गांधीनगर@गुजरात मे ही मौजूद रहने के बावजूद प्रधानमत्रीजी ने मोरबी पहुचने मे दो दिन की देर क्यो

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कोहरे से बाहर आई,मोरबी के हाहाकारी हादसे की कड़वी सच्चाई
डॉ.राजकुमार मिश्र-
गांधीनगर, 02 नवम्बर 2022
। गुजरात मे ही मौजूद रहने के बावजूद प्रधानमत्रीजी ने मोरबी पहुचने मे दो दिन की देर क्यो कर दी? इस बीच गुजरात मे उनके स्वागत मे ढोल धमाके बजे और प्रदेश के एक मत्रीजी का हैप्पी बर्थडे भी मनाया गया।इसी बीच रातोरात उस अस्पताल को नए रगरोगन और साजसज्जा से चमका दिया गया साथ ही ध्वस्त हो चुके झूलते पुल के ध्वशावशेष से दिख रही सिस्टम की घनघोर आपराधिक स्वेच्छाचारिता को भी तिकड़मो के जरिए नजरो से ओझल कर देने की हिमाकत भी जम कर कर दी गई जिसका सरकारी सिस्टम के करतबबाजो द्वारा प्रधानमत्रीजी को अवलोकन कराया गया।
अग्रेजो के जमाने से पर्यटको और स्थानीय नागरिको के लिए आकर्षण का केद्र रहा मोरबी जिले का झूलता पुल
ध्वस्त होने के 3 दिन पहले ही करीब 8 महीनो तक मरम्मत और मेटेनेस के नाम पर बन्द रखे जाने के बाद, गुजराती नववर्ष के मौके पर खोल दिया गया था।बच्चो और बड़ो के लिए तय दरो से प्रत्येक टिकट को बेखौफ लैक मे बेचा गया,अवैध कमाई के लालच मे अधे होकर प्रशासन ने एकबार मे अधिकतम डेढ़ सौ लोगो को पुल पर सिर्फ तीस मिनट रुकने देने के नियम को भी भुला दिया कई गुना लोग गुजराती नववर्ष मनाने के जोश मे पुल पर लद गए जिसका नतीजा सबके सामने है मगर आज इन पक्तियो के लिखे जाने तक ओरेवा नामक उस धूर्त कम्पनी के मुखिया पर कानून के मुहाफिज नजर तक नही डाल सके है जिसने पुल की मरम्मत के नाम पर अढ़ाई करोड़ का खर्च कागजो मे दिखाया मगर वास्तव मे सिर्फ 25 लाख ही खर्च किए।
सरकार और प्रशासन के साथ मिलकर चादी काट रहे गुजरात के काले कारोबारी ने झूलता पुल को अभी पçलक के लिए नही खोलने की बात मानी ही नही जो किसी ऐरे गैरे ने नही,बल्कि खुद मोरबी के जिला कलेक्टर ने कही थी।दरअसल,कई महीनो तक मरम्मत के लिए बन्द रखने के बाद पुल को पूरीतरह दुरुस्त बतानेवाला तकनीकी विशेषज्ञ का सर्टिफिकेट और नगरपालिका का अनापçा प्रमाणपत्र हासिल करने की की किसीने जरूरत ही नही समझी जिससे यह समझा जा सकता है कि बहुप्रचारित गुजरात मॉडल मे पçलक के जान माल के हिफ़ाजती क¸ानूनकायदो को किस हदतक तक ठोकर पर रखकर चला जाता है।इस हाहाकारी हादसे का तिलमिला देनेवाला सच यह भी है कि मोरबी नगरपालिका ने यह कह दिया है कि उसे झूलता पुल को पçलक के लिए खोल देने के बारे मे कतई कोई जानकारी दी ही नही गई थी।दूसरी तरफ यह भी सच है कि खोलने से पहले पुल को मरम्मत के बाद बिल्कुल दुरुस्त बताने के लिए बाकायदा प्रेसकाफ्रेन्स की गई थी और बाकायदा कैमरो के सामने ही फीता काटकर उद्घाटन का प्रोग्राम भी आयोजित किया गया था फिर भी मोरबी की नगर सरकार(पालिका) को कुछ पता ही नही चल पाया!!ऐसे मे यही कहा जा सकता है कि मोदी है तो सब मुमकिन है
जिस ओरेवा ग्रुप को झूलता पुल की मरम्मत का ठेका दिया गया उसे ऐसे काम का कोई पूर्व अनुभव नही था उसका नाम एक प्रचलित ब्राड की घड़ी पर दिखता है।हादसे के बाद लीपापोती के उत्कट प्रयासो के तहत, पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर मे पहले आरोपी के तौर पर उक्त ग्रुप के मालिक का ही नही बल्कि ग्रुप तक का भी नाम नही लिखा गया और ” घड़ी बनानेवाली कम्पनी” जैसा कुछ दर्ज करके काम चला लिया गया।उस मालिक धनपति की 24 से 36 घण्टो मे गिरफ्तारी को अटल बताने की भविष्यवाणी राष्ट्रीय चैनल पर करनेवाले सरकारी लीडर अबतक दुबारा सामने नही आए है और न कोई चैनल उनकी घोषणा को दुबारा चलाने की हिम्मत कर पाया है।
मोरबी के भयकर हादसे से यह सच्चाई भी कोहरे से बाहर आ गई है कि गुजरात मे सिस्टम को ज्यादा पैसा देनेवालो की हिफाजत के कानून सम्मत उपाय सुनिश्चित किए जाते है।हाल ही मे प्रधानमत्रीजी ने जिस दर्शनीय अटल पुल का लोकार्पण किया था,वहा टिकट की दर मोरबी पुल की तुलना मे ज्यादा है और वहा तय सीमा से एक भी व्यक्ति ज्यादा न हो और तय सीमा से कोई एक मिनट भी ज्यादा ब्रिज पर न रुक सके इसकी देखभाल बड़ी सख्ती से की जाती है जबकि मोरबी के पुल की व्यवस्था पूरी तरह भगवान भरोसे छोड़ दी गई थी।
हादसे के बाद गुजरात मे आसन्न चुनावी ज्वर से तमतमाए विपक्ष के सारे नेता डबल इजन की सरकार पर अपने अपने अदाज मे बरस रहे है मगर अत मे कोई नेता यह हास्यास्पद बात जरूर कहता है कि पçलक सब जानती है,वो सबक सिखाएगी
मगर यथार्थ के धरातल पर हमारी देसी पçलक जो एकमात्र बात जानती है और जिसे मौके मौके पर साबित भी करती रही है वह यही है कि वह कुछ भी याद नही रखती।


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