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नई दिल्ली@गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट मे दाखिल किया हलफनामा

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नई दिल्ली, 17 अक्टूबर 2022। बिलकिस बानो केस मे गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने हलफनामा दाखिल किया है। मामले मे गुजरात सरकार ने 11 दोषियो को रिहा करने के अपने फैसले का बचाव किया है। हलफनामे मे कहा गया कि 11 दोषियो ने जेल मे 14 साल की सजा पूरी कर ली थी। उनका व्यवहार भी अच्छा पाया गया। इसके बाद उन्हे रिहा करने का फैसला किया गया।
गुजरात सरकार ने किया था रिहा
मामले मे दोषी ठहराए गए 11 लोगो को 15 अगस्त को गोधरा उप-जेल से रिहा कर दिया गया था। गुजरात सरकार ने अपनी छूट नीति के तहत उनकी रिहाई की अनुमति दी थी। इन्होने जेल मे 15 साल से अधिक समय पूरा किया था।
क्या है मामला?
27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस मे गोधरा स्टेशन के पास आग लगा दी गई। इस घटना मे अयोध्या से लौट रहे 59 श्रद्धालुओ की मौत हो गई। घटना के चलते गुजरात मे दगे भड़क उठे। दगो की आग तीन मार्च 2002 को बिलकिस के परिवार तक पहुच गई।
उस वक्त 21 साल की बिलकिस के परिवार मे बिलकिस और उनकी साढ़े तीन साल की बेटी के साथ 15 अन्य सदस्य भी थे। चार्जशीट के मुताबिक बिलकिस के परिवार पर हसिया, तलवार और अन्य हथियारो से लैस 20-30 लोगो ने हमला बोल दिया था। इनमे दोषी करार दिए गए 11 लोग भी शामिल थे।
दगाइयो ने बिलकिस, उनकी मा और परिवार की तीन अन्य महिलाओ के साथ दुष्कर्म किया। उन सभी को बेरहमी से पीटा। हमले मे परिवार के 17 मे से सात सदस्यो की मौत हो गई। छह लापता हो गए। केवल तीन लोगो की जान बच सकी। इनमे बिलकिस, उनके परिवार का एक पुरुष और एक तीन साल का बच्चा शामिल था।
घटना के बाद बिलकिस लिमखेड़ा पुलिस स्टेशन पहुची। जहा उन्होने शिकायत दर्ज कराई। सीबीआई के मुताबिक शिकायत दर्ज करने वाले हेड कॉन्स्टेबल सोमाभाई गोरी ने भौतिक तथ्यो को दबाया और बिलकिस की शिकायत को तोड़-मरोड़ कर लिखा। यहा तक की उन्हे मेडिकल जाच के लिए सरकारी अस्पताल मे तब ले जाया गया जब वो गोधरा के राहत कैप मे पहुची। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद बिलकिस का मामला सीबीआई को जाच के लिए स्थानातरित कर दिया गया।
आखिर किस आधार पर छोड़ा गया?
11 दोषियो मे से एक राधेश्याम शाह ने सुप्रीम कोर्ट मे सजा माफी के लिए याचिका दायर की। कोर्ट ने गुजरात सरकार को याचिका पर फैसला लेने को कहा। इसके बाद गुजरात सरकार ने एक कमेटी गठित की थी। इस कमेटी ने माफी की याचिका मजूर कर ली। इसके बाद इन लोगो की रिहाई हुई।
किस कानून के तहत हुई दोषियो की रिहाई?
सविधान के अनुच्छेद 72 और 161 मे राष्ट्रपति और राज्यपाल के पास कोर्ट से सजा पाए दोषियो की सजा को कम करने, माफ करने और निलबित करने की शक्ति है। कैदी राज्य का विषय होते है इस वजह से राज्य सरकारो के पास भी दड प्रक्रिया सहिता (सीआरपीसी) की धारा 432 के तहत सजा माफ करने का अधिकार है।
राज्य सरकार पर कुछ पाबदिया भी
हालाकि, सीआरपीसी की धारा 433्र मे राज्य सरकार पर कुछ पाबदिया भी लगाई गई है। जैसे फासी या उम्रकैद की सजा पाए दोषी को तब तक जेल से रिहा नही किया जा सकता है जब तक उसने कम से कम चौदह साल की कैद की सजा नही काट ली हो। सजा माफी की याचिका लगाने वाले राधेश्याम को जेल मे 15 साल चार महीने हो चुके थे।


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