- डिप्टी कलेक्टर का कंधा कितना मजबूत की सारी जिम्मेदारी लेने को तैयार?
- अपर कलेक्टर के प्रभार के साथ ही मिला एसडीएम का पद,जिले में डिप्टी कलेक्टर व संयुक्त कलेक्टर की कमी नही।
- जिले में 8 संयुक्त व डिप्टी कलेक्टर, एक ही संयुक्त कलेक्टर पर जिला प्रशासन क्यों मेहरबान?
- संयुक्त कलेक्टर को अपर कलेक्टर के साथ ही एसडीएम खड़गवां का भी प्रभार कैसे संभालेगी सारी जिम्मेदारियां एक साथ?
- नवीन जिला एमसीबी के खड़ड़गवां एसडीएम का प्रभार संयुक्त कलेक्टर को मिलते ही राजनीति शुरू उत्पन्न हुआ कहासुनी का दौर।
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर/मनेन्द्रगढ़ 29 अक्टूबर 2022 (घटती-घटना)। नवीन जिले एमसीबी भी पूर्व कोरिया जिले के जैसा ही प्रशासनिक कसावट की दृष्टि से दिखने लगा है यहां पर भी प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठने लगे सवाल इस पर बड़ा इसलिए क्योंकि 8 डिप्टी कलेक्टर होने के बावजूद एक ही डिप्टी कलेक्टर को ज्यादा प्रभार को देना आखिर क्यों जरूरी है? किसी अधिकारी के ऊपर ज्यादा काम का बोझ डालना भी उस के लिए समस्या बन सकता है फिर भी ज्यादा से ज्यादा जिम्मेदारी देकर एक ही अधिकारी पर काम का बोझ बढ़ाया जा रहा है, बाकी डिप्टी कलेक्टर कैसे वेतन लेने के लिए बैठे हैं? क्या बाकी डिप्टी कलेक्टर अधिकारियों को काम नहीं आता? क्या वह दिखावे के लिए जिले में सिर्फ गिनती गिना रहे हैं? आखिर जिस डिप्टी कलेक्टर को ज्यादा प्रभाव ज्यादा जिम्मेदारी दिया जा रहा है आखिर उस अधिकारी का कंधा कितना मजबूत है कि सारे जिम्मेदारियों को उठाने के लिए तैयार है? क्या इतने ज्यादा जवाबदारी पर उस अधिकारी से गलती होने की गुंजाइश नहीं होगी? यदि गलती होगी तो उसके जिम्मेदार कौन होगा? आखिर इतने जिम्मेदारी व बोझ के तले वह अधिकारी कैसे काम करेगा?
ज्ञात हो की सरकार ने लोगो तक प्रशासन की पहुंच सुगम व सुलभता से पहुंचने के लिए नए जिले तो बनाये लेकिन अपने चहेते को लाभ दिलाने के लिए नवगठित जिले मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर के कलेक्टर पीएस ध्रुव ने जिले की एक संयुक्त कलेक्टर पर ऐसी कृपा बरसाई की उसे अपर कलेक्टर और एसडीएम का भी प्रभार दे दिया। जबकि जिले में संयुक्त कलेक्टर और डिप्टी कलेक्टर की कमी नही थी। कलेक्टर मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर ने दो दिन पूर्व जिले के अधिकारियों का कार्य विभाजन किया जिसमें संयुक्त कलेक्टर को अपर कलेक्टर के साथ ही खड़गवां विकासखंड का अनुविभागीय अधिकारी राजस्व (एसडीएम) भी बना दिया। जबकि अन्य संयुक्त और डिप्टी कलेक्टर को कलेक्ट्रेट के कई विभागों के कामकाज सौंप दिये। जबकि डिप्टी कलेक्टर या संयुक्त कलेक्टर को एसडीएम का कार्यभार सौंपा जा सकता था।
मेहरबानी या मज़जबूरी
जिस संयुक्त कलेक्टर को अपर कलेक्टर के साथ ही एसडीएम का भी पदभार सौंपा गया है यह मेहरबानी या मज़बूरी? जिन्हें यह पदभार सौपा गया उनका विवादों से गहरा नाता रहा है। एसडीएम रहने के दौरान ग्रामीण अंचलों में जाति प्रमाण पत्र बनाए जाने हेतु लगाए शिविर का निरीक्षण करने जब मनेंद्रगढ़ ब्लॉक के बिहारपुर हाई स्कूल में एसडीएम पहुंची तो वहां जाति प्रमाण पत्र बनाने के शिविर में लगे कार्यों की सराहना करने की बजाय शिक्षकों से दुर्व्यवहार करते हुए अमर्यादित शब्द कहने पर उतर आई। इतना ही नहीं एसडीएम ने वहां मौजूद बीईओ को जमकर फटकार भी लगाई और शिक्षकों से यह तक कह डाला की 2 साल से बैठकर हराम की तनख्वाह खा रहे हो आंगनबाड़ी के कर्मचरियों से भी गए बीते हो। शिक्षकों के साथ इस तरह की भाषा शैली से वार्तालाप करना शिक्षकों को नागवार गुजरा और शिक्षकों ने अब एसडीएम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।
8 की पदस्थापना के बावजूद एक को ही दो प्रभार क्यों?
गौरतलब है नवगठित जिला मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर में 8 डिप्टी व संयुक्त कलेक्टर की पदस्थापना है इसके बाद भी एक महिला संयुक्त कलेक्टर को अपर कलेक्टर का प्रभार देने के साथ ही एसडीएम खड़गवां का पद देने से यही लगता है कि जिला प्रशासन से इन पर कृपा बरस रही है।
नवीन जिले में 8 डिप्टी और संयुक्त कलेक्टर की है पदस्थापना
अभिषेक कुमार, आईएएस नयनतारा सिंह तोमर, संयुक्त कलेक्टर अभिलाषा पैकरा, संयुक्त कलेक्टर सी एस पैकरा, डिप्टी कलेक्टर प्रवीण कुमार भगत, डिप्टी कलेक्टर मूलचंद चोपड़ा, डिप्टी कलेक्टर बहादुर सिंह मरकाम, डिप्टी कलेक्टर प्रीतेश सिंह राजपूत, डिप्टी कलेक्टर।
किसी को भी प्रभार देना मेरे अधिकार क्षेत्र में है, मैंने सही प्रभार दिया है, इसमें कोई गलत नही है, कलेक्टर होने के नाते मैं प्रभार दे सकता हूँ जिला चलाना है पूरा।
पीएस ध्रूव कलेक्टर