चेन्नई,@हिदी भाषा की अनिवार्यता को खत्म करने लाया जाएगा प्रस्ताव:सीएम स्टालिन

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चेन्नई, 18 अक्टूबर 2022। देश की एकता और अखडता को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय भाषा की भूमिका अहम होती है। भाषा के बगैर राष्ट्र की कल्पना नही की जा सकती। लेकिन कई राज्यो मे राष्ट्रीय भाषा हिदी को लेकर विरोध का स्वर फूटने लगा है। इसी बीच हिदी की अनिवार्यता को लेकर केद्र सरकार और तमिलनाडु सरकार के बीच जग छिड़ गया है।
तमिलनाडु के मुख्यमत्री एमके स्टालिन आज विधानसभा मे केद्र सरकार पर हिदी थोपने का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ एक प्रस्ताव पारित कर सकते है। सूत्रो से मिली जानकारी के हवाले से कहा है कि प्रस्ताव मे केद्र सरकार से सभी भाषाओ के साथ समान व्यवहार करने का अनुरोध किया जाएगा। आपको बता दे कि केद्रीय शैक्षणिक सस्थानो मे हिदी को शिक्षा का माध्यम बनाने की ससदीय समिति की सिफारिश के बाद स्टालिन के द्वारा यह कदम उठाया गया है।
केद्र सरकार पर हिदी थोपने का लगाया आरोप
इससे पहले 13 अक्टूबर को सत्तारूढ़ डीएमके की युवा और छात्र शाखा ने केद्र सरकार पर हिदी थोपने का आरोप लगाते हुए तमिलनाडु मे राज्यव्यापी विरोध की घोषणा की थी। इसके अलावा, तमिलनाडु के मुख्यमत्री एमके स्टालिन ने हिदी भाषा को कथित रूप से थोपने के खिलाफ केद्र की निदा की थी।
स्टालिन ने अपने बयान मे हिदी थोपने के खिलाफ इतिहास मे किए गए बलिदानो का जिक्र किया। 10 अक्टूबर को स्टालिन ने ट्वीट किया, “केद्रीय भाजपा सरकार द्वारा हिदी थोपने के लिए जोर दिया जा रहा है। यह भारत की विविधता को भग करने की एक खतरनाक कोशिश है। ससदीय राजभाषा समिति की रिपोर्ट के 11वे खड मे किए गए प्रस्ताव भारत की आत्मा पर सीधा हमला है।
उन्होने कहा कि यदि लागू किया जाता है तो विशाल गैर-हिदी भाषी आबादी को अपनी ही भूमि मे द्वितीय श्रेणी का नागरिक बना दिया जाएगा। हिदी को थोपना भारत की अखडता के खिलाफ है। भाजपा सरकार को अतीत मे हुए हिदी विरोधी आदोलनो से सबक सीखने की जरूरत है।
अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के नेता ओ पन्नीरसेल्वम ने सोमवार को शुरू हुए विधानसभा सत्र मे शामिल नही होने के लिए प्रतिद्वद्वी गुट के नेता एडप्पादी पललनिस्वई पर जमकर निशाना साधा। पूर्व मुख्यमत्री ओपीएस को अन्नाद्रमुक के डिप्टी फ्लोर नेता के लिए कुर्सी पर बैठे सदन की कार्यवाही मे भाग लेते देखा गया।

ईपीएस विधानसभा सत्र मे अनुपस्थित रहे। सूत्रो ने बताया कि उन्होने विधानसभा सत्र का बहिष्कार किया क्योकि प्रतिद्वद्वी गुट के नेता ओपीएस को विधानसभा उप-नेता अध्यक्ष के रूप मे बैठाया गया था।

सत्र के बाद मीडियाकर्मियो को सबोधित करते हुए ओपीएस ने कहा, “हम आज विधानसभा सत्र मे अन्नाद्रमुक विधायक के रूप मे भाग ले रहे है। आपको ईपीएस गुट से पूछना चाहिए कि वे विधानसभा सत्र मे शामिल क्यो नही हुए।


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