अम्बिकापुर 30 सितम्बर 2022 (घटती-घटना)। सितंबर संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय सरगुजा अंबिकापुर के प्रयोजनमूलक हिंदी विभाग के तत्वावधान में आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय के यशस्वी कुलपति प्रोफेसर अशोक सिंह जी की अध्यक्षता में आज दिनांक 30 सितंबर 2022 को अपराह्न 200 बजे पंडित दीनदयाल उपाध्याय सभागार में आजादी के इतिहास पर कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया । इस काव्य गोष्ठी में सरगुजा के स्वनामधन्य साहित्यकार कवि एवं पत्रकार उपस्थित होकर अपनी रचनाओं का पाठ किया । माननीय कुलपति प्रो अशोक सिंह के द्वारा दीप प्रज्वलन करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया । तत्पश्चात श्रीमती पूनम सिंह दुबे के द्वारा मां सरस्वती का वंदना गीत और श्री रंजीत सारथी के द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य गीत की प्रस्तुति की गई । अभ्यागत कवियों का स्वागत श्री समन नारायण उपाध्याय के द्वारा किया गया ।
भोजपुरी फिल्म निर्देशक और गायक श्री गोपाल पांडेय ने श्रहमत बरस रही है मैया तेरे भवन मेंश् अपना स्वरचित गीत प्रस्तुत किया । तत्पश्चात राजनीतिज्ञ और कवि विनोद हर्ष जी ने अपना गीत पाठ करते हुए कहा.आओ कुछ भेंट करें मातृभूमि स्वतंत्र को। इस अवसर पर श्रृंगार के कवि देवेंद्र नाथ दुबे ने अपनी कविता. तेरी दौलत घूमा करती घर आंगन चौबारे में । मेरे अक्षर सैर करेंगे सूरज चांद सितारों में ।। की पंक्तियाँ पढ़ी । श्री सुरेश प्रसाद जायसवाल ने अपनी कविता में कहा. हम भारत के रहने वाले भारतवासी कहलाते हैं ।।
इस अवसर पर दिग्विजय सिंह तोमर ने कविता पाठ करते हुए कहा. श्सम्राट विक्रमादित्य का अखंड आर्यावर्त न्यारा था । कसम मंगल पांडेय की लेकर हम रहेंगेए जो भूभाग हमारा था ।।सरगुजिया के लेखक.कवि डॉक्टर सुधीर पाठक ने कहा. मधुर मिलन सुरताल की । हिंदी भाषा है कमाल की ।। संतोषदास सरल ने अपने वीर रस की ओजस्वी कविता में कहा. भारत मां का है वरदान नमो प्रहार करो । अंतिम युद्ध की करो घोषणा शत्रु का संहार करो ।। इस अवसर पर डॉ अजय पाल सिंह ने कहा. कोई तुमको कहता जमीन है और किसी की वतन है तू । किसी ने तुझको देश कहा पर मेरी तो बस मां है तू ।। श्रीमती गीता दुबे ने अपने दोहा में कहा. वंदन करते भारतीए सदा रहे सम्मान । गौरव गाथा देश नित बढ़ाए मान ।। श्याम बिहारी पांडेय ने अपनी कविता पाठ करते हुए कहा. हां हां मैं मंगल पांडे हूं । हां हां मैं मंगल पांडे हूं ।। जब देश हमारा सोया था । जागी रातों मैं रोया था ।। रंजीत सारथी ने कहा कि. हिंदू फूले फलेए झंडा ऊंचा रहे । लगा नाराए झंडा ऊंचा रहेगा हमारा ।। सरगुजा के दोहा सम्राट. मुकुंदलाल साहू ने कहा कि. उत्तम भारत देश है उत्तम है परिवेश । सुंदर इसकी संपदाए सुंदर सभी प्रदेश ।
श्रीमती संध्या सिंह ने अपनी कविता में कहा. होता है रिक्तता का आभास सा विलुप्त है स्वर्णिम इतिहास के । कुछ अनमोल अनछुए लम्हे इतिहास के कुछ श्वेत कुछ श्याम पन्ने।। श्रीमती मंशा शुक्ला ने कहा. दग्ध है ज्वाला ह्रदय में दीप बन अब जलूं कैसे । है भरा सैलाब मन में अश्क बन मैं बहूँ कैसे ।। श्रीमती गीता दुबे ने अपने गीत में कहा. नशा मुक्त हो जहां हमारा । रामराज हो भारत सारा ।। श्रीमती माधुरी जायसवाल ने कहा. जब मैं मरूं मेरी यह पहचान लिख देना । मेरे कफन से ही मेरा हिंदुस्तान लिख देना ।। डॉ उमेश कुमार पांडेय ने अपने काव्य पाठ में कहा. हर धर्म इंसानियत का पाठ पढ़ाता है । मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा एक ही राह दिखाता है ।। आनंद सिंह यादव ने कहा कि लाल रक्त से धरा नहाई । खेत भूमि पर लालिमा छाई ।। कार्यक्रम के संयोजक डॉ राजकुमार उपाध्याय मणि् ने अपना गीत प्रस्तुत करते कहा. घर.घर तिरंगा फहरा रहा है । मेरा भारत बदल रहा है ।। इस गोष्ठी में श्री अम्बरीश कश्यप भुवनेश्वर आदि ने भी काव्य पाठ किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के यशस्वी कुलपति प्रोफेसर अशोक सिंह जी ने श्रीमती आशा पांडे एवं श्रीमती पूनम दुबे द्वारा संपादित मानव कल्याण एवं सामाजिक विकास संगठन द्वारा प्रकाशित की गई नशे की प्रवृत्ति एवं उसका निदानए अमृत उत्सव लहर छत्तीसगढ़ साहित्य प्रवाहित तथा श्री सुरेश प्रसाद जायसवाल द्वारा रचित काव्य.गंगा पीपर कर पतई आदि अनेक कृतियों का विमोचन भी किया गया । कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ उमेश कुमार पांडेय ने किया और काव्य गोष्ठी का संचालन कार्यक्रम के संयोजक डॉ राजकुमार उपाध्याय मणि ने किया ।
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