मनेंद्रगढ़@क्या निरीक्षक बनकर भी वर्दी से परहेज रखेंगे बरकरार,उप निरीक्षक थे तब भी नजर आते थे बिना वर्दी?

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  • मनेंद्रगढ़ थाना प्रभारी के लिए पुलिस वर्दी की नहीं है अहमियत, क्या उन्हें वर्दी पहनने में होती है ग्लानि?
  • जब प्रोटोकॉल में भी बिना वर्दी नजर आने लगेंगे थाना प्रभारी निरीक्षक तो उठेंगे ही सवाल,देना होगा विभाग को जवाब
  • बिना वर्दी के फिर नजर आए उप निरीक्षक से निरीक्षक बने मनेंद्रगढ़ थाना प्रभारी
  • राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त भरतपुर सोनहत विधायक के कार्यक्रम में प्रोटोकॉल के तहत निरीक्षक थे उपस्थित
  • मनेंद्रगढ़ शहर के बहरूपिया प्रतियोगिता में सविप्रा उपाध्यक्ष भरतपुर सोनहत विधायक हुए थे शामिल
  • प्रतियोगिता के दौरान प्रोटोकाल के तहत मनेंद्रगढ़ पुलिस थाना प्रभारी के नेतृत्व में थी कानून व्यवस्था के लिहाज से उपस्थित
  • पुलिस थाने के अन्य कर्मचारी नजर आए वर्दी में,अकेले निरीक्षक ही नजर आए बिना वर्दी

रवि सिंह –
मनेंद्रगढ़ 31 दिसम्बर 2022 (घटती-घटना)। एमसीबी जिले के जिला मुख्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान प्रोटोकाल के तहत सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा सम्हाल रहे पुलिस थाना मनेंद्रगढ़ के थाना प्रभारी को बिना वर्दी देखा गया है और ऐसा पहली बार नहीं हुआ है वह कई बार बिना वर्दी के ही नजर आते रहें हैं चाहे बात थाना परिसर की हो या फिर किसी कार्यक्रम के दौरान प्रोटोकाल का पालन करने के दौरान की ही बात क्यों न हो। अब तो मनेंद्रगढ़ थाना प्रभारी को बिना वर्दी देखने की लोगों को आदत पड़ गई है और लोग भी यह सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि कहीं न कहीं मनेंद्रगढ़ थाना प्रभारी को वर्दी पहनने में दिक्कत महसूस होती है और उन्हें कहीं न कहीं ग्लानि का आभास होता है इसलिए ही वह वर्दी नहीं पहनते हैं और बिना वर्दी नजर आते हैं प्राय।

क्या राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त विधायक को थाना प्रभारी नहीं मानते प्रोटोकाल के लायक?
वैसे मामले में यदि देखा जाए तो यह भी सवाल उठता है कि क्या थाना प्रभारी राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त विधायक को प्रोटोकाल देने के लायक नहीं मानते और इसीलिए उन्होंने वर्दी नहीं पहनी और बिना वर्दी नजर आये। वैसे जैसा लोगों का भी कहना है कि थाना प्रभारी की पकड़ विधायक से भी ऊंची है और वह खुद ऊपर तक पहुंच की बात करते रहते हैं और इसीलिए वह विधायक की उपस्थिति में भी अपनी ही मनमानी करते हैं और अपने अनुसार ही अपने नियम बनाकर चलते हैं।

कार्यक्रम में अन्य पुलिसकर्मियों को देखा गया वर्दी में
वहीं यदि कार्यक्रम के दौरान अन्य पुलिसकर्मियों की पोशाक की बात की जाए तो सभी वर्दी में नजर आए और पूरी तरह प्रोटोकाल का पालन करते देखे गए। अन्य पुलिस कर्मियों को वर्दी की कीमत उसकी आन बान शान से समझौता करते नहीं देखा गया और सभी पूरे उत्साह में अपने काम पर नजर आए।
मनेंद्रगढ़ थाना प्रभारी नहीं थे वर्दी में,क्या वरिष्ठ अधिकारी मांगेंगे जवाब
पूरे मामले में यह भी एक सवाल है कि क्या मनेंद्रगढ़ थाना प्रभारी को बिना वर्दी कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी सम्हालने की छुट वरिष्ठ अधिकारियों ने दे रखी है क्या वरिष्ठ अधिकारी भी थाना प्रभारी को वर्दी पहनकर अनुशासन में रहना नहीं सीखा पा रहे और यदि ऐसा नहीं है तो क्या ताजा मामले में जिसमे स्वयं भरतपुर सोनहत विधायक की उपस्थिति थी और एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित था जिसमे थाना प्रभारी बिना वर्दी नजर आए मामले में थाना प्रभारी से वरिष्ठ अधिकारी जवाब लेंगे और जवाब लेकर कार्यवाही करेंगे।

वर्दी के लिए मिलता है पुलिसकर्मियों को भत्ता, वर्दी पहनना है अनिवार्य
पुलिस विभाग के कर्मचारियों को कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी मिली हुई है और उनके लिए अन्य शासकीय विभाग के कर्मचारियों से अलग वर्दी पहनने की अनिवार्यता इसलिए तय की गई है क्योंकि उन्हें अपने कर्तव्य निर्वहन के दौरान पहचान बताने की जरूरत न हो और वह निर्बाध होकर अपना कर्तव्य निर्वहन कर सकें वहीं उन्हें वर्दी के लिए भत्ता भी प्रदान किया जाता है शायद यह जानकारी अनुसार सही भी है और इसलिए पुलिसकर्मियों को अधिकारी हों या आम पुलिसकर्मी सभी को वर्दी पहनना अनिवार्य है। अब ऐसे में महत्वपूर्ण एवम अनिवार्य होते भी वर्दी न पहनना कहीं न कहीं स्वयं को वर्दी से भी ऊपर मानने जैसा है और इसी वजह से मनेंद्रगढ़ थाना प्रभारी वर्दी नहीं पहनते हैं यह माना जा सकता है।
बहरूपिया प्रतियोगिता के दौरान राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त विधायक भरतपुर सोनहत के प्रोटोकाल के दौरान की है बात
पुलिस थाना मनेंद्रगढ़ के थाना प्रभारी जो अभी अभी उप निरीक्षक से निरीक्षक पद पर पदोन्नति प्राप्त किये हैं उन्हें बहरूपिया प्रतियोगिता के दौरान राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त भरतपुर सोनहत विधायक के कार्यक्रम में शामिल होने के दौरान बिना वर्दी देखा गया है जबकि इस दौरान वह थाना प्रभारी मनेंद्रगढ़ की हैसियत से कानून व्यवस्था का जिम्मा सम्हाल रहे थे और वह कहीं न कहीं अतिथि का प्रोटोकाल पालन कर रहे थे। कार्यक्रम में उन्हें बिना वर्दी देखे जाने पर कई लोग खुद से प्रश्न करते नजर आए और उन्होंने माना कि निरीक्षक साहब को वर्दी से लगाव नहीं है और वह वर्दी की कीमत और उसके महत्व से अनजान हैं।


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