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बैकुण्ठपुर@जीवन में पहली व अंतिम बार सार्वजनिक रूप से वर्ष 2015 में मनाया गया था स्व डॉक्टर रामचंद्र सिंहदेव का जन्मदिवस

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  • कोरिया कुमार डां. रामचंद्र सिंह देव की यादों से जुड़ी कुछ तस्वीरें…
  • क्या कोरिया कुमार के जाते ही कोरिया की तकदीर पर लग गया ग्रहण?
  • पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष अशोक जायसवाल ने किया था आयोजन,बैकुंठपुर में हुआ था कार्यक्रम
  • पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष अशोक जायसवाल के वर्ष 2015 में जन्मदिवस मनाए जाने के निर्णय का स्व डॉक्टर रामचंद्र सिंहदेव ने किया था विरोध
  • सादगी व दिखावे से दूर रहने व बेवजह के खर्चे के विरोधी स्व डॉक्टर रामचंद्र सिंहदेव ने बड़ी मुस्कील से पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष के आयोजन में की थी शिरकत
  • स्व.डॉक्टर रामचंद्र सिंहदेव की 92 वीं जन्मतिथि अवसर पर मनाई जाएगी उनकी जन्म जयंती, मुख्यमंत्री सहित कई मंत्री होगे शामिल
  • पूर्व वित्तमंत्री की प्रतिमा का होगा अनावरण,40हजार लोग करेंगे भोजन
  • पूर्व वित्तमंत्री स्व.डॉ रामचंद्र सिंहदेव की 92 वीं जन्मतिथि पर मुख्यमंत्री सहित कई कैबिनेट मंत्री होंगे जिले में
  • चुनावी वर्ष में शक्ति प्रदर्शन की तैयारी तो नहीं?
  • विधायक के घरेलू विवाद के बीच संपन्न होगा स्व. डॉ रामचंद्र सिंह देव का जन्मदिवस कार्यक्रम
आज पूर्व वित्तमंत्री की प्रतिमा का होगा अनावरण

-रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर 12 फरवरी 2023 (घटती-घटना)।
राजा नहीं फकीर है कोरिया की तकदीर है यह नारा स्व. डॉक्टर रामचंद्र सिंहदेव के लिए लगाया जाता था और वह इस नारे के हिसाब से अपना जीवन भी जीते रहे और बिल्कुल फकीरों की तरह ही उनका अपना जीवन था जो क्षेत्र की जनता के लिए तो समर्पित था लेकिन वह कभी अपने लिए किसी प्रतिष्ठा का उद्देश्य लेकर साथ ही किसी प्रकार के दिखावे का उद्देश्य लेकर कभी चलते नहीं देखे गए जो उनकी सादगी से भरे जीवन को समझने के लिए काफी है। स्व डॉक्टर रामचंद्र सिंहदेव कोरिया जिले के एक ऐसे जनप्रतिनिधि के रूप में अपनी पहचान रखते थे जिन्हें कभी भी किसी प्रकार की सुविधा लेते नहीं देखा गया और ना ही उन्हे अपने लिए कोई आयोजन ही करते देखा गया या अपने लिए किसी आयोजन को उन्होंने सहमति ही अपने जीते जी दिया।
उनकी बेवजह के खर्चों के विरोध में होने की ही वजह से प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री ने उन्हे प्रदेश का प्रथम वित्तमंत्री तक बनाया और उन्हे प्रदेश के अर्थ की जिम्मेदारी दी जबकि उसके बाद से किसी मुख्यमंत्री ने ऐसी हिम्मत नहीं की और वित्त अपने पास ही रखना मुनासिब समझा। स्व रामचंद्र सिंहदेव का जीवन में एक ही बार जन्मदिवस उनके जीते जी मनाया गया जो वर्ष 2015 में मनाया गया जो उनके समर्थक पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष अशोक जायसवाल ने मनाया जबकि अशोक जायसवाल द्वारा किए जा रहे आयोजन को भी स्व. डॉक्टर रामचंद्र सिंहदेव ने यह कह कर आयोजन न करने की बात कही की उनके जीवन का एक वर्ष कम हो रहा है और इसमें उत्सव या आयोजन का कोई विषय बनता ही नहीं है, वैसे 2015 के आयोजन में स्व डॉक्टर रामचंद्र सिंहदेव शामिल हुए और उन्होंने कार्यक्रम में शिरकत की। उन्हीं के जन्मदिन उत्सव में उन्हें ही शामिल होने के लिए मनाया गया इसके बावजूद उन्होंने कहा कि ठीक है कार्यक्रम तो कर रहे हो पर खर्चा ज्यादा मत करना। उन्हें शुरू से ही फिजूलखर्ची पसंद नहीं थी इनके इस सोच से पूरा जिला ही वाकिफ था अब इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिनके लिए कार्यक्रम रखा जा रहा है जिन पर पैसे उन्हें नहीं किसी और को खर्च करना है उसके खर्चे की भी चिंता उन्हें होती थी और वह बिल्कुल भी नहीं चाहते थे कि कोई बेफिजूल का खर्चा करें।

स्व. ड़ां. रामचंद्र सिंह देव
सीएम रमन सिंह के साथ धार्मिक पुस्तक का विमोचन करते ड़ां. रामचंद्र सिंह देव।स्व. ड़ां. रामचंद्र सिंह देव

आज 13 फरवरी को होगा प्रतिमा का अनावरण
पूर्व वित्तमंत्री स्व. डॉ.रामचंद्र सिंहदेव का जन्मदिवस 13 फरवरी को आता है, अपने जीवित रहते उन्होने जन्मदिवस सादगी पूर्ण ही मनाना उचित समझा। दिखावे से दूर वे पैलेस में ही समर्थको से मिलते और ज्यादातर सोनहत क्षेत्र के दौरे पर जाते थे। उनके जन्मदिवस पर कभी भी सार्वजनिक कार्यक्रम नही किया गया। लेकिन इस बार बड़े कार्यक्रम की तैयारी है। नगरपालिका परिषद द्वारा पूर्व अध्यक्ष अशोक जायसवाल के कार्यकाल में घड़ी चैक से घड़ी हटाकर पूर्व वित्तमंत्री स्व. डॉ.रामचंद्र सिंहदेव की प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव पास किया गया था जिसके बाद स्व.सिंहदेव की प्रतिमा पिछले वर्ष ही लगा दी गई है,इसका अनावरण भी काफी पहले किया जा सकता था लेकिन चुनावी लाभ लेने के उद्वेश्य से इस वर्ष प्रतिमा का अनावरण किया जा रहा है। प्रतिमा का अनावरण प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा किया जाएगा। उक्त कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष डॉ.चरणदास महंत, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव, कृषि मंत्री रविन्द्र चैबे, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम समेत अनेक नेताओ के पहुंचने की उम्मीद है। कार्यक्रम की तैयारी में विधायक और संसदीय सचिव अंबिका सिंहदेव द्वारा पूरी ताकत लगाई गई है।
92 वीं जन्म जयंती अवसर पर आज है भव्य आयोजन
स्व डॉक्टर रामचंद्र सिंहदेव के 92 वें जन्म जयंती अवसर पर आज बैकुंठपुर में भव्य आयोजन किया जा रहा है। स्व डॉक्टर रामचंद्र सिंहदेव जो हमेशा किफायत को लेकर चला करते थे बेवजह के खर्चों का जो विरोध करते थे उनकी याद में यह आयोजन कितना सही कहा जा सकता है यह समझा जा सकता है। वैसे उनके देहांत के पश्चात कई बार उनकी याद में कार्यक्रम किए गए और यह भी उनकी याद में किया जाने वाला कार्यक्रम है जिसमें प्रदेश में मुख्यमंत्री भी शामिल होने जा रहें हैं। स्व डॉक्टर रामचंद्र सिंहदेव को जानने वाले केवल इतना ही कहते सुने जा सकते हैं की वह जीते जी हमेशा बेवजह के खर्चों के विरोधी रहे और उन्हे यह बिल्कुल पसंद नहीं था।
क्या कोरिया कुमार के जाते ही कोरिया की तकदीर खराब हो गई?
कोरिया जिले में स्वर्गीय डॉक्टर रामचंद्र सिंहदेव के लिए एक लाइन बोली जाती थी वह लाइन थी राजा नहीं फकीर थे कोरिया के तकदीर थे क्या उनके जाने के बाद कोरिया की तकदीर खत्म हो गई? उसका जीता जागता उदाहरण कहीं ना कहीं कोरिया जिले का विभाजन है, उनके जाने के बाद ऐसा लगा कि कोरिया की तकदीर वाकई में खराब हो गई है जैसा आज की स्थिति में देखा भी जा रहा है। कोरिया कुमार के जाते ही जिले का विभाजन हुआ जिले का अस्तित्व ही एक तरह से समाप्त हो गया और अब जिले के हिस्से में इतना भी नहीं रह गया है जो जिले के अस्तित्व के लिए आवस्यक है। स्व. डॉक्टर रामचंद्र सिंहदेव ने अपने जीवन काल में कभी यह कल्पना भी नहीं की होगी की उनके जाते ही जिले को विभाजन का दंश झेलना होगा और वह यदि होते तो शायद ही विभाजन होता।

बैकुन्ठपुर रेस्ट हाउस में अपनी भतीजी एवं कांग्रेस नेताओं के साथ ड़ां. रामचंद्र सिंह देव।
बैकुन्ठपुर रेस्ट हाउस में अपनी भतीजी एवं कांग्रेस नेताओं के साथ ड़ां. रामचंद्र सिंह देव।


डॉ.रामचंद्र सिंहदेव के
निधन से कोरिया जिले को एक अपूर्णनीय क्षति हुई थी,कोरिया ने अपना राजा खो था आज भी उनकी कमी खलती है
कोरिया वासी कोरिया कुमार ड़ां. रामचंद्र सिंह देव के लिए नारा लगाते थे ’’राजा नहीं फकीर है, कोरिया की तकदीर है।’’ कोरिया कुमार कोरिया जिले के हर व्यक्ति के दिल में राज करते थे, छ0ग0 में ही नहीं पूरे देश में उनकी अलग पहचान बनी हुई थी। जितने भी चुनाव लड़े सब में जीत मिली, राजनीति में अपराजेय योद्वा के रूप में जाने जाते थे क्योंकि चुनाव में बतौर प्रत्याशी उन्हें कभी भी ऐसा मौका नहीं मिला कि उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा हो। ड़ां. रामचंद्र सिंह देव के निधन से कोरिया जिले को एक अपूर्णनीय क्षति हुई थी वहीं कोरिया वासियों ने अपना राजा खो दिया था आज भी उनकी कमी खलती है।
इस उपलब्ध से जिले के अलावा प्रदेश व विश्व भर में मिली थी प्रसिद्धि
राजनीतिक दृष्टि कोण से छत्तीसगढ़ में देश व प्रदेश को ऐसा कद्दावर नेताओं की उपज दी जो अपनी राजनीतिक दूरदर्शिता कार्य कुशलता और संघर्षशील व्यक्तित्व के माध्यम से राजनीतिक के आकाश में चमकते हुए सितारे बन कर उभरे, छत्तीसगढ़ के प्रथम वित्तमंत्री कोरिया के माटी के सपूत लाड़ले जनप्रतिनिधि और कोरिया कुमार के नाम से विख्यात ड़ां. रामचंद्र सिंह देव प्रदेश ही क्या समूचे हिन्दुस्तान में अपनी एक अलग पहचान रखते हैं, कोरिया जिले में विकास का पर्याय माने जाने वाले ड़ां. रामचंद्र सिंह देव न केवल एक श्रेष्ठ राजनीतिज्ञ के रूप में स्थापित हुए बल्कि विद्वान, चिंतक व सामाजिक विकास की प्रतिमूर्ति माने जाते थे, आज के भैतिकतावादी जीवन शैली में भी सादगीपूर्ण जीवन और सात्विक विचारों को अपनाने वाले दुलारे जन नायक ड़ां. रामचंद्र सिंह देव वास्तव में अति पिछड़े कोरिया जिले के जन मानस के मन मस्तिष्क में देव तुल्य स्थापित हैं।
आयोजन मात्र शक्ति प्रदर्शन का माध्यम
यह आयोजन सिर्फ और सिर्फ शक्ति प्रदर्शन का माध्यम माना जा रहा है,खोई हुई जमीन वापिस करने का यह प्रयास कितना कारगार साबित होगा यह तो भविष्य के गर्त में है लेकिन इतना जरूर है कि विधायक अंबिका सिंहदेव अब राजनीति के मैदान में पूरी तरह डट चुकी हैं,पार्टी में ही उनके विरोधियों की संख्या कम नही है लेकिन विरोधी भी उनके आगे दबे रहने में ही भलाई समझते हैं आज कांग्रेसी नेताओं की विधायक से दूरी जगजाहिर है लेकिन मौका पड़ने पर वे विधायक के कार्यक्रम मे शामिल भी होते है उनके इर्द गिर्द दिखलाई भी देते हैं।

पटना में एक राजनीतिक मंच में कांग्रेस के सांसद व फिल्म
अभिनेता राज बबर के साथ मंच में
पटना में एक राजनीतिक मंच में कांग्रेस के सांसद व फिल्म
अभिनेता राज बबर के साथ मंच में

राजा रामानुज प्रताप सिंह देव के सबसे छोटे पुत्र कोरिया कुमार का जन्म 13 फरवरी 1930 को हुआ था
कोरिया रियासत की तात्कालिन राजधानी बैकुन्ठपुर में कोरिया रियासत के राजा रामानुज प्रताप सिंह देव के सबसे छोटे पुत्र के रूप में 13 फरवरी 1930 को बैकुन्ठपुर के मिट्टी में एक साधारण से घर में जन्म लेने वाले कोरिया कुमार का राजनीतिक भविष्य इतना उज्जवल होगा इसकी भविष्यवाण तक किसी ने नहीं की थी। बहुमुखी प्रतिभा के धनी ड़ां. रामचंद्र सिंह देव तब 1935 से 1938 तक शिलांग में पढ़े इनकी प्रारंभिक शिक्षा सेंट एड़मंड़ कालेज में संपन्न हुई। 1938 के राजकुमार कालेज रायपुर में कोरिया कुमार ने नियमित विद्यार्थी के रूप में अध्ययन कार्य पूर्ण किया, इसी कालेज में अध्ययन की समयावधि में ही ड़ां. रामचंद्र सिंह देव सामाजिक कार्यों की ओर आकर्षित हुए, सरगुजा महाराजा एमएस सिंह देव के साथ मिलकर कोरिया कुमार ने रायपुर जेल के कैदियों को पढ़ाने का दायित्व उठाया और ये नियति रूप से जेल परिसर रायपुर में जाकर कैदियों के बीच ज्ञान बांटते थे। उन्हीं दिनों कोरिया कुमार ने कई रचनात्मक सामाजिक कार्यों में भी जनभागीदारी की। वर्ष 1944 कोरिया कुमार के लिए अति महत्वपूर्ण रहा जबकी वे जूनियर कैम्ब्रेज लंदन में प्रवेश हेतु आयोजित परिक्षा में उत्तीर्ण हुए थे, इन्टर मीडिएट परीक्षा इलाहाबाद से उत्तीर्ण करने के पश्चात 1945 में इलाहाबाद में यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया, ड़ां. रामचंद्र सिंह देव के लिए यदि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी को राजनीति की प्रथम पाठशाला कहा जाए तो गलत नहीं होगा।

