयों की स्थिति अभी दयनीय है विभाग में पक्षकारों को परेशान करने की एक परंपरा सी बन गई है, कोई भी जमीन स्वामी यहां से कम समय में न्याय की उम्मीद तो बिल्कुल नही कर सकता। यह सर्वविदित है कि विभाग में दलालों का ज्यादा बोलबाला है, अधिकारी कर्मचारियों की पदस्थापना से लेकर हर काम में नेताओं से लेकर दलालों का हस्तक्षेप रहता है। विभाग में पदस्थ कर्मचारी और खासकर बाबू व पटवारी जमीन दलाली में महारथ हासिल किए हुए हैं, खबर प्रकाशन के बाद भी उनमे भय तो दूर सच्चाई लिखने वाले पत्रकार को भी वे निशाने पर रखते हैं और मौका मिलते ही या फर्जी रिपोर्ट कराने में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कर्मचारियों से लेकर अधिकारी तक अपना मूल काम छोड़कर अन्य कार्यो मे ज्यादा रूचि रखते हैं कलेक्टर द्वारा अधिकारियों को जारी नोटिस में इस बात की पुष्टि खुद ही हो रही है। इस विभाग की स्थिति कब सुधरेगी यह सोचनीय विषय है।
पत्नी के अनुविभाग में पदस्थ हैं तहसीलदार तो डर किस बात का
बैकुंठपुर एसडीएम के पति पटना तहसीलदार हैं एक ही विभाग और एक ही अनुविभाग में पदस्थ होने के कारण इन दिनों पति पत्नी अधिकारी का हस्तक्षेप विभाग में कुछ ज्यादा ही बढ गया है। पूर्व में पटना में भीष्म पटेल नायब तहसीलदार की पदस्थापना थी उनका कार्य व्यवहार भी अच्छा था लेकिन एसडीएम ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए उनको यहां से हटवाकर अपने पति को प्रभार दिलवा दिया। एक ही अनुविभाग में पति एसडीएम हैं तो पति तहसीलदार सो यहां यही कहावत चरितार्थ होती है कि जब सैंया भय कोतवाल तो डर काहे का हलांकि यहां कोतवाल पत्नी हैं तो फिर पति को डर किस बात की लेकिन यह बताना भी जरूरी है कि कोतवाल के ऊपर भी साहब हैं और उनकी नजर सब पर बनी हुई है। ज्ञात हो तहसीलों के साथ ही अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कार्यालय बैकुंठपुर की स्थिति भी काफी बुरी है जहां पक्षकारों को हद से ज्यादा मानसिक व आर्थिक रूप से परेशान किया जा रहा है, पक्षकार यदि आर्थिक रूप से संपन्न है तो उसे अपना काम कराने के लिए ज्यादा परेशानी नही होती। सरकार और आम जनता के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी राजस्व विभाग ही होती है, लेकिन यह विभाग ही आम जन की परेशानी का सबब बन चुका है।
अंगद के पैर की तरह जमे हैं बाबू
राजस्व विभाग के इन कार्यालयों में बाबूओं का ज्यादा बोलबाला है, कुछ बाबू तो ऐसे प्रभावशाली हैं कि बाकी का स्टाफ भी अपने मनमुताबिक पदस्थ कराते हुये बैठे हुये हैं, बाबूओ की राजनैतिक पकड़ के कारण अधिकारी भी हाथ पर हाथ धरे बैठे होते हैं, कार्यालयों को बाबू ही अपने तरीके से संचालित कर रहे हैं अधिकारियों को अपने जाल मे फंसाकर वे मनमुताबिक कार्य भी करते हैं। अंगद के पैर की तरह जमे कुछ बाबू से विभागीय अन्य अमले भी परेशान रहते हैं लेकिन वे कुछ कर नही पाते। जिला मुख्यालय के कार्यालय में ही कुछ बाबू लंबे समय से जमे हैं और उनके हौसले काफी बुलंद हैं लेकिन उन्हे कार्यालयों से कभी अन्यत्र नही किया जाता, बाबूओं के द्वारा ही दलालों को पूरा संरक्षण प्रदान किया जा रहा है जिससे कि व्यवस्था एकदम चरमराई हुई है। यह भी उल्लेखनीय है कि राजस्व प्रकरणों का निराकरण अकेले एक अधिकारी नही कर सकता उसमें कार्यालयीन बाबू की भी अहम भूमिका होती है, उसके द्वारा भी प्रकरणों में काफी हेरफेर किया जाता है, जिससे कि स्थिति खराब है। कलेक्टर कोरिया को इन गंभीर मुद्वों पर भी उचित संज्ञान लेने की आवश्यकता है जिससे कि आम जन का विश्वास प्रशासन के प्रति बना रहे ।