जांच प्रतिवेदन मिलने के महीनों बाद दोषी व्याख्याता के खिलाफ एफ आईआर और निलंबन के दिए आदेश
बिलासपुर,19 दिसम्बर 2022 (ए)। जिले के ग्राम बेलतरा स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला में सन 2019 में हुए 77 लाख रूपये के गबन का मामला उजागर हुआ। मगर अब जाकर इस मामले में संचालक लोक शिक्षण द्वारा एक व्याख्याता को निलंबित करने के साथ ही उसके और लिपिक के खिलाफ स्नढ्ढक्र दर्ज करने का आदेश दिया गया है। इस मामले में गड़बड़ी के एक आरोपी व्याख्याता की पहले ही मौत हो चुकी है।
एरियर्स की राशि डाल दी व्याख्याता के खाते में
विकास खंड बिल्हा के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बेलतरा में एक साल के दौरान ऐसा घोटाला हुआ कि किसी को कानों कान खबर नहीं हुई। इस विद्यालय में व्याख्याता मूल पद के स्व. प्यारे लाल मरावी के पास डीडी पॉवर याने आहरण संवितरण अधिकार था। जांच में यह खुलासा हुआ कि उनके द्वारा नवंबर 2018 से अक्टूबर 2019 के बीच कुल 22 देयकों के माध्यम से गैरकानूनी तरीके से एरियर्स के कुल 77 लाख 71 हजार रूपये आहरित कर अपने ही विद्यालय में पदस्थ व्याख्याता (तत्कालीन प्रभारी प्राचार्य) पी एल कुर्रे के बचत एवं जीपीएफ खाते में जमा कर दिया गया। इस कृत्य में लिपिक कैलाश सूर्यवंशी की मिलीभगत भी सामने आयी।
अधिकांश रकम निकाल ली व्याख्याता ने
जांच के दौरान पता चला कि व्याख्याता पी एल कुर्रे द्वारा अपने बचत खाते में जमा अधिकांश राशि निकल ली गई। कुर्रे को यह जानकारी थी कि अनधिकृत एरियर्स की राशि निकाल कर उसके खाते में डाली गई है, बावजूद इसके उसने इसकी सूचना न तो विभाग को दी, और न ही उक्त राशि शासन के पक्ष में जमा की गई। जब तक यह मामला उजागर हुआ तब तक व्याख्याता प्यारे लाल मरावी का निधन हो चुका था।
प्राचार्य के प्रयासों से मामले का हुआ खुलासा
77 लाख के इस घोटाले का खुलासा इसी वर्ष 2022 में हुआ। दरअसल जब यहां के प्राचार्य एन पी राठौड़ लंबे अवकाश पर गए और उनका प्रभार व्याख्याता पुन्नीलाल कुर्रे को सौंपा गया। फिर क्या था, कुर्रे ने अपने स्टाफ के साथ मिलीभगत करके एरियर्स की लगभग पूरी राशि का गबन कर डाला। एन पी राठौड़ जब छुट्टी से वापस लौटे तब प्रभारी प्राचार्य के रूप में कार्यरत पुन्नीलाल कुर्रे ने न तो उन्हें प्रभार वापस सौंपा और न ही बाबू कैलाश सूर्यवंशी ने दस्तावेज लौटाए। ष्ठश्वह्र से शिकवा-शिकायत के बाद राठौड़ को प्रभार वापस मिला। इसके बाद एन पी राठौड़ ने दस्तावेज खंगाले तो पाया कि पुन्नीलाल कुर्रे और अन्य कर्मचारियों ने किस तरह सरकारी रुपयों का गबन किया है।
इस मामले में गड़बड़ी उजागर होने के बाद डीईओ दिनेश कौशिक ने कैलाश सूर्यवंशी को तो निलंबित कर दिया मगर व्याख्याता के खिलाफ कार्यवाही का अधिकार नहीं होने के चलते उन्होंने इसके लिए संचालक, लोक शिक्षण डीपीआई के कार्यालय में भेजा। मगर तब कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब जब यह मामला सुर्खियों में आया तब डीपीआई ने व्याख्याता पी एल कुर्रे को निलंबित करने के साथ ही उसके खिलाफ एफ आईआर दर्ज करने के आदेश भी दिए गए। इसीके मद्देनजर डीईओ दिनेश कौशिक आज इस मामले में व्याख्याता कुर्रे और लिपिक सूर्यवंशी के खिलाफ एफ आाईआर दर्ज कराने के लिए थाने पहुंचे।
डीपीआई में कई फाइलें पेंडिंग में
दरअसल शिक्षा विभाग में ये पहला मामला नहीं है, जिसमे घोटालेबाजों के खिलाफ कार्रवाई में विलंब हुआ हो। ऐसे कई शिक्षा अधिकारी और अन्य कर्मचारी हैं, जो विभागीय जांच में दोषी भी पाए गए हैं, मगर उनके खिलाफ अब तक कार्रवाई लंबित हैं। ताजा मामला कोरबा जिले के पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक में पदस्थ रहे बीईओ लोकपाल सिंह जोगी से जुड़ा है, जिन्होंने बाबुओं के साथ मिलकर ग़ैरक़ानूनी तरीके से कई शिक्षक और कर्मचारियों की लंबी छुट्टी स्वीकृत करके लाखों रुपयों का भुगतान कर दिया। इस मामले में जोगी के अधीनस्थ कर्मियों को तो निलंबित कर दिया गया है, मगर जोगी को उपकृत करते हुए उन्हें तबादले पर बिलासपुर जिले के तखतपुर में बीईओ के पद पर पदस्थ कर दिया गया है। इनके अलावा पूर्व में निलंबित किये गए अनेक शिक्षाधिकारी तो डीपीआई कार्यालय या फिर संभागीय कार्यालय में बतौर उप संचालक अटैच कर दिए गए, जिनके खिलाफ महीनों और सालों बाद भी कार्रवाई नहीं हुई है। देखना है कि ऐसे भ्रष्ट लोगो के खिलाफ डीपीआई कार्यालय द्वारा अब भी कठोर रवैया अपनाया जाता है या नहीं।
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