बैकुण्ठपुर@क्या एसडीओ फारेस्ट अखिलेश मिश्रा बहुत बड़ा नाम है?

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  • नाम यूं ही बड़ा नहीं हुआ,15 सालों में बड़ा हुआ है, कोई भी मुख्य सचिव ऐसा नहीं जो तबादला सूची में उनका नाम दर्ज कर सके?
  • 15 वर्षों में वन विभाग में कई बार तबादले हुए होंगे,तबादले की सूची जारी हुई होगी,सूची कोई नाम नहीं था तो वह नाम था अखिलेश मिश्रा का।
  • ऐसी क्या वजह है कि वन विभाग के तबादले सूची में वर्तमान बैकुंठपुर एसडीओ फारेस्ट अखिलेश मिश्रा का नाम नहीं होता?
  • नाम यूं ही बड़ा नहीं हुआ,15 सालों में बड़ा हुआ है,कोई भी मुख्य सचिