मुबई@महाराष्ट्र के पूर्व मत्री अनिल देशमुख को जमानत देने से अदालत का इनकार

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वाजे के बयान का किया उल्लेख
मुबई, 21 अक्टूबर 2022। मुबई की एक विशेष अदालत ने कथित भ्रष्टाचार और आधिकारिक पद के दुरुपयोग के मामले मे महाराष्ट्र के पूर्व गृहमत्री अनिल देशमुख की जमानत याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। केद्रीय अन्वेषण यूरो (सीबीआई) मामले मे जाच कर रहा है। अदालत ने कहा कि इस तरह के ‘सफेदपोश’ अपराध देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुचाते है और वह बर्खास्त पुलिस अधिकारी और आरोपी से वादामाफ गवाह बने सचिन वाजे के बयान को नजरअदाज नही कर सकती है। अदालत ने कहा कि देशमुख की ‘सक्रिय भागीदारी’ और ‘सार्वजनिक दायित्व के निर्वहन मे अनुचित लाभ’ प्राप्त करने के प्रयास को देखते हुए उन्हे राहत नही दी जानी चाहिए। देशमुख (71) ने बबई उच्च न्यायालय द्वारा धनशोधन मामले मे उनके खिलाफ दर्ज प्रवर्तन निदेशालय के मामले मे चार अक्टूबर को जमानत दिये जाने के बाद इस मामले मे भी जमानत याचिका दाखिल की थी।
अधिवक्ता अनिकेत निकम और इद्रपाल सिह के माध्यम से दायर जमानत याचिका मे दावा किया गया था कि राष्ट्रवादी काग्रेस पार्टी (राकापा) नेता के खिलाफ मामला सीबीआई की ‘मनमर्जी’ पर टिका है और पूरा मामला पूर्व आईपीएस अधिकारी परमबीर सिह और सचिन वाजे के बयानो पर आधारित था। जमानत याचिका मे कहा गया है कि इस बात के सबूत है कि वाजे मुबई मे बार मालिको से रिश्वत इकट्ठा करने वाला इकलौता व्यक्ति था। याचिका मे दावा किया गया था कि वाजे और सिह ने अपनी खाल बचाने के लिए झूठे बयान दिए। सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश एस. एच. ग्वालानी ने देशमुख को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि वाजे और अन्य के बयानो को ‘‘अनदेखा’’ नही किया जा सकता है और उनमे बताए गए तथ्यो को जमानत की सुनवाई के चरण मे आसानी से नजरअदाज नही किया जा सकता है। देशमुख की चिकित्सकीय स्थिति पर अदालत ने कहा कि उन्हे जेल मे पर्याप्त चिकित्सा मिल रही है। न्यायाधीश ने कहा कि देशमुख पर एक गभीर अपराध का आरोप है, जिसमे एक बड़ी राशि शामिल है, और इस तरह के ‘‘सफेदपोश अपराध राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहे है’’ तथा इस पर गभीरता से विचार किया जाना चाहिए।
अदालत ने कहा, ‘‘एक हत्या आवेश मे आकर की जा सकती है, लेकिन आर्थिक अपराध ‘शातचिा गणना’ के साथ किए जाते है।’’ इसने कहा, ‘‘मेरा विचार है कि इस तरह के गभीर अपराधो को रोकने के लिए, याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करना उचित नही है।’’ राष्ट्रवादी काग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता को 2021 मे दो नवबर को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह न्यायिक हिरासत मे है। उन्हे पिछले हफ्ते कोरोनरी एजियोग्राफी के लिए एक निजी अस्पताल मे भर्ती कराया गया था। मार्च 2021 मे, वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी परमबीर सिह ने आरोप लगाया था कि राज्य के तत्कालीन गृहमत्री देशमुख ने पुलिस अधिकारियो को मुबई मे रेस्तरा और बार से प्रतिमाह 100 करोड़ रुपये उगाही करने का लक्ष्य दिया था।
मार्च 2021 मे उद्योगपति मुकेश अबानी के आवास एटीलिया के पास एक कार मे मिली विस्फोटक सामग्री मामले मे गिरफ्तार पूर्व सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे ने भी उन पर इसी तरह के आरोप लगाए थे। उच्च न्यायालय ने अप्रैल 2021 मे सीबीआई को प्रारभिक जाच करने का निर्देश दिया था। इस जाच के आधार पर सीबीआई ने देशमुख और उनके सहयोगियो के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार और आधिकारिक शक्ति के दुरुपयोग के लिए प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की थी। मुबई के पूर्व पुलिस आयुक्त सिह द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपो की सीबीआई जाच के उच्च न्यायालय के आदेश के बाद देशमुख ने अप्रैल 2021 मे गृहमत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।


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