बैकुण्ठपुर@ क्या कोरिया जिले में पक्ष भी कांग्रेस,विपक्ष भी कांग्रेस लगातार जारी है सत्ता दल का विरोध?

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  • अपनी ही सरकार में सत्ताधारी दल के नेता विपक्ष के साथ बैठे धरने पर,क्या सुशासन की बात केवल जुमलेबाजी?
  • अपनी ही सरकार में विरोध को मजबूर कांग्रेस नेताओं का क्या सरकार नहीं रखती ध्यान?
  • जनपद सीइओ बैकुंठपुर के विरोध में कांग्रेस व भाजपा के नेताओं ने जनपद पंचायत कार्यालय के समाने किया विरोध प्रदर्शन।
  • सीइओ को हटाने जनपद कार्यालय में की तालाबंदी,मजेदार बात यह की सत्ताधारी दल के नेता दिखे आगे।
  • भाजपा ने भी दिखाई ताकत,जनपद अध्यक्ष के समर्थन में भाजपा नेताओं ने जनपद सीइओ का किया विरोध।
  • नगरपालिका बैकुंठपुर में भी सीएमओ की मनमानी से कांग्रेस के नेता हैं परेशान।
  • एल्डरमैन ने की है कलेक्टर कोरिया से शिकायत,सीएमओ की मनमानी है चरम पर।
  • एमसीबी जिले में भी हाल ही में नगरपालिका उपाध्यक्ष कलेक्टर को दे चुके हैं ज्ञापन।
  • दीनदयाल उपाध्याय चौक से दीनदयाल उपाध्याय जी की मूर्ति नहीं हटाए जाने पर आंदोलन की दी है चेतावनी।
  • रेत मामले में भी त्ताधारी दल के नेताओं को देखा गया था परेशान,कई बार आंदोलन की दी थी नेताओं ने चेतावनी।
  • क्या अविभाजित कोरिया जिले में सच में हैं सरकारी तंत्र बेलगाम,क्या सत्ताधारी दल के नियंत्रण में नहीं है प्रशासन।
  • सत्ताधारी दल के नेता यदि परेशान ऐसे में आम जनता की क्या होगी स्थिति समझा जा सकता है।

-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 11 जनवरी 2023 (घटती-घटना)। कोरिया जिले में खासकर अविभाजित जिले में सत्ताधारी दल के नेता सरकारी तंत्र से लगातार नाराज चले आ रहें हैं और उन्हें सरकारी तंत्र से शिकायत चली आ रही है जिसका इजहार भी वह लगातार चार वर्षों से करते चले आ रहें हैं लेकिन फिर भी कोई सुधार हुआ हो लगता नहीं क्योंकि विरोध लगातार जारी भी है। कोरिया जिला जब अविभाजित था या आज जब विभाजित होकर दो जिला बन चुका है दोनो ही जिलों में सरकारी तंत्र के विरोध में सााधारी दल के नेताओं को आगे देखा जा रहा है और जो साबित कर रहें हैं की सुशासन की बात जो उनकी ही सरकार कर रही है वह केवल जुमलेबाजी है और इसके अलावा कुछ नहीं वहीं सरकारी तंत्र में बैठे लोग सत्ताधारी दल के नेताओं की ही नहीं सुन रहें हैं तो वह आम जनता की कितनी सुन रहे होगें यह समझा जा सकता है।

ताजा घटना जो कोरिया जिले के मुख्यालय से सामने आ रही है जो सरकार के सुशासन की पोल खोल रही है उसके अनुसार जनपद पंचायत बैकुंठपुर में तालाबंदी का प्रयास किया गया यह तालाबंदी सत्ताधारी दल कांग्रेस व विपक्षी दल भाजपा के नेताओं ने करने की कोशिश की है और यह संयुक्त रूप से हुआ विरोध प्रदर्शन बता रहा है की सुशासन नाम की चीज जिले में कम से कम नहीं है और जिले में सरकारी तंत्र की मनमानी से सभी परेशान हैं, जनपद पंचायत बैकुंठपुर में तालाबंदी करने का निर्णय जनपद पंचायत की अध्यक्ष जो भाजपा से ताल्लुक रखती हैं वहीं उपाध्यक्ष जो सत्ताधारी दल से ताल्लुक रखती हैं का संयुक्त निर्णय था और इसमें बैकुंठपुर विकासखंड के अधिकांश सरपंचों का उन्हे समर्थन प्राप्त था। अध्यक्ष उपाध्यक्ष सहित सरपंच लगातार जनपद सीइओ पर मनमानी का आरोप लगाते चले आ रहे थे और उन्होंने इसके लिए कई मंत्रियों को भी ज्ञापन दिया था जिसके बावजूद उन्हें नहीं हटाया गया था, कलेक्टर सहित सीइओ जिला पंचायत एवम क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को भी उन्होंने ने ज्ञापन दिया था लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई और स्थिति विरोध प्रदर्शन एवम तालाबंदी तक जा पहुंची जो संभव तो नहीं हो सकी लेकिन सड़क पर बैठकर विरोध प्रदर्शन किया गया जिसमे कांग्रेस भाजपा दोनो दलों के नेता मौजूद रहे।

