प्रतापपुर, 06 दिसम्बर 2022 (घटती-घटना)। वनपरीक्षेत्र प्रतापपुर में मनरेगा के तहत वन विभाग द्वारा निर्मित यह आवर्ती चराई क्षेत्र विकास कार्य दरअसल भ्रष्टाचार की चारागाह बन कर रह गई है। मामला वन परीक्षेत्र प्रतापपुर के धरमपुर सर्किल बगडा रोड के जंगल किनारे बने आवर्ती चराई क्षेत्र विकास योजना का जो र्भ्ष्टाचार एवं अनियमितता को भेंट चड गया है लाखों रुपये खर्च कर पशुओं के चराई के लिए जंगल किनारे चारों ओर सिंचाई नाले का गड्डा खोदा गया है ताकि पशु आरक्षित क्षेत्र से बाहर न जा सकें, साथ में जंगल से पेड़ों की कटाई कर एक छपरी बनाया गया है ताकि पशु चराई करने के बाद विश्राम कर सकें। एक तरफ तो वन विभाग कहती है कि पेड़ों की कटाई न करें, अधिक से अधिक पेड़ लगायें किंतु खुद वो अपने बातों पर कितना अमल करती है आप यहां आकर देख सकते हैं। छपरी में खंभे के रूप में उपयोग में लाये गये ये वृक्ष भविष्य में बड़े वृक्ष बनकर वनोपज देकर वनवासियों के जीवन में खुशहाली लाने में सहायक होती किंतु चंद रुपयों की लालच में वन विभाग की बलि चढ़ गए । इस तरह के मामले में प्रशासन को स्वतः संज्ञान लेना चाहिए लेकिन शासन और प्रशासन के मिली भगत से यहां पेड़ो की कटाई कर पेड़ों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। ये जो चराई क्षेत्र देख रहे हैं इसमें आज तक एक भी बैल-बकरी चराई करने नहीं आये ऐसे में इस चराई क्षेत्र बनाने का क्या औचित्य मतलब साफ है जनता के पैसों का किसी तरह बंदरबांट कर लिया जाये।
मामले में आशुतोष भगत उप वन मंडल अधिकारी ने कहा है कि आवर्ती चराई क्षेत्र विकास कार्य के तहत धरमपुर जंगल मे कार्य प्रारंभ है तूफान एवं बरसात के चलते छपरी छतिग्रस्त हो गया है । यहां पेड़ों की कटाई नही की गई है पेड़ो से छाटें गए छोटे डहलियों के लड़की टुकड़ों का ही इसमे उपयोग किया गया है । वहीं निर्माण कार्य के संबंध में मुझे जानकारी नहीं मिली है अगर निर्माण कार्य सही ढंग से नहीं हो रहा है तो उसे जल्द से जल्द सुधार किया।
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