- पदोन्नति में हो रहे विलंब को लेकर 28 नवंबर को मनेंद्रगढ़ से बैकुंठपुर के लिए निकलेगी पदयात्रा।
- जिलेभर के जनप्रतिनिधियों के लिए भी है यह सोचनीय विषय,आखिर क्यों शिक्षकों को फिर से उतरना पड़ रहा है सड़कों पर।
- अविभाजित कोरिया जिले में संयुक्त पदोन्नति हेतु जारी है प्रक्रिया,प्रदेश भर में पदोन्नति हो चुकी कोरिया जिला है पीछे।
- अविभाजित कोरिया जिले के तीनों विधायक भी मामले में मौन,बने हुए हैं अनजान।
- क्या सड़कों पर शिक्षकों के उतरने को लेकर जनप्रतिनिधियों को नहीं है सूचना।
- शासन प्रशासन की नाकामी साबित करने शिक्षकों का यह अनोखा प्रदर्शन अब तय करेगा पदोन्नति का रास्ता।
- पदोन्नति में हो रहे विलंब को लेकर 28 नवंबर को मनेंद्रगढ़ से बैकुंठपुर के लिए निकलेगी पदयात्रा।
- जिलेभर के जनप्रतिनिधियों के लिए भी है यह सोचनीय विषय,आखिर क्यों शिक्षकों को फिर से उतरना पड़ रहा है सड़कों पर।
- अविभाजित कोरिया जिले में संयुक्त पदोन्नति हेतु जारी है प्रक्रिया,प्रदेश भर में पदोन्नति हो चुकी कोरिया जिला है पीछे।
- अविभाजित कोरिया जिले के तीनों विधायक भी मामले में मौन,बने हुए हैं अनजान।
- क्या सड़कों पर शिक्षकों के उतरने को लेकर जनप्रतिनिधियों को नहीं है सूचना।
- शासन प्रशासन की नाकामी साबित करने शिक्षकों का यह अनोखा प्रदर्शन अब तय करेगा पदोन्नति का रास्ता।
बैकुण्ठपुर 26 नवम्बर 2022 (घटती-घटना)। विद्यालय में पढ़ाने की बजाए शिक्षक अब फिर एकबार सड़कों पर नजर आएंगे और अबकी बार वह जिला स्तर पर अपनी पदोन्नति की समस्या को लेकर सड़कों पर उतरेंगे और शासन प्रशासन की नाकामी साबित करेंगे। शिक्षा विभाग में सहायक शिक्षक से प्राथमिक शाला प्रधानपाठक पद पर पदोन्नति होनी है और प्रदेश भर में लगभग हर जिले में पदोन्नति की कार्यवाही पूर्ण कर ली गई है वहीं अविभाजित कोरिया जिले में अभी तक पदोन्नति नहीं हो सकी है और अभी और समय लगने की उम्मीद है और इसी स आक्रोशित होकर अब शिक्षक पदोन्नति के लिए पदयात्रा निकाल रहें हैं जो मनेंद्रगढ़ से बैकुंठपुर के लिए निकलेगी।
बता दें कि यह पदोन्नति संयुक्त जिले कोरिया व एमसीबी की एकसाथ होने वाली है और इसे कोरिया जिले से ही किया जाना है। पदोन्नति की प्रक्रिया जिले में जारी तो है और इसमें लगभग 800 लोगों के लाभान्वित होने का अनुमान है लेकिन अत्यधिक विलंब के कारण शिक्षकों को सड़कों पर उतरना पड़ रहा है और जो कहीं न कहीं विभागीय उदासीनता का परिचायक है। अविभाजित कोरिया जिले में तीन तीन विधायकों साथ ही राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त विधायकों के होने के बावजूद शिक्षकों को सड़क पर उतरना पड़ रहा है यह भी बड़ा अजीब मामला है। जिले के जनप्रतिनिधियों को जिले के शिक्षकों के हितों से कोई लेना देना नहीं है और जनप्रतिनिधियों को शिक्षकों की समस्याओं को सुनने और उसे जानने का कोई प्रयास करते नहीं देखा जाता है और उसी की परिणीति है कि शिक्षक पदयात्रा के लिए मजबूर हैं। शासन प्रशासन जनप्रतिनिधियों से हार चुके शिक्षक अब आंदोलन को अपना हथियार बनाने जा रहें हैं और वह सोमवार को सड़कों पर नजर आएंगे और शासन के सर्व विकास के दावे की पोल खोलेंगे। शिक्षक नेता पवन दुबे ने इस यात्रा का आगाज किया है और वह इसकी सफलता के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रहें हैं। पवन दुबे ने यात्रा का कारण पदोन्नति में विलंब को बताया है और वह विभाग की उदासीनता से दुखी हैं यह भी उनका कहना है। अब देखना है कि शासन प्रशासन शिक्षा विभाग और जनप्रतिनिधि इस पदयात्रा स सिख लेकर अपनी कुम्भकर्णीय निद्रा से जगते हैं या पहले की ही तरह सोए रहते हैं जिससे आंदोलन जैसा रास्ता शिक्षकों को अख्तियार करना पड़ता रहे। जिले की शिक्षा विभाग में जिले के तीनों विधायकों की सुनवाई नहीं होती यह भी एक कारण बताया जाता है की वह शिक्षा विभाग में अपना दबाव नहीं डाल पाते कुलमिलाकर जिले का शिक्षा विभाग जिले के जनप्रतिनिधियों की भी उदासीनता साबित कर रहा है जहां सभी मौन हैं।