सभा को संबांधित करते स्व. डॉ. रामचंद्र सिंह देव।
पटना पहुंचने पर इस तरह घंटो बैठा करते थे ड़ां. रामचंद्र सिंह देव

छात्र संघ चुनाव से शुरू हुई थी स्व. डॉ.रामचंद्र सिंहदेव की राजनीति का सफर
पूर्व प्रधान मंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह व चंद्रशेखर के सहपाठी रह चुके डां. रामचंद्र सिंह देव 1950 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के लिए छात्र संघ के उपाध्यक्ष चुने गए, तात्कालिन समय में छात्र संघ चुनाव को अति महत्वपूर्ण प्राप्त थी, इसके महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि छात्र संघ के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधान मंत्री तक हिस्सा लिया करते थे, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए ही ड़ां. रामचंद्र सिंह देव 1951 में रसायन शास्त्र जैसे जटिल विशय स्नात्कोत्तर की उपाधि धारण की अध्ययन कार्य समाप्त करने के पश्चात ड़ां. रामचंद्र सिंह देव कलकत्ता आ गए, यहां इन्होंने 1952 से 1967 तक व्यापार किया इस दौरान राजनीति के संपर्क में भी आए और प्रारंभिक समय में भारतीय कम्यूनिष्ट पार्टी के सदस्य रहे, 1967 में व्यापार छोड़ने के पश्चात् ही पहली बार सक्रिय राजनीति में कूदे, 1967 में ही विधान सभा के लिए ड़ां. रामचंद्र सिंह देव ने पहले चुनाव का सामना किया, पहले ही चुनाव में बैकुन्ठपुर सामान्य सीट विधान सभा की जनता ने इन्हें दिल खोल कर जन समर्थन दिया और कोरिया कुमार ड़ां. रामचंद्र सिंह देव ने रिकार्ड मतों से विजयश्री प्राप्त किया, उस समय क्षेत्र के 64 हजार मतदाताओं में से 45 हजार मतदाताओं ने अपने मतों का प्रयोग किया जिसमें से 35 हजार मत अकेले ड़ां. रामचंद्र सिंह देव को मिले, पहले ही चुनाव में डॉ. रामचंद्र सिंह देव व्यापक जनाधार वाले राजनेता के रूप में स्थापित हो गए, कोरिया कुमार का व्यक्तित्व लोकप्रियता को देखकर ही 1967-1968 में गोविन्द नारायण मंत्री मंडल में इन्हें 18 महत्वपूर्ण विभागों का दायित्व सौंपा गया, 6 माह तक मध्यप्रदेश का 2 तिहाई शासन इन्हीं के पास रहा इतने सारे विभागों का दायित्व लेने के बाद तारीफ करनी होगी इस बात के लिए कि इनके शासन काल में 18 विभागों में से किसी भी विभाग ने इन पर एक भी आरोप नहीं लगे, डॉ. रामचंद्र सिंह देव के राजनीतिक जीवन का सफर चलता रहा, एक के बाद एक सभी चुनावों में कोरिया कुमार जनता के और भी अधिक नजदीक आ गए 1976-1977 में श्यामाचरण मंत्री मंडल में सिंचाई मंत्री के रूप में इन्होंने शपथ ग्रहण किया, सिंचाई के क्षेत्र में अपनी अदभूत दूरदर्शिता का परिचय देते हुए डॉ. रामचंद्र सिंह देव अति अल्प समय में ही सिंचाई विशेषज्ञ के रूप में देष में ही नहीं अपितु देश की सीमाओं के पार अपनी पहचान बना ली, 1995 से इनके बताए रास्ते पर न केवल भारत में बल्कि समूचे विश्व मे जागृति आई और छोटे बांधों के आधार पर जलग्रहण को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की गई, बड़े बांधों के निर्माण से होने वाले नकारात्मक तथ्यों पर सर्वप्रथम चिंतन कोरिया कुमार ने ही किया और बड़े बांधों के निर्माण का पुरजोर विरोध किया तथा छोटे बांधों के निर्माण और उपयोगिता की जमकर वकालत की। 1982 में इनके ही द्वारा छोटे बांधों के उपयोगिता पर लिखी गई पुस्तक सभ्यता हड़बड़ी में विश्व में सिंचाई योजनाओं के मद्देनजर सर्वश्रेष्ठ पुस्तक मानी जाती है। 1998 के विधानसभा के चुनाव में विजय मतों में बढ़त के हिसाब से डॉ. रामचंद्र सिंह देव अविभाजित मध्यप्रदेश में दूसरे स्थान पर थे तब दिग्गविजय सिंह मंत्री मण्डल में इन्हें एक बार पुनः सिंचाई मत्री बनाया गया तत्पश्चात छत्तीसगढ़ गठन के बाद वर्ष 2000 में कोरिया कुमार के राजनीतिक सफर दूरदर्शिता व उपल्बधियों को देखते हुए अजीत जोगी मंत्री मंडल में वित्त मंत्रालय सहित कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी सौंपी गई, वित्तमंत्री के रूप में ड़ां. रामचंद्र सिंह देव ने अपनी दूसरी पारी की शानदार शुरवात की और कम समय में ही भारत के सर्वश्रेष्ठ वित्तमंत्री के कतार में खड़े हो गए, यह कोरिया कुमार के कार्यकुशलता का ही प्रतिफल रहा कि तब छत्तीसगढ़ देश का एक मात्र ऐसा प्रदेश बना जो अपनी स्थापना दिवस से ही एक दिन भी ओवर ड्राप नहीं हुआ, आबकारी मंत्री के रूप में कोरिया कुमार ने पूरे प्रदेश की आबकारी नीति में अमूल्य परिवर्तन किये, छत्तीसगढ़ को शराब माफिया से छुटकारा दिलाने के लिए पूरी क्षमता के साथ कार्य कर दिखाया तब वित्त मंत्रालय के साथ आबकारी मंत्री होने के बावजूद कोरिया कुमार लोगों को शराब से दूर रहने की बात कहते, विकास के कार्यों में डॉ. रामचंद्र सिंह देव ने केवल प्रदेश में वरन सम्पूर्ण देश में श्रेष्ठ विद्वान माने जाते हैं, डॉ. रामचंद्र सिंह देव की योग्यता व प्रदेश के लिए उनके योगदान को शब्दों में बांध पाना निश्चित ही कठिन कार्य है, कोरिया वासियों के लिए गौरव की बात थी कि डॉ. रामचंद्र सिंह देव जैसा एक ऐसा जनप्रतिनिधि उनके बीच में था जिसने अपना सारा जीवन क्षेत्र की जनता के उत्थान में लगा दिया, 89 वर्ष के उम्र की इस दहलीज में भी कोरिया कुमार की कार्यक्षमता यथावत रहा, क्षेत्र की जनता से कोरिया कुमार की घनिष्ठता का यह एक पुख्ता उदाहरण था कि अपने जिला प्रवास के दौरान हमेशा ही इन्होंने ग्रामीण अंचलों में अपना अधिकतम समय व्यतीत किया, सादगी से परिपूर्ण जीवन शैली ने कोरिया कुमार के व्यक्तित्व को और भी आकर्षक व सहज बना दिया था, ड़ां. रामचंद्र सिंह देव जैसे सफल व दूरदर्शिता, सहज व सरल व्यक्तित्व के धनी जन प्रतिनिधि की कमी प्रदेश को ही नहीं वरन सम्पूर्ण देश को को खलेगी, कोरिया कुमार जैसे व्यक्ति का व्यक्तित्व आदर्श ही नहीं बल्कि अनुकरणीय है, 89 वर्ष के उम्र में भी पूरे क्षेत्र की विकास के लिए इनका प्रयास व चिंता साफ तौर से देखा जा सकता था क्षेत्र की जनता को सदैव इनकी कमी महसूस होगी।


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