आयोग मे दी झूठी जानकारी
रायगढ़ इस्पात उद्योग सघ का आरोप है कि जिदल प्रबधन जरुरत के मुताबिक बिजली की आपूर्ति उद्योगपतियो को नही कर रहा है। उन्होने जब इस सबध मे नियामक आयोग का दरवाजा खटखटाया तो जिदल ने वहा झूठी जानकारी दे दी कि वह हमे पर्याप्त बिजली दे रहा है, बल्कि उद्योगो द्वारा बिजली का उपयोग नही किया जा रहा है। हकीकत यह है कि हमे 18′ से 25 ‘ बिजली दी जा रही थी। वर्तमान मे जिदल प्रबधन हमे 50 से 60 फीसदी बिजली दे रहा है। रायगढ़ के 40 मे से करीब 35 उद्योगपति इससे प्रभावित है। इन उद्योगो से करीब 10,000 परिवार जुड़े हुए है जो लगातार आर्थिक सकट मे घिरे हुए है। इस सबध मे छाीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग मे भी उद्योगपतियो ने याचिका दायर की है। इसकी सुनवाई भी हो चुकी है। उसके बावजूद जिदल समूह मानने को तैयार नही है ।उल्टे जिदल समूह की ओर से यह हवाला दिया जा रहा है कि उद्योगपति ही बिजली का पूर्ण उपयोग नही कर रहे है।
रायपुर, 20 अक्टूबर 2022। जिले के ग्राम पूजीपथरा मे जिदल स्टील प्लाट द्वारा स्थापित ओपी जिदल पार्क को जरुरत के मुताबिक बिजली नही दिए से यहा के अनेक उद्योग बद होने के कगार पर है। रायगढ़ इस्पात उद्योग सघ ने जिदल प्रबधन को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हुए इससे हजारो लोगो के होने का खतरा जताया है।
इस मुद्दे को लेकर आयोजित पत्रकार वार्ता मे सघ के सरक्षक राकेश अग्रवाल और सचिव योगेश अग्रवाल ने बताया कि रायगढ़ इस्पात उद्योग सघ और जिदल प्रबधन के बीच उद्योगो को बिजली आपूर्ति करने का करार है, लेकिन जिदल प्रबधन हमे मार्च के महीने से बिजली की नियमित और पर्याप्त आपूर्ति नही कर रहा है। इसके कारण सघ के 40 मे से 35 उद्योगो मे तालाबदी की नौबत आ चुकी है। हमारे उद्योगो से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 10 हजार परिवार जुड़े है। अगर ये उद्योग बन्द होते है तो सभी के समक्ष भूखो मरने की नौबत आ जाएगी।
बिजली को लेकर चल रही लड़ाई
योगेश अग्रवाल ने बताया कि उद्योगो और जिदल प्रबधन के बीच बीते सात महीने से बिजली की पर्याप्त आपूर्ति नही होने के कारण लड़ाई चल रही है। उनकी लड़ाई हाई कोर्ट से लेकर छःग राज्य विद्युत नियामक आयोग होते हुए प्रदेश के मुख्यमत्री भूपेश बघेल तक पहुच चुकी है। इसके बावजूद हमे आज तक न्याय नही मिला है। अब इन उद्योगो पर तालाबदी की नौबत आ गई है। क्या जिदल समूह को स्थानीय उद्योगपतियो की समस्या नही दिख रही है? हमने अपना उद्योग स्व ओपी जिदलजी की प्रेरणा और प्रोत्साहन के बाद स्थापित किया था। पर आज जिदल प्रबधन हमारे साथ अन्याय पर उतारू है। हमे हमारे हक की बिजली नही देकर इसे महगे दामो मे अन्य प्रातो को बेचा जा रहा है। कुल मिलाकर हमे बर्बाद करने की जिदल प्रबन्धन ने ठान ली है।हमारे साथ अन्याय का यह सिलसिला 5 मार्च 2022 से चल रहा है।
दो दशक पूर्व स्थापित हुआ जिदल औद्योगिक पार्क
पत्रका वार्ता मे जानकारी दी गई कि रायगढ़ जिले मे 2003 मे स्थापित ओपी जिदल औद्योगिक पार्क मे जिले के व्यापारियो ने उद्योग स्थापित किया। स्थानीय उद्योगपतियो द्वारा स्थानीय लोगो की आजीविका के लिए यह बेहतर कदम था, लेकिन जिदल प्रबधन द्वारा हर बार बिजली की दरो को लेकर उद्योग सघ को परेशान किया जा रहा है। बिजली की दर बढाने का अधिकार नियामक बोर्ड का है लेकिन जिदल प्रबधन मनमानी करते हुए दर को बढ़ा कर अप्रैल 2022 से अधिक की बिलिग कर रहा है। रेट तय करने के लिए जिदल नियामक के पास सही जानकरी नही दे रहा है जिससे बिजली की दर तय हो सके। यह जान-बूझकर हमे परेशान करने का षड़यत्र रचा जा रहा है। बिजली की लगातार आपूर्ति नही होने से मशीने खराब हो रही है और उत्पादन लागत बढ़ गई है जिसकी वजह से बाजार मे टिके रहना मुश्किल हो रहा है। जिससे यहा कार्य करने वाले करीब 10,000 लोगो के समक्ष कभी भी रोजी रोटी का सकट खड़ा हो सकता है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो हमे तालाबदी और आत्महत्या करने के अलावा कोई रास्ता नही बचेगा, क्योकि सभी उद्योगो के ऊपर बैक का कर्जा भी है।
सघ ने शासन और प्रशासन से माग की है कि वे इस मामले मे दखल दे, ताकि कोई रास्ता निकल सके, नही तो राज्य शासन हमे ष्ह्यश्चस्रष्द्य (जो कि समानातर लाइसेसी है ) से नियमित बिजली आपूर्ति कर राहत प्रदान करे, ताकि हम भी नियमित रूप से अपने उद्योगो को सचालित कर सके।
जिदल का पर्याप्त बिजली देने का दावा
उद्योग सघ के आरोपो के सन्दर्भ मे जिदल उद्योग के प्रेसिडेट प्रदीप टडन ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि जिदल औसतन 180 मेगा वाट बिजली नियमित रूप से पूजीपथरा औद्यौगिक पार्क मे प्रदाय कर रहा है जिसका योरा विद्युत् नियामक आयोग को भी दिया गया है। पूर्व मे उच्च न्यायालय ने सभी उद्योगो को 60 से 80′ विधुत प्रदाय करने के आदेश दिए थे, जिसके अनुसार उद्योगो को उनके द्वारा दिए गए ह्यष्द्धद्गस्रह्वद्यद्ग के मुताबिक बिजली प्रदाय की जा रही है।
प्रदीप टडन ने कहा कि बिजली की दर विद्युत् नियामक आयोग द्वारा तय की जाती है, और उसके अनुसार ही डिस्टि्रयूशन लायसेन्सी अपने उपभोक्ताओ को विद्युत् प्रदाय करता है। उन्होने आरोप लगाया कि औद्यौगिक पार्क के उद्योगपति कम दर पर बिजली चाहते है, जो कि फि़लहाल सभव नही है। जो दर पहले तय हुई है उसी के मुताबिक बिल की वसूली की जा रही है।
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