बैकुण्ठपुर@क्या संवेदनशीलता प्रकट करने में भाजपाई अव्वल, कांग्रेस में नहीं दिखी संवेदनशीलता की झलक?

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  • भाजपा से पूर्व विधायक के निधन पर भाजपा के बड़े नेताओं ने खुद पहुंचकर अर्पित की श्रधांजलि।
  • सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष की पत्नी के देहांत पर नहीं पहुंचा कोई भी बड़ा कांग्रेसी।
  • पूर्व विधायक के निधन उपरांत भतीजे द्वारा ब्रह्मभोज, श्रद्धांजलि व शांतिसभा का हुआ आयोजन।
  • अपने पुर्व विधायक के श्रद्धांजलि व शांतिसभा में भाजपा के बड़े नेता हुए शरीक।
  • जिले में होने के बावजूद 1 2 नंबर विधायक नहीं पहुंचे, निधन के 15 दिन बाद मिला समय तो औपचारिकता निभाने पहुंचे जिलाध्यक्ष के घर।

रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर 7 नवम्बर 2022 (घटती-घटना)। संवेदनशीलता मामले में यदि जिले की दो राष्ट्रीय पार्टियों की बात करें तो भाजपा अव्वल नजर आई और अपने पूर्व विधायक की मृत्यु पर बड़े भाजपा नेताओं ने भी अंतिम कार्यक्रम में सम्मिलित होकर अपने नेता को अंतिम विदाई दी जहां केंद्रीय मंत्री से लेकर प्रदेश के प्रदेशाध्यक्ष व पूर्व मंत्री व विधायक मौजूद रहे। पार्टी नेता को अंतिम विदाई देते समय भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने अपने कंधे पर भी उठाकर अपने नेता को विदाई दी जो अपने दल के नेता के प्रति सम्मान भरा पल रहा जो भावुक पल भी रहा,वहीं यदि सत्ताधारी दल कांग्रेस की बात की जाए तो अभी कुछ दिनों पहले ही कोरिया जिले के जिलाध्यक्ष की पत्नी का देहावसान हुआ और उनकी भी अंतिम विदाई हुई लेकिन कोई भी बड़ा कांग्रेस नेता इस दुख की घड़ी में जिलाध्यक्ष कांग्रेस के साथ खड़ा नहीं दिखा और न ही बाद में ही आकर जिलाध्यक्ष के गम में शरीक हुआ, अपने कोरिया जिले एवम एमसीबी जिला प्रवास पर पहुंचे कांग्रेस पार्टी के नेता एवम स्वास्थ्य मंत्री अम्बिकापुर विधायक ही केवल जिलाध्यक्ष कांग्रेस के गम में शरीक होने उनके निवास पर पहुंचे।
भाजपा में संवेदनशीलता अपनत्व अपने लोगों के प्रति कितना है और संस्कार किस कदर है इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्वयं केंद्रीय राज्यमंत्री पूर्व भाजपा विधायक की अंतिम यात्रा में शामिल देखीं गईं। भाजपा के पूर्व विधायक की मृत्यु उपरांत उनके शोक सभा एवम तेरहवीं कार्यक्रम में भी जिलेभर के नेता भाजपा के शामिल हुए और परिवार की ही भांति उपस्थित होकर पूर्व विधायक के परिवार का गम बांटते देखे गए। सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी में आपसी संवेदनशीलता पार्टी के लोगों के बीच ही अपनत्व की भावना बिल्कुल कमजोर हो चुकी है ऐसा कहना गलत नहीं होगा,वैसे सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष अभी वर्तमान में अविभाजित कोरिया जिले के ही जिलाध्यक्ष हैं और एमसीबी जिले के लिए नए जिलाध्यक्ष की घोषणा नहीं हुई है बावजूद इसके एमसीबी जिले के कांग्रेस नेताओं को भी जिलाध्यक्ष के गम में उन्हें ढाढस बंधाते किसी नेता या पार्टी सदस्य को नहीं देखा गया।

