- जनता ने सरकार चुना था कि उनके राह आसान होगी पर यहां तो सरकार अपने नेता के राहों में फूल बिछा रहे?
- जनता त्राहीमाम-त्राहीमाम कर रही लेकिन सुनेगा कौन?
- क्या रास्ते में फूल अपने नेता को खुश करने के लिए बिछाया आया?
–रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर,27 फरवरी 2023 (घटती-घटना)। राजनीतिक प्रवेश किस तरीके से बदल रहा है इस बात का अंदाजा इस समय की राजनीति से लगाया जा सकता है क्या भाजपा क्या कांग्रेस सभी एक ही सिक्के के दो पहलू के समान काम कर रहे हैं, भाजपा कि केंद्र सरकार के खिलाफ तो आलोचनाएं जारी है पर वही कांग्रेस का 85 85वां अधिवेशन भी आलोचकों के घेरे में आ गया है और यह आलोचना सिर्फ इसलिए हो रही है क्योंकि कांग्रेस ने अपने नेता के आगमन पर गुलाब के फूल सड़कों पर बिछा दिए जिसे लेकर कई तरह के बात सोशल मीडिया पर हो रही है, उसमें से एक बात यह भी है बहारों फूल बिछाओ हमारा नेता आया है? यह हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि कांग्रेस के 85 वां अधिवेशन में नेता के आगमन पर कुछ इस तरह का दृश्य देखने को मिला।
सरकार आती जाती है, सरकारों का क्या है, जनता वहीं रह जाती है। आम जनता की चाहत, उनकी मांग, उनके साथ किये गए वायदे सब धरे के धरे रह जाते हैं। जिस देश में एक कवि पुष्प की अभिलाषा लिखता हो और यह कह देता है कि मुझे मंदिर या राजनेताओं के गले में नहीं बल्कि वीरों की शहादत के रास्ते पर, उनके पार्थिव शरीर पर अर्पित किया जाये। जिस देश में एक प्रधानमंत्री ऐसा भी हुआ जिसने गुलाब को अपने हृदय से लगाये रखा और बच्चों को जो समय-दर-समय वह गुलाब अपनी पॉकेट से निकाल कर पकड़ा देता था। उसी देश में उसी प्रधानमंत्री के पार्टी के नेताओं को खुश करने गुलाब सड़कों पर बिछा दिए जाते हैं और उस सड़क पर उनके नेता पैदल नहीं गुलाब को गाडि़यों से रौंदते हुए पार हो जाते हैं। सवाल यह है कि चाटूकारिता की इस भयानक राजनीति से प्रदेश को क्या मिला या क्या मिल रहा है?
भाजपा नेता अनिल जयसवाल ने कहा की सवाल सिर्फ गुलाब सड़कों पर बिछा देने का नहीं है, सवाल है कांग्रेस नेताओं की निर्लज्जता का है, सवाल है ऊपर में बैठे पार्टी हुक्मरानों के बेशर्मी का जिस राज्य में पार्टी का 85 वां अधिवेशन कराने लालायित हैं, उसी राज्य में उन्हीं की सरकार में भ्रष्टाचार ने अब तक कि अपनी सारी सीमाएँ लांघ दी लेकिन न तो पार्टी के किसी बड़े नेता का बयान आता है और न ही इस पर कोई सफाई। जो मुख्यमंत्री अपने नजदीकी सचिव के गिरफ़्तार होने पर बयानबाजी कर रहे थे, हर लड़ाई लड़ने का दावा कर रहे थे वे भी अब मौन हैं। उनके नजदीकी सचिव को जमानत तक नहीं मिल पा रही है। यदि कांग्रेस की भाषा में यह मान भी लिया जाये कि भाजपा के उच्च स्तर के इशारे पर, केंद्र सरकार के इशारे पर यह कार्यवाही हुई तो फिर कांग्रेस उन भ्रष्टाचार पर क्यों कुछ नहीं कह पाती जो कि छापे से पहले केवल सार्वजनिक बोलचाल में थी, जिसमें बालू से लेकर कोयला और धान के ट्रांसपोर्टिंग एवं मिलिंग तक के रेट तय थे। कलेक्टर को जिला आवंटन से लेकर एसपी को जिला बांटने एवं थाना बांटने तक के रेट तय थे। जिसे छापे के बाद दस्तावेजीकरण कर ईडी ने सार्वजनिक बोलचाल में मौजूद बात को सही करार दे दिया। एक-एक आईएएस अफसर और फिर मुख्यमंत्री के नजदीकी सचिव तक के पास अनाप-शनाप पैसों का आना, करोड़ों अरबों की संपत्ती की लिखित जानकारी ईडी ने दिया। इसे कांग्रेस कैसे गलत साबित करेगी, भगवान मालिक है, गंगा जल की शपथ लेने वालों ने उस दौरान गंगा जल ही हाथ में लेकर निष्पक्ष शासन, जनता के अनुकूल मांग के अनुरूप घोषणापत्र के वायदों को अक्षरशः पूरा करने का शपथ लिया था अथवा गंगाजल के जगह कहीं महुआ शराब लेकर तो शपथ नहीं ले लिए था, जिसके कारण छत्तीसगढ़ का यह हाल हुए जा रहा है। सवाल तो लगातार पूछे जायेंगे और पार्टी आलाकमान के सोच पर भी प्रश्नचिन्ह लगेगा कि आखिरकार का इन प्रमाणित भ्रष्टाचार पर उनका जवाब क्या है? सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे कब तक चुप रहेंगे, 8 महीने बाद चुनाव में इसी राज्य में घूमना है आपको तब जनता को बताना होगा कि इस लूट में किसको क्या मिला और जनता को आपने 5 सालों में क्या दिया? छत्तीसगढ़ लगातार संगठित राजनेताओं एवं अफसरों के लूट का अड्डा बनता जा रहा है, आरक्षण का पेंच फंसा युवाओं की नौकरी समाप्त कर दी गई है, सुनने वाला कोई नहीं, सरकार पोस्टर में झूठी वाहवाही लेने में मस्त है और कांग्रेस के आलाकमान गुलाबी सड़कों पर चलने में व्यस्त हैं। जनता त्राहीमाम-त्राहीमाम कर रही लेकिन सुनेगा कौन?