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बैकुण्ठपुर@एनसीबी जिला पारकर कैसे एमपी का अवैध शराब पहुंच रहा कोरिया?

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क्या पुलिसजिले के सारे अवैध शराब बेचने वाले ठिकानों पर छापा मार कार्यवाही करअधिकारियों के आंख में धूल झोंक रही मनेन्द्रगढ़ पुलिस?

  • क्या एमपी का शराब एमसीबी पुलिस के बिना अनुमति कोरियापहुंचना संभव?
  • एमसीबी के मनेंद्रगढ़ कोतवाली क्षेत्र के दो प्रतिष्ठित होटलों तक अवैध शराब पहुंचाने की अनुमति?
  • आखिर मनेंद्रगढ़ थाना पारकर कोरिया में कैसे पहुंच रहा है एमपी का अवैध शराब।
  • दो प्रतिष्ठित होटलों में जंहा शराब बिक रहा वहा छापा मारने में पुलिस क्यों घबरा रही?
  • कोरिया में एक व एमसीबी के दो प्रतिष्ठित होटलों में पहुंचती है एमपी की अवैध शराब।
  • यदि दोनों जिले की पुलिस इतनी ही मुस्तैद व ईमानदार है तो कैसे पहुंच रहा एमपी का अवैध शराब?

-रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर 6 नवम्बर 2022 (घटती-घटना)। एमपी का अवैध शराब जब कोरिया का विभाजन नहीं हुआ था ताभी जिले के कुछ प्रतिष्ठित होटलों में लंबे पैमाने पर खा पाया जाता था, तभी पुलिस कुछ नहीं कर पाती थी और जिला विभाजन के बाद 2 जिले की पुलिस अब भी कुछ नहीं कर पा रही, आखिर एमपी के बॉर्डर से एमसीबी और अंदर कोरिया जिला कैसे मध्यप्रदेश का अवैध शराब आ रहा है? यह एक बड़ा सवाल है कुछ दिन पहले भी इनोवा में शराब पकड़ाया था, अब यह बात एक बड़ा प्रश्न है कि आखिर जब पुलिस की सेटिंग नहीं है तो फिर तो उस गाड़ी को मनेन्द्रगढ़ में ही पकड़ा जाना था पर आखिर कैसे वह गाड़ी कोरिया जिला पहुंच गई और पुलिस के हत्थे चढ़ गई? सूत्रों की माने तो एमसीबी जिले के मनेन्द्रगढ़ व एमपी के बॉर्डर बिजूरी पर स्थित एक शराब दुकान से अवैध तरीके से भारी मात्रा में शराब मनेंद्रगढ़ के दो प्रतिष्ठित होटलों में भारी मात्रा में जाते हैं, तो वही कोरिया जिले के एक प्रतिष्ठित होटलों में भी शराब आता है पर सवाल यह है कि आखिर इतने भारी मात्रा में यह शराब बिना पुलिस के मिलीभगत से वहां तक पहुंचना तो नामुमकिन है और पुलिस भी यह बात को जानती है कि अवैध शराब कहां खा पाया जा रहा है पर पुलिस भी वहां तक पहुंचने में घबरा जाती है, क्योंकि वह इतना बड़ा नाम है कि पुलिस की हिम्मत नहीं कि वहां पर छापेमारी कर सकें यही वजह है कि पुलिस बाकी छोटे-मोटे होटलों व ढाबों में छापा मारकर अपनी कार्यवाही की लिस्ट लंबी कर लेती है और बता देती है कि हम तो अवैध कारोबार नहीं चाहते इसलिए हम लगातार कार्यवाही कर रहे हैं और पुलिस के नाक के नीचे ही अवैध कारोबार हो जाता है और पुलिस सिर्फ सफाई देते रह जाती है।
क्या अवैध कारोबार और भ्रष्टाचार रोकने प्रदेश मुख्यमंत्री का दावा केवल दिखावा?
प्रदेश में अवैध कारोबार और भ्रष्टाचार चरम पर है इसबात से इंकार नहीं किया जा सकता जहां एकतरफ प्रदेश में अवैध कारोबारियों पर प्रशासन एवम पुलिस का नियंत्रण नहीं है बशर्ते सहयोग है उसी तरह भ्रष्टाचार भी जमकर हो रहा है प्रदेश में। प्रदेश में खनिज संपदाओं का दोहन अवैध रूप से बड़े पैमाने पर जारी है और लगभग हर खनिज आज अवैध कारोबारियों के ही हवाले है सरकार का बिल्कुल भी नियंत्रण इन अवैध कारोबारियों पर नही है, वहीं बात भ्रष्टाचार की यदि हो तो शासकीय प्रत्येक विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है और भ्रष्टाचार के सहारे नौकरशाही संपन्न होती जा रही है। प्रदेश में 15 साल बाद जनता ने सत्ता परिवर्तन किया और बहोत सी अपेक्षाएं नई सरकार से लोगों ने कि, लेकिन लोगों की अपेक्षाएं धरासाई होती चली गईं और अवैध कारोबारियों सहित भ्रष्टाचारियों की मददगार बनकर सरकार रह गई। प्रदेश के मुखिया गाहे बगाहे भले ही भ्रष्टाचार एवम अवैध कारोबार के खिलाफ मुखर होते हैं कार्यवाही की बात करते हैं लेकिन जब हर जगह भ्रस्टाचार एवम अवैध कारोबार को फलता फूलता देखा जाता है तो ऐसे में उनकी इसको लेकर मुखरता भी गलत साबित हो जाता है कोरा दावा साबित हो जाता है। आज प्रतिदिन समाचारों में अवैध कारोबार भ्रस्टाचार के समाचार छप रहें हैं लेकिन कार्यवाही अवैध कारोबारियों भ्रष्टाचारियों पर नहीं सच सामने लाने वालों पर हो रही है। प्रशासनिक निरंकुशता प्रदेश में हावी है और सतर्कता विभाग जैसे विभाग मौन साधे बैठे हैं। प्रदेश में अवैध कारोबारियों का अपनी अलग नीति है और उसे प्रशासन का सहयोग है।
मनेंद्रगढ़ थाना प्रभारी फेविकोल की तरह कुर्सी में चिपके हुए हैं
मनेंद्रगढ़ थाना जब अविभाजित कोरिया का हिस्सा था तब से लेकर आज तक वहां के थाना प्रभारी वहां पर फेविकोल की तरह चिपके हुए हैं उस कुर्सी को छोड़ नहीं रहे और अब तो यह कहां जा रहा है कि अब तो यह नया जिला हो गया है तो अब 3 साल यहां के थाना प्रभारी और रहेंगे, सवाल यह है कि जिला नया है पर पुराना थाना है,मनेन्द्रगढ़  थाने का इतिहास बन जाएंगे वर्तमान थाना प्रभारी, क्योंकि इतना लंबा कार्यकाल किसी थाना प्रभारी ने इतने विवादों वह इतने अवैध कारोबार के बीच नहीं काट पाया, आखिर यह थाना प्रभारी में ऐसा क्या है कि इनके लिए अधिकारी भी नतमस्तक हो जाते हैं चाहे शिकायत आए या अवैध कारोबार फले फुले पर यह तो इस थाने के थानेदार की कुर्सी छोड़ने से रहे, यदि यह 2023 भी इसी थाना के कुर्सी पर बैठकर काट लिया तो मनेन्द्रगढ़ की इतिहास के सुनहरे पन्नों में इनका नाम दर्ज हो जाएगा इतना लंबा थाना प्रभारी रहने वाला कोई व्यक्ति था तो वह है सचिन सिंह, जो विभाजित कोरिया के 2 साल से ऊपर और नवीन जिले का डेढ़  साल पूरा कर सकते है क्योंकि मनेन्द्रगढ़ थाना प्रभारी कुर्सी पर फेविकोल लगाकर चिपक गए हैं जिन्हें कोई हटा ही नहीं सकता। कांग्रेस का यह कार्यकाल पूरा करेंगे क्योंकि उनकी पकड़ बहुत ऊंची है और इस पकड़ पहुंचकर बीच में यह जो अवैध कारोबार का सिलसिला चल रहा है इसमें भी कहीं ना कहीं पुलिस के दामन दाग लगने जैसा है।
पूरे शहर को पता है कि किस प्रतिष्ठित होटल में अवैध शराब बिक रहा पर पुलिस को बात नहीं पता?
मनेंद्रगढ़ के जिस प्रतिष्ठित होटल में शराब बिक रहा है उसे कौन नहीं जानता और किसी से यह छुपा भी नहीं है पर सवाल यह है कि पुलिस के पास भी इतनी हिम्मत नहीं कि उन ठिकानों पर छापा मार ले इसीलिए पुलिस भी कहीं ना कहीं वहां तक पहुंचने से घबरा जाती है, यदि पुलिस वहां तक कम से कम नहीं पहुंच पा रही तो कम से कम वहां तक शराब ना पहुंचे इसकी ऐसी व्यवस्था कर दी जाए पर यह भी पुलिस नहीं कर पा रही, क्योंकि कहीं ना कहीं यह भी आरोप लग रहे हैं कि पुलिस की अच्छी सांठगांठ है और यदि ऐसा कर दिए तो उनके लाभ पर असर पड़ेगा, पर लाभा पर असर क्यों पड़ने दें वह अपने ही तरीका बदल कर अधिकारियों को खुश करने की छोटी मोटी कारवाही दिखा दे रहे हैं, कार्यवाही दिखावे की हो रही है इस लिए तो नतीजा यह है की एमपी का अवैध शराब तो जिले में प्रवेश कर ही रहा है।
लंबी सेटिंग से एमपी का शराब जिले में होता है प्रवेश
सूत्रों की माने तो मनेंद्रगढ़ पुलिस की इतनी अच्छी सेटिंग है की अवैध शराब तो जिले में आने से कोई नहीं रोक सकता? यही वजह है कि अवैध शराब यदि आता भी है तो उन प्रतिष्ठानों में जाता है जहां पुलिस भी कारवाही करने से से घबरा जाती है सूत्रों के अनुसार बिजुरी व मनेंद्रगढ़ के सरहद इलाके पर एक दारु भट्टी है जो मध्य प्रदेश में पड़ता है जहां से शराब को मनेंद्रगढ़ कोरिया सहित तमाम जगहों पर भेजा जाता है पर कार्यवाही वहां होती है जहां पर सेटिंग नहीं होती जहां सेटिंग होती है वहां कार्यवाही नहीं होती।


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