सूरजपुर,27 फरवरी 2023 (घटती-घटना)। पिछले डेढ़ वर्षो में तहसील कार्यालय में ही पांच तहसीलदार बदल गए हैं। पिछले वर्ष 22 जून 2021 को तत्कालीन तहसीलदार ओपी सिंह ने पदभार संभाला था लेकिन महज सिर्फ एक माह बाद ही 31 जुलाई 2021 को उनका तबादला हो गया था। उनके स्थान पर प्रतीक जायसवाल को तहसीलदार बनाया गया था, लेकिन वे भी बमुश्किल 4 माह ही तहसील में रह पाए, फिर उन्हें भी स्थानांतरित कर नीरजकांत तिवारी को तहसीलदार बनाया गया। फिर नीरज कांत भी 5 महीने ही तहसीलदार रह पाए, अब उनका भी तबादला कर दिया गया है। उनके स्थान पर संजय राठौर को नया तहसीलदार बनाया गया है वे भी अपनी लंबी पारी नही खेल सके ज्यादा दिन नहीं टिक सके सात महीने में ही उनको चलता कर दिया गया और जिला मुख्यालय के तहसीलदार की जवाब दारी डिप्टी कलेक्टर डा वर्षा बंसल को सौंपने का आदेश जारी किया गया है। दरअसल अभी हाल में कुछ माह पूर्व ही सूरजपुर कलेक्टर इफ्फत आरा ने तबादला आदेश जारी किया है। इसमें कई तहसीलदार, नायब तहसीलदार का तबादला हुआ है और एक बार फिर कुछ महीने के अंतराल में ही तहसीलदारों के प्रभार में तदीली के आदेश जारी किए गए , जिले के तहसीलदार व नायब तहसीलदारों के प्रभार में जल्द जल्द इधर से उधर किया जा रहा है इसे लेकर ग्रामीणों में काफी रोष है। ग्रामीणों ने बताया कि जैसे ही नए तहसीलदार आते हैं, वे केस समझ पाते ही हैं कि इसके बाद उनका ट्रांसफर हो जाता है। इससे हमें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, नामंतरण , बटाकन सीमांकन सहित अन्य राजस्व का कार्य भी रुक जाएगा, इसे लेकर जमीन चौहद्दी बंटवारा संबंधित व अन्य कार्यों के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि तहसील कार्यालय में तहसीलदारों का तो लगातार तबादला हो रहा है, लेकिन यहां पदस्थ बाबू सालों से जमे हुए हैं। बाबुओं के जुगाड़ के आगे सभी नियम-कानून फेल हैं। केवल तहसीलदारों का ट्रांसफर किया जा रहा है, जो समझ से परे है। जिले के अधिकांश तहसीलों में तहसीलदारों के ट्रांसफर की कमोवेश यही स्थिति है। जबकि बाबू पटवारी राजस्व निरीक्षक अंगद की पाव की तरह जमे हुए है। बहुत ज्यादा हुआ तो दिखावे के लिए कुछ दिन के लिए अगल बगल कर फिर से वापस कर दिया जा रहा है। जो क्षेत्र में तरह तरह के चर्चा का विषय बना हुआ है।
चार साल तक रहे नंद जी
सूरजपुर में तहसीलदार नंदजी पांडेय लगभग चार साल तक सूरजपुर तहसीलदार के पद पर रहे। वे पूर्ववर्ती भाजपा शासन काल से वर्तमान चल रहे कांग्रेस शासन काल के दौरान तक पदस्थ थे। उनका कोरबा जिले के लिए डिप्टी कलेक्टर के रूप में पदोन्नति के पश्चात स्थांतरण हुआ था जबकि ऐसा क्या हुआ कि उनके स्थानांतरण के बाद डेढ़ वर्षो में पांच तहसीलदार का स्थानांतरण आदेश जारी हुआ। जिला मुख्यालय ही नहीं बल्कि जिले के अधिकांश तहसीलों में कमोबेश स्थिति यही है कि जब तक अधिकारी राजस्व प्रकरणों को समझ पाते, इससे पूर्व ही उनका स्थानांतरण आदेश जारी हो जाता है, ऐसे में राजस्व प्रकरणों का निपटारा कैसे हो पाएगा, ये बड़ा सवाल है। जबकि प्रदेश के मुखिया की मंशा है की राजस्व प्रकरणों के लिए पक्षकारों को तहसील के चक्कर न लगाना पड़े। राजस्व के लंबित प्रकरणों का निपटारा जल्द से जल्द करने के निर्देश सभी कलेक्टर को जारी कर उनको जवाबदेही तय किए गए है। बहरहाल जिला मुख्यालय में तहसीदार के पद पर डिप्टी कलेक्टर डा वर्षा बंसल को पदस्थ किया गया अब देखना यह है की उनका कार्यकाल लंबा रहता कि उनकी भी छुट्टी जल्दी कर दी जाती है !
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