नई दिल्ली@चुनावी वादे को लेकर निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक पार्टियो से मागा जवाब

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डी एम के आप और एआईएमआईएम प्रस्ताव के खिलाफ
चुनाव आयोग के प्रस्ताव पर बीजेपी के जवाब से अवगत लोगो के अनुसार, भाजपा के विचार प्रधानमत्री नरेद्र मोदी की ‘रेवड़ी कल्चर’ वाली टिप्पणी से मिलते-जुलते है। पीएम मोदी ने कहा था कि हमारे देश मे मुफ्त की रेवड़ी बाटकर वोट बटोरने का कल्चर लाने की कोशिश हो रही है। ये रेवड़ी कल्चर देश के विकास के लिए बहुत घातक है। श्वष्ट के प्रस्ताव पर बीजेपी ने अपना जवाब दायर करने के लिए 18 अक्टूबर से आगे का समय मागा था। दूसरी ओर ष्ठरू्य, ्र्रक्क और ्रढ्ढरूढ्ढरू की ओर से इस प्रस्ताव के खिलाफ प्रतिक्रियाए आई है।
नई दिल्ली, २8 अक्टूबर 2022। निर्वाचन आयोग द्वारा हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनाव की तिथि घोषित किए जाने के बाद से इन विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दल सहित क्षेत्रीय पार्टी भी सक्रिय हो गई है। चुनाव प्रचार तेज होने के साथ ही चुनावी वायदो का दौर भी शुरू हो चुका है और सभी राजनीतिक दलो की ओर से जनता को लुभाने के लिए घोषणा पत्र जारी कर जनता बीच जा रहे है।
राजनीतिक दलो की ओर से किए जाने वाले चुनावी वादे इन दिनो इलेक्शन कमीशन की नजर पर है। आयोग ने एक ऐसा प्रस्ताव रखा है जिसमे कहा गया है कि हर एक पार्टी को इसकी डिटेल भी बतानी होगी कि वह अपने चुनावी वादे को पूरा करने के लिए धन कहा से हासिल करेगी। जानना दिलचस्प है कि इस प्रस्ताव का समर्थन केवल भारतीय जनता पार्टी और शिरोमणि अकाली दल ने ही किया है।
काग्रेस ने इस प्रस्ताव को गैर-जरूरी व अव्यवहारिक करार दिया है और चुनाव आयोग से इसे लेकर सवाल भी किए है। काग्रेस ने यह पूछा कि अगर कोई दल अपने चुनावी वादे को पूरा नही कर पाता है तो इस कानून को कैसे लागू किया जाएगा। काग्रेस ने इलेक्शन कमीशन को भेजे अपने जवाब मे कहा कि चुनावी वादो को पूरा करना राजनीतिक इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है। साथ ही किसी भी मामले मे झूठे वादो का पर्दाफाश तो हो ही जाता है।
मापका बोली- यह
श्वष्ट के दायरे मे नही
माकपा की ओर से इलेक्शन कमीशन के इस प्रस्ताव का विरोध किया गया है। सीपीआईएम महासचिव सीताराम येचुरी ने अपने जवाब मे कहा, ‘सविधान का अनुच्छेद 324 चुनाव आयोग को इलेक्शन के समय राजनीतिक दलो की घोषणाओ और वादो के मूल्याकन का अधिकार नही देता है। आदर्श आचार सहिता मे प्रस्तावित सशोधन और चुनावी वादो के विाीय प्रभावो के खुलासे के प्रयास से आयोग राजनीतिक-नीतिगत मामलो मे शामिल होगा, जो इसके दायरे मे नही आता है।


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