कुमकी हाथी राजू एवं दुर्योधन के सहयोग से पूर्वान्ह 11ः45 बजे किया गया था डार्ट
अम्बिकापुर 27 अक्टूबर 2021 (घटती-घटना)। वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ में हाथी-मानव द्वंद पर नियंत्रण के उद्देश्य से विभाग द्वारा चलाये जा रहे महत्वपूर्ण अभियान के तहत 27 अक्टूबर को सूरजपुर वनमण्डल के प्रतापपुर बीट में एक और मादा हाथी का सफलतापूर्वक रेडियो कॉलर किया गया। ज्ञात हो कि तीन दिवस पूर्व ही 24 अक्टूबर को सरगुजा वृत्त के सूरजपुर वनमण्डल के मोहनपुर, कक्ष क्रमांक पी 2552 में एक मादा हाथी को सफलतापूर्वक रेडियो कॉलर किया गया है।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ शासन वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग तथा भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून की संयुक्त परियोजना के तहत मानव-हाथी द्वंद को कम करने के उद्देश्य से हाथियों के विचरण की जानकारी प्राप्त करने हेतु हाथियों का रेडियो कॉलरिंग करने के अभियान जारी है। इसके तहत दिनांक 27.10.2021 को सरगुजा वृत्त के सूरजपुर वनमण्डल के प्रतापपुर बीट कक्ष क्र. आरएफ 36 में एक मादा हथनी को रेडियो कॉलरिंग करने में सफलता प्राप्त हुई है।
वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर के निर्देश पर तथा प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख राकेश चतुर्वेदी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) पी. वी. नरसिंग राव के मार्गदर्शन में वन विभाग की स्थानीय टीम तथा साइंटिस्ट-एफ डॉं. पराग निगम, भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून एवं उनकी टीम, तमिलनाडु के डॉ. मनोहरन द्वारा रेडियो कॉलरिंग का कार्य किया जा रहा है। आज 27 अक्टूबर को सूरजपुर वनमण्डल के प्रतापपुर से बनारस रोड, ग्राम सरहरी जंगल, परिक्षेत्र प्रतापपुर, कक्ष क्र. आर. एफ. 36 प्रतापपुर बीट में हाथी दल जिसमें 09 हाथी विचरण कर रहे थे, में से एक हथिनी उम्र 30-35 वर्ष की पहचान कर कुमकी हाथी राजू एवं दुर्योधन के सहयोग से पूर्वान्ह 11ः45 बजे डार्ट किया गया। रेडियो कॉलरिंग की प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात् हाथी दोपहर लगभग 1ः00 बजे अपने दल में वापस मिल गया।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) पी. वी. नरसिंग राव द्वारा अभियान की लगातार समीक्षा करते हुए रणनीति तैयार कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं। इस अभियान में मुख्य वन संरक्षक सरगुजा वृत्त अनुराग श्रीवास्तव, वन संरक्षक (वन्यप्राणी) एवं फील्ड डायरेक्टर (एलीफेंट रिजर्व) सरगुजा डॉं. के. मेचियो, भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून की टीम, अधीक्षक तमोर पिंगला अभ्यारण्य जयजीत केरकेट्टा, परिक्षेत्र अधिकारी पिंगला अजय सोनी एवं परिक्षेत्र अधिकारी प्रतापपुर लक्ष्मी नरायण ठाकुर, डॉ. पी.के. चंदन, डॉ. सी.के. मिश्रा, डॉ. राकेश वर्मा, लक्ष्मी नारायण, अंकित, समर्थ मंडल, प्रभात दुबे एवं वन विभाग के मैदानी अमले सहित कुमकी हाथी राजू एवं दुर्योधन के महावतों का योगदान सराहनीय रहा।
सात हाथियों के गले से निकल गई है आईडी
वर्तमान समय मे सबसे ज्यादा उत्पात हाथियों ने प्रतापपुर क्षेत्र में मचाया है, यहां हाथी करीब दो साल से डेरा जमाए हुए है। इस इलाके में पर्याप्त भोजन और गन्ना होने के कारण हाथी दूसरे तरफ रुख नही कर रहे। ऐसे में वनविभाग इस इलाके में मौजूद तीन हाथियो में कॉलर आईडी लगाने की बात कह रहा है। वनविभाग का कहना है कि कॉलर आईडी लगने से हाथियों की मॉनिटरिंग ऑनलाइन हो सकेगी और फील्ड वनकर्मियों के साथ साथ बड़े अफसर भी हाथी की मौजूदगी देख सकेंगे।,मगर सवाल ये है कि पहले भी 8 हाथियों में कॉलर आईडी लगाया गया था जिसमे से 7 के गले से कॉलर आईडी निकल गई।
कुछ दिन पूर्व 3 लोगों की ली थी जान
हाथियों में कॉलर आइडी लगाने के लिए वाइल्ड लाइफ के 3, तमिलनाडु से 5 व देहरादुन से 10 व छत्तीसगढ़ की टीम लगी हुई है। कुल 35 से 40 सदस्यों का टीम कॉलर आइडी लगाने के काम कर रही है। अक्टूबर महीने में हाथियों में कॉलर आइडी लगाने के लिए टीम को पिछले 3 सप्ताह से मशक्कत करनी पड़ी है। उदयपुर में पिछले कई महीनों से हाथियों का दल विचरण कर रहा है। इस दल में मादा व शावक हैं। इसी दल ने कुछ दिन पूर्व एक दंपत्ती व बच्चे को कुचल कर जान ले ली थी। बुधवार को इसी दल के एक सदस्य को रेडियो कॉलर लगाया गया है। कॉलर आइडी लगने के बाद क्या लाभ मिलता है समय ही बताएगा।