- कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में लोगों को अधिवेशन में शामिल कराने परिवहन विभाग कर रहा हर जिले में वाहन मालिकों से वाहन की क्यों?
- मौखिक आदेश पर निजी बस मालिकों सहित स्कूल बसों का किया जा रहा है अधिग्रहण
- क्या कांग्रेस पार्टी के कार्यक्रम में सरकारी तंत्र का किया जा रहा दुरुपयोग?
- निजी बस मालिकों सहित स्कूल बस मालिकों को किया जा रहा परेशान,अनिल जायसवाल भाजपा नेत्र
- रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर,24 फरवरी 2023 (घटती-घटना)। कांग्रेस पार्टी का 85 वां राष्ट्रीय अधिवेशन राजधानी रायपुर में होने जा रहा है जिसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सहित अन्य सभी बड़े कांग्रेस नेता देशभर से कार्यक्रम में शिरकत करने वाले हैं और जिसको लेकर युद्धस्तर पर तैयारी की जा रही है। अधिवेशन में राष्ट्रीय स्तर के नेताओं सहित देशभर से जुट रहे कांग्रेस पार्टी के नेताओं के सामने अच्छी भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी भी लगभग बांट दी गई है और इसका जिम्मा प्रदेश के परिवहन विभाग को दिया गया है जिसके तहत परिवहन विभाग निजी बस मालिकों सहित स्कूल बसों का अधिग्रहण कर रहा है और वह भी मौखिक आदेश पर।
परिवहन विभाग जिला स्तर पर वाहनों का अधिग्रहण कर रहा है मौखिक आदेश दे रहा है और उन्हीं बसों से प्रत्येक जिले से लोगों को राजधानी कार्यक्रम में ले जाया जाएगा। बस मालिकों और निजी स्कूल मालिकों के अनुसार इसके लिए उन्हें परिवहन विभाग का मौखिक आदेश मिला है। उक्त संदर्भ में भाजपा नेता अनिल जायसवाल का कहना है की पार्टी के कार्यक्रम में सरकारी तंत्र का उपयोग किया जा रहा है और वाहन मालिकों को बेवजह परेशान किया जा रहा है। अनिल जायसवाल ने यह भी कहा की जब सरकारी तंत्र का दुरुपयोग करना ही है तो सरकार क्यों नहीं वाहनों का अधिग्रहण लिखित रूप से कर रही है और अधिग्रहण कर वाहन मालिकों को वाहनों का भाड़ा भी देने का सोच रही है। कुलमिलाकर वाहनों के अधिग्रहण में परिवहन विभाग को जिम्मेदारी देकर सत्ताधारी दल किसी तरह भीड़ जुटाने का प्रयास राजधानी में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में कर रहा है यह भी अनिल जायसवाल ने आरोप लगाया है। उन्होंने यह भी कहा की सत्ताधारी दल अब भीड़ जुटाने के लिए सरकारी तंत्र का सहारा ले रहा है और जिससे यह भी साबित हो रहा है की राष्ट्रीय अधिवेशन में लोग खुद से जाने राजी नहीं हैं और उन्हे ले जाना पड़ रहा है जिसके लिए परिवहन विभाग को जिम्मा मिला है। कोरिया जिले के कुछ बस मालिकों ने बसों के मौखिक रूप से अधिग्रहण की बात स्वीकार भी की है।