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बैकु΄ठपुर @सूर्य षष्ठी महापर्व की तैयारियां हुईं शुरू,घाटों की साफ सफाई हुई जारी

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रवि सिंह-

बैकु΄ठपुर 06 नवम्बर 2021 (घटती-घटना)। सूर्य षष्ठी के दिन अस्ताचल भगवान भास्कर की पूजा की जाती है और कार्तिक शुक्ल की सप्तमी को उदीयमान प्रत्यक्ष देव भगवान आदित्य को अर्घ्य देकर पूजा आराधना की जाती है. मान्यता है कि जो भी इस व्रत पूजन को पूरे विधि विधान व पूरी शुद्धता से पूर्ण करता है भगवान सूर्य उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और उसे सूर्य की तरह तेज भी प्राप्त होता है। छठ पर्व का महत्व अब विस्तृत होता जा रहा है और अब यह पर्व बड़े व्यापक स्तर में देशभर में मनाया जाने लगा है,पूर्व में यह गंगा ,जमुना,सरयु नदियों के किनारे बसे लोगों द्वारा ही मनाया जाने वाला त्योहार था जो अब देशभर में मनाया जाने वाला एक बड़ा त्यौहार की तरह मनाया जाने लगा है।
पटना में भी यह पर्व वर्षों से मनाया जाता आ रहा है वहीं अब पहले से भी ज्यादा लोगों की आस्था इस पर्व से जुड़ चुकी है,ग्राम स्तर पर पहले केवल बूढ़ा सागर तालाब पर ही श्रद्धालुओं द्वारा यह पर्व मनाया जाता आ रहा था लेकिन अब बूढ़ा सागर तालाब,झूमर तालाब सहित हनुमान मंदिर तालाब में भी श्रद्धालुओं का जमावड़ा छठ पर्व मनाने लगने लगा है। चार दिनों का होता है छठ महापर्व- चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी चैती छठ और कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को कार्तिकी छठ कहा जाता है। यह पर्व सूर्यदेव की उपासना के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि छठ देवी सूर्य देव की बहन है। इसलिए छठ पर्व पर छठ देवी को प्रसन्न करने हेतु सूर्य देव को प्रसन्न किया जाता है। गंगा-यमुना या किसी भी नदी, सरोवर के तट पर सूर्य देव की आराधना की जाती है। महाभारत में भी छठ पूजा का उल्लेख किया गया है। पांडवों की मां कुंती को विवाह से पूर्व सूर्य देव की उपासना कर आशीर्वाद स्वरुप पुत्र की प्राप्ति हुई जिनका नाम था कर्ण। पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भी उनके कष्ट दूर करने हेतु छठ पूजा की थी। यह पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से आरंभ होकर सप्तमी तक चलता है।प्रथम दिन यानि चतुर्थी तिथि ‘नहाय-खाय’ के रूप में मनाया जाता है। आगामी दिन पंचमी को खरना व्रत किया जाता है और इस दिन संध्याकाल में उपासक प्रसाद के रूप में गुड-खीर, रोटी और फल आदि का सेवन करते हैं और अगले 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखते हैं। मान्यता है कि खरन पूजन से ही छठ देवी प्रसन्न होती है और घर में वास करती है। छठ पूजा की अहम तिथि षष्ठी में नदी या जलाशय के तट पर भारी तादाद में श्रद्धालु एकत्रित होते हैं और उदीयमान सूर्य को अर्ध्य समर्पित कर पर्व का समापन करते हैं।

जनप्रतिनिधियों ने छठ घाट साफ सफाई का जिम्मा सम्हाला

कोरिया जिले के ग्राम पटना में छठ पर्व मनाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या अब धीरे धीरे ज्यादा होने लगी है, बूढ़ा सागर तालाब की स्थिति विगत कई वर्षों से छठ पूजन हेतु उपयुक्त नहीं होने की वजह से कुछ श्रद्धालुओं द्वारा यह पर्व झूमर तालाब में मनाने का निर्णय लिया गया, वहीं श्रद्धालुओं के निर्णय को देखते हुए छठ घाट की साफ सफाई किया गया।


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