कांग्रेस भाजपा दोनो ही दलों के नेताओं ने घेरा जनपद कार्यालय, तालाबंदी का किया प्रयास
भाजपा नेत्री व जनपद पंचायत बैकुंठपुर की अध्यक्ष साथ ही जनपद उपाध्यक्ष एवम कांग्रेस नेत्री के आह्वान पर 11 जनवरी को जनपद कार्यालय बैकुंठपुर के समक्ष धरना अयोजित हुआ और कार्यालय में तालाबंदी का प्रयास किया गया। विरोध सीइओ जनपद पंचायत का था और उन्हें हटाने यह विरोध प्रदर्शन हुआ। इस दौरान सत्ताधारी दल सहित विपक्षी दल भाजपा के नेताओं ने विरोध प्रदर्शन में भाग लिया और इसे सफल बनाने पूरा जोर लगाया।
सत्ताधारी दल के लोगों का विरोध प्रदर्शन लोगों के समझ में नहीं आया
जनपद पंचायत बैकुंठपुर में सीइओ के विरोध में जमकर नारेबाजी हुई उन्हे हटाने तालाबंदी का प्रयास किया गया पूरे विरोध प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस नेताओं की उपस्थिति और विरोध प्रदर्शन में उनका समर्थन देखकर लोगों को भी समझ में नहीं आया की आखिर अपनी ही सरकार में कांग्रेस के नेताओं की इतनी बड़ी भी क्या मजबूरी आन पड़ी की उन्हे भाजपा के साथ मिलकर आंदोलन में भाग लेना पड़ा,सत्ताधारी दल के नेताओं की मौजूदगी देखकर लोगों ने यह अनुमान लगाया की सत्ताधारी दल भी अब प्रशासन के सामने घुटने टेक चुका है और उसे विपक्ष की भूमिका में विरोध प्रदर्शन करने उतरना पड़ रहा है। कांग्रेस नेताओं की उपस्थिति से सरकारी तंत्र की मनमानी भी समझ में आई और सुशासन की पोल भी खुलती नजर आई।
भाजपा ने दिखाई ताकत,जनपद अध्यक्ष के पक्ष में पूर्व मंत्री समेत सभी भाजपा नेता विरोध प्रदर्शन में हुए शामिल
जनपद पंचायत बैकुंठपुर में सीइओ के विरोध में सीइओ हटाओ अभियान में जो जनपद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का संयुक्त अभियान था में भाजपा नेताओं ने अपनी पूरी ताकत झोंके दी। इस दौरान पूर्व मंत्री समेत सभी भाजपा नेता उपस्थित रहे और सीइओ को हटाए जाने के अभियान में अपना समर्थन दिया। जनपद अध्यक्ष जो भाजपा नेत्री भी हैं उनके आह्वान पर सभी भाजपा नेताओं के जुटने से साबित हुआ की भाजपा अपने एक एक कार्यकर्ता के साथ किस तरह का जुड़ाव रखती है और उसके लिए संगठन और उसके सदस्यों का क्या महत्व है।
उपाध्यक्ष के साथ शामिल हुए कांग्रेस नेता
वहीं जनपद उपाध्यक्ष जो सत्ताधारी दल से ताल्लुक रखती हैं और जो कांग्रेस पार्टी के समर्थन से उपाध्यक्ष बनी हैं के आह्वान पर उनके समर्थन में कांग्रेस नेताओं ने भी विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया और जनपद सीइओ को हटाए जाने की मांग का समर्थन किया।
जमकर हुई नारेबाजी,कांग्रेस नेताओं सहित भाजपा नेताओं ने भी की नारेबाजी
विरोध प्रदर्शन के दौरान जमकर नारेबाजी भी हुई और विरोध सड़क पर किया गया। बड़ी ही विचित्र स्थिति देखने को मिली जब सत्ताधारी दल के नेताओं को सड़क पर बैठकर नारेबाजी करते देखा गया। सरकारी तंत्र की बेलगाम रफ्तार ही इसे कहा जा सकता है जहां आदेश देने की स्थिति में होने वाले नेताओं को जनप्रतिनिधियों को सड़क पर बैठना पड़ा और नारेबाजी करनी पड़ी।
रेत मामले में भी सत्ताधारी दल ने कई बार प्रशासन को दिया था ज्ञापन और आंदोलन की चेतावनी
यह कोई पहला मामला है सत्ताधारी दल की तरफ से अपनी ही सरकार में विरोध प्रदर्शन का ऐसा नहीं है। इसके पहले रेत मामले में कई बार सत्ताधारी दल के नेताओं को ज्ञापन देते और आंदोलन की चेतावनी देते देखा जा चुका है। सत्ताधारी दल के नेता रेत मामले में एक समय इस कदर नाराज थे की आए दिन वह ज्ञापन दिया करते थे और आंदोलन की बात किया करते थे,यह बात साबित करने के लिए काफी है की सत्ता के चार सालों में कांग्रेस के नेता ही सबसे ज्यादा जब परेशान नजर आ रहें हैं तो आम लोगों की क्या हालत होगी समझा जा सकता है।
नपा बैकुंठपुर में सीएमओ की मनमानी भी है चरम पर,कांग्रेस नेता खुद करते हैं विरोध
सरकारी तंत्र किस कदर बेलगाम है किस तरह वह सत्ताधारी दल के जनप्रतिनिधियों का ही सम्मान नहीं करता कैसे अपनी मनमानी करता है और किस तरह वह अपनी मर्जी से अपना राज चला रहा है इसका एक उदाहरण बैकुंठपुर नगरपालिका भी है जहां की सीएमओ का विरोध खुद सत्ताधारी दल के एल्डरमैन करते नजर आ रहें हैं। सीएमओ लगातार अपनी मनमानी पर उतारू हैं नगरपालिका को आर्थिक क्षति पहुंचा रहीं हैं शिकायत भी जिलाधीश सहित विभागीय मंत्री एवम मुख्यमंत्री से की गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई और उनकी मनमानी जारी है। कुल मिलाकर सभी जगह एक सा ही हाल नज़र आ रहा है और सरकारी तंत्र सुशासन की सरकार के दावों की पोल खोलता नजर आ रहा है।
मनेद्रगढ में भी नगरपालिका उपाध्यक्ष कांग्रेस नेता ने आंदोलन की दी है चेतावनी
अपनी ही सरकार में सत्ताधारी दल के नेता केवल कोरिया जिले में ही परेशान हैं ऐसा नहीं है नवीन जिले एमसीबी में भी कांग्रेस नेताओं का ज्ञापन समाने आया है जिसमे आंदोलन की चेतावनी दी गई है। कांग्रेस नेताओं की बात यदि अधिकारी सुनने में रुचि लेते आंदोलन की बात नेता नहीं करते यह सत्य है लेकिन अधिकारियों पर नियंत्रण न कर पाने की वजह से अब कांग्रेस नेताओं को भी आंदोलन का सहारा लेना पड़ रहा है जो विकट स्थिति है।
प्रशासनिक अराजकता की स्थिति मिल रहा बल
जगह जगह अपनी ही सरकार में कांग्रेस नेताओं को ज्ञापन देना पड़ रहा है धरना देना पड़ रहा है सड़कों पर विपक्ष के साथ बैठना पड़ रहा है यह सभी कुछ इस बात की ओर इशारा कर रहा है की प्रशासन बेलगाम हो चुका है और अराजकता हावी हो चुकी है वरना अपनी ही सरकार में आदेश देने की स्थिति में रहने वाले नेताओं को विपक्ष के साथ सड़कों पर नहीं बैठना पड़ता और विरोध नहीं करना पड़ता।
जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों की है कमजोरी वरना नहीं आती ऐसी नौबत
सत्ताधारी दल के नेताओं को सड़कों पर बैठने की नौबत आई यदि इसके पीछे के कारणों पर ध्यान केंद्रित करें तो एक ही बात सामने आएगी और वह यह की जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों खासकर विधायक की यह कमजोरी मानी जायेगी और माना जायेगा की उन्हे अपने ही दल के लोगों की समस्याओं से कोई वास्ता नहीं रह गया है और वह अपनी ही दुनिया में मस्त हैं। विधायक यदि सक्रिय रहते अपने लोगों को लेकर गंभीर होते प्रशासनिक अराजकता की स्थिति कभी समाने नहीं आती यह सत्य है।
जनपद सीइओ की ईमानदारी नेताओं के विरोध की है वजह यह भी है चर्चा
वैसे चर्चा जो लोगों के बीच जारी है उसके अनुसार जनपद सीइओ बैकुंठपुर ईमानदार छवि के अधिकारी हैं और वह बिना कार्य मूल्यांकन के कोई भी राशि भुगतान नहीं होने देने के पक्ष में खड़े रहते हैं,सीइओ लेनदेन सहित कमीशन मामले में ध्यान नहीं देते और जायज कामों का ही भुगतान हो इसकी मंजूरी देते हैं और यही नेताओं को खटक रहा है और वह उनका तबादला चाहते हैं। अब बात जो भी हो फिर भी सत्ताधारी दल के नेताओं का सड़क पर बैठना जरूर एक नया नजारा था जिसे सभी ने देखा।


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