बैकुण्ठपुर @क्या पुलिस के नजर में हत्या,चोरी,डकैती,मारपीट ही है केवल अपराध, अवैध कारोबार करना या कराना क्या पुलिस की नजर में नहीं है अपराध?

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  • क्या जिलेवासियों की जगह तस्करों की सुविधा के लिए जिला प्रशासन कर रहा काम?
  • रेत जिलेवासियों तक न पहुँचे प्रशासन हुआ सख्त,राजस्व खनिज सहित यातायात विभाग को जिम्मेदारी
  • जिले का खनिज संसाधन तस्करी कर अन्य राज्यों को भेजे जाने मामले में यही सख्ती बदल जाती है नरमी में
  • उठ रहा है सवाल,जिले का खनिज जिलेवासियों के उपयोग के लिए नहीं क्या अन्य राज्यों की क्या है पहली प्राथमिकता?
  • जिलेवासियों तक रेत न पहुंचे प्रशासन हुआ सख्त, राजस्व खनिज एवम यातायात विभाग को खनिज पकड़ने मिली जिम्मेदारी
  • रेत माफियाओं द्वारा रेत जिले सहित राज्य से बाहर भेजे जाने पर प्रशासन रहता है मौन,नहीं करता कार्यवाही
  • जिले के अन्य खनिज संपदाओं की भी अवैध तरीके से हो रही लूट, प्रशासन इसको लेकर नहीं है गंभीर

रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 23  नवम्बर 2022 (घटती-घटना)। इस समय जिस प्रकार से पुलिस की कार्यप्रणाली देखी जा रही है उसे लेकर एक सवाल सभी के मन में आ रहा है वह सवाल है की क्या पुलिस के लिए हत्या, चोरी, डकैती, मारपीट, फर्जीवाड़ा सहित कई तरह के अपराध ही केवल अपराध हैं और वहीं अवैध कारोबार जिस तरीके से हो रहा है वह क्या अपराध नहीं है? क्या उसे पुलिस अपने लिए लाभ अर्जन का जरिया मान रही? जब हत्या, डकैती, लूटपाट, मारपीट जैसे अपराध पुलिस के सामने आते हैं तो वह अपनी साख को बचाने के लिए संलिप्त आरोपियों को पकड़ने के लिए जी जान लगा देती है पर जब अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने की बारी आती है तो पुलिस प्रशासन में क्यों वह तत्परता नहीं दिखती जो बाकी मामलों में दिखती है? पुलिस की तत्परता जिस प्रकार बाकी अपराधों के आरोपियों तक पहुंचने में दिखती है वैसी तत्परता अवैध कारोबार को बंद करने में भी दिखती तो शायद सामाजिक बुराइयों पर अंकुश लगाया जा सकता था और एक भय मुक्त वातावरण बनाया जा सकता था? ऐसी स्थिति क्यों निर्मित नहीं होती क्या इसके पीछे पुलिस अपना स्वार्थ देखकर लाभ अर्जन करना चाहती है? क्या यही वजह है कि अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने में पुलिस नाकाम हो जाती है और जब पुलिस पर सवाल उठने लगते हैं तो फिर पुलिस सवाल उठाने वालों पर अपने वर्दी का रौब क्यों दिखाने लगती है? क्या सवाल पूछने का अधिकार नहीं है? क्योंकि आप खाकी वाले हो? आपसे सवाल कोई नहीं कर सकता? क्योंकि आपका ही सवाल आप के आड़े आता है कि कहीं सवाल पूछने पर खाकी के अंदर की मानवता छोड़ सवाल पूछने वालों के पीछे पड़ जाएंगे जो उनके अवैध कारोबार के लाभ अर्जन में बाधा बनते हैं?
कोरिया जिले में प्रशासन रेत जिलेवासियों तक न पहुंचे इसको लेकर काफी सक्रिय नजर आ रहा है और इसके लिए जिले के राजस्व, खनिज, पुलिस विभाग सहित यातायात विभाग को जिम्मेदारी दी गई है जो लगातार रेत परिवहन कर रहे वाहनों को पड़कर उनपर चालानी कार्यवाही कर रहें हैं और जिससे जिले में रेत की जरूरत रखने वाले जिलेवासी परेशान हैं। विगत वर्ष तक रेत का उठाव टेंडर प्रक्रिया के अंतर्गत रेत की खदान प्राप्त किये रेत ठेकेदारों द्वारा किया जाता था और वह रेत को जब मनमानी दर पर बेचा करते थे और नियम कायदों को ताक पर रखकर जब रेत उठाव करते थे तब प्रशासन मौन रहता था और तब भी जिलेवासी ही परेशान हुआ करते थे और उन्हें सड़कों तक पर आकर विरोध दर्ज करना पड़ता था और जैसा कई बार देखा भी गया था। जब टेंडर प्रक्रिया अंतर्गत रेत खदान प्राप्त किये ठेकेदार रेत उत्खनन कर रेत बिक्री किया करते थे तब वह अपनी मनमानी पर उतारू रहा करते थे और शासन द्वारा निर्धारित दर से अधिक दर पर वह रेत जिलेवासियों को बेचा करते थे वहीं अब जब रेत खदानों का टेंडर जिले में समाप्त हो चुका है तब भी जिलेवासी ही परेशान हो रहे हैं और रेत के लिए उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। रेत खदानों का जब टेंडर प्रक्रिया अंतर्गत नीलामी हुआ था तब जिन ठेकेदारों ने रेत खदान प्राप्त किया था वह जिले की रेत को बड़ी बड़ी गाडि़यों से अन्य राज्यों को भी भेजा करते थे जिसपर प्रशासन मौन रहा करता था इस समय स्थानीय स्तर पर ही रेत को लेकर कार्रवाई जारी है जिस प्रकार से कार्यवाही हो रही हैं उसे लेकर स्थानीय लोगों को ही रेत मिलना बड़ा मुश्किल हो गया, रेत बेच कर अपना घर चलाने वाले लोगों के पीछे पूरी विभाग ही पड़ गई है, जगह जगह कार्यवाही हो रही हैं और कार्यवाही अभी सिर्फ एक विभाग ही नहीं, जिले के सारे विभाग से रेत कार्यवाही पर टूट पड़े हैं, ऐसे में उन गरीबों के लिए समस्या खड़ी हो गई है जो ट्रैक्टर चलाकर लोगों के घर रेत पहुंचा कर अपना जीवन यापन करते थे।
क्या खनिज संपदाओं की लूट में सफेदपोश शामिल,क्या यही शासकीय विभाग के मौन की वजह हैं?
जिले में रेत का मामला हो या कोयले की चोरी का मामला हो अविभाजित कोरिया जिले के खनिज संपदाओं का जमकर दोहन रेत माफिया और कोयला चोर कर रहें हैं पूरे मामले में जहां जिले का खनिज विभाग मौन रहता है वहीं जिले का राजस्व विभाग और पुलिस विभाग भी मामले में अनभिज्ञ बना रहता है क्योंकि खनिज संपदाओं की लूट सफेदपोश लोग कर रहें हैं और जिन्हें राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त है वहीं खनिज संपदाओं की लूट में सभी शासकीय विभागों का हिस्सा भी तय रहता है और जिस वजह से भी शासकीय विभाग मामले में मौन साधे रहते हैं और जिले में अवैध कारोबार के संरक्षक की भूमिका निभाते हैं।
कोयला हो या रेत दोनों ही जिले से अन्य राज्यों को भेजे जा रहे
कोयला हो या रेत दोनों ही जिले से अन्य राज्यों को भेजा जा रहा है और जो दिनदहाड़े भेजा जाता है और सभी शासकीय विभागों को इसकी जानकारी भी रहती है फिर भी इसे रोकने कोई सामने नहीं आता और यह कारोबार तेजी से बढ़ता जा रहा है वहीं पुलिस हत्या ,चोरी,सहित अन्य मामलों को ही मात्र अपराध कि श्रेणी में रखकर अपनी जिम्मेदारी निभा रही है और अवैध कारोबार मामले में आंखे मूंदे बैठी रहती है। कुल मिलाकर जिले की खनिज संपदाओं की लूट मची हुई है और लूट में शामिल चोरों को अपराधी मानने से पुलिस भी कतराती है। जिले में जनप्रतिनिधियों को साथ ही साथ विपक्ष के नेताओं को भी अवैध कारोबार मामले में मौन देखा जा रहा है और जिससे यह साबित हो रहा है कि कहीं न कहीं सभी इस अवैध कारोबार एवम कारोबारियों को लेकर मुश्किल में हैं और कुछ भी कह पाने की स्थिति में नहीं हैं। जिले के जनप्रतिनिधियों का मौन और जिले की खनिज संपदाओं की खुलेआम लूट के बीच यह भी बात कहना गलत नहीं होगा कि जिले में न तो सरकार लोककल्याणकारी राज्य की परिकल्पना लागू करा पा रही है और न ही अवैध कारोबारियों सहित प्रशासनिक तंत्र पर ही जनप्रतिनिधियों का नियंत्रण है। जिले में पूरी तरह अराजगता हावी है और लूट का सिलसिला जारी है जो लगातार देखा जा रहा है।
कुछ महत्वपूर्ण सवाल
सवाल: क्या पुलिस के नजर में हत्या, चोरी, डकैती, मारपीट ही अपराध, अवैध कारोबार करना या कराना क्या अपराध नहीं?
सवाल: क्या सभी तरह की रोक केवल जिलेवासियों के लिए, अन्य राज्यों और जिलों के लिए अवैध उत्खनन व परिवहन भी है वैध?
सवाल: क्या जिलेवासियों की जगह तस्करों की सुविधा के लिए जिला प्रशासन कर रहा काम?
सवाल: रेत पकड़ने के लिए पुलिस, यातायात पुलिस, खनिज, तहसीलदार व एसडीएम सब चौकाने, अवैध कारोबार करने वाले के खिलाफ क्यों कोई चौकन्ना नहीं?
सवाल: क्या जिलेवासियों के लिए ही रेत पर है प्रतिबंध, क्या तस्करों के लिए नहीं हैं नियम कानून?
सवाल: क्या अवैध कारोबार से पुलिस को लाभ, बाकी सब अपराध?
सवाल: क्या लाभ अर्जन की वजह से अवैध कारोबार फल फूल रहा?


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