अपने पुर्व विधायक के श्रद्धांजलि व शांतिसभा में भाजपा के बड़े नेता हुए शरीक
भाजपा नेता और‌ पूर्व विधायक मनेन्द्रगढ़ श्रद्धेय स्व.दीपक पटेल जी के श्रद्धांजलि सभा मे छत्तीसगढ़ के होनहार और प्रतिभावान नेतृत्व को अंतिम श्रद्धांजलि देने प्रदेशभर से भाजपा के दिग्गज नेताओं ने कार्यक्रम में शिरकत की। विगत दिनों अचानक तबीयत खराब होने पर अस्पताल में भर्ती कराए जाने उपरांत स्वर्गीय दीपक पटेल जी का असायमिक निधन हो गया था। अपने विधानसभा कार्यकाल में सर्वोत्कृष्ट विधायक के पुरस्कार से लब्ध एवं क्षेत्र के कद्दावर, लोकप्रिय जननेता के निधन के समाचार से पूरा कोरिया जिला और भाजपा नेता स्तब्ध रह गए थे। छात्र राजनीति से जनसेवा की शुरुआत करने वाले स्वर्गीय श्री पटेल अंतिम समय तक जनसेवा एवं सक्रिय राजनीति में लगे रहे। प्रखर वक्ता और मुखर व्यक्तित्व के स्वामी स्वर्गीय श्री दीपक पटेल को अंतिम श्रद्धांजलि के लिए उनके भतीजे द्वारा भोज एवं शांति सभा का आयोजन किया गया था, जिसमें मुख्य रूप से नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल, विधायक धरमलाल कौशिक, पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल, भैयालाल राजवाड़े, भाजपा जिलाध्यक्ष कृष्णबिहारी जायसवाल, अनिल केशरवानी, बाबूलाल अग्रवाल, भीमसेन अग्रवाल, पूर्व विधायक चम्पादेवी पावले, श्यामबिहारी जायसवाल, मेजर अनिल सिंह, राजा पाण्डेय,  देवेन्द्र पाण्डेय, जोगेश लम्बा, ज्योतिनंद दुबे, अखिलेश सोनी,  भारत सिंह सिसोदिया, रामदयाल उइके, देवेन्द्र तिवारी, जमुना पाण्डेय, लक्ष्मण राजवाड़े, पंकज गुप्ता, राहुल सिंह, लखनलाल श्रीवास्तव, रामकृपाल साहू सहित भारी संख्या में सम्मानीय नागरिकगण उपस्थित थे।

स्थानीय विधायक तो मौजूद रही पर जिले के दो विधायक को शायद समय नहीं मिला
जिले का विभाजन भले ही हो गया हो पर अभी तक नवीन जिले का जिलाध्यक्ष नहीं चुना गया है अभी तक यह जिम्मेदारी कोरिया के जिलाध्यक्ष यानी कि नजीर अजहर के पास है तीनों विधानसभा के जिलाध्यक्ष आज भी नजीर अजहर माने जाते हैं ऐसे में विधायक अपने जिलाध्यक्ष के यहां शोक संवेदना जताने के लिए 2 विधायकों के पास शायद फुर्सत नहीं रही होगी जिस वजह से वह उनके पत्नी के निधन के वक्त मिट्टी कार्यक्रम में मौजूद ना हो सके, जब उन्हें समय मिला तो 10 से 15 दिन बाद है उनके घर पहुंचकर संवेदना तो जताई, पर संवेदना शायद औपचारिकता ही रह गई, कहीं न कहीं जिलाध्यक्ष मन में भी इस बात का मलाल होगा भले ही वह इस बात को कहें या ना कहें।
4 साल पहले टिकट पाने के लिए चौखट पर रहते थे खड़े
यदि हम 4 साल पहले की बात करें तो यह दोनों विधायक पूरे समय जिलाध्यक्ष की चौखट पर टिकट पाने के लिए टिके रहते थे और कंधे से कंधा मिलाकर चुनाव जीतने और कांग्रेस का जनाधार बढ़ाने की बात करते थे लेकिन उस मंशा के विपरीत आज जब जिला अध्यक्ष नजीर अजहर की श्रीमती जी का स्वर्गवास हो जाता है तो कांग्रेस के दोनों विधायक सहित जिले के अन्य पदाधिकारी उनके किसी भी कार्यक्रम में नहीं पहुंच पा रहे हैं जिस बात का मतलब कहीं ना कहीं अब जिला अध्यक्ष के मन में होने लगा है पर वह अपना दर्द बताएं तो बताएं कैसे कहीं ना कहीं उन्हें भी समझ में आ गया की टिकट पानी तक के लिए ही मेरी अहमियत थी टिकट मिलने के बाद शायद अहमियत मेरी भी खत्म हो गई हो।



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