नई दिल्ली,22 नवंबर 2022(ए )। महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं हैं और देश के विकास में महिलाओं का बड़ा योगदान है। अब सैनिक बन कर देश की सेवा कर रहीं लेकिन महिलाओं पर भेदभाव कर उनके मनोबल और देश सेवा के प्रति उनके उत्शाह को कम करने का काम किया जा रहा है। सेना में महिला और पुरुष के बीच हो रहे भेदभाव पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दरअसल सेना की उन 34 महिला अधिकारियों ने प्रमोशन में देरी का आरोप लगाया है, जिन्हें 2020 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर स्थायी कमीशन दिया गया था। महिला अधिकारियों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस पर एक हफ्ते में जवाब मांगा है। चीफ जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने कहा कि इन सभी महिलाओं को वरिष्ठता दी जाए। 34 महिला अधिकारियों ने आरोप लगाया कि विशेष चयन बोर्ड भेदभाव कर रहा है। उन्होंने दावा किया कि उन पुरुष अधिकारियों के नाम भी प्रमोशन के लिए बढ़ाए गए, जो उनसे बहुत जूनियर हैं। कोर्ट ने सेना की ओर से पेश हुए सीनियर वकील आर बालासुब्रमण्यन से पूछा कि आप पुरुष अधिकारियों के लिए चयन बोर्ड का गठन कर रहे हैं, जबकि महिलाओं के लिए नहीं। आखिर ऐसा क्यों किया जा रहा है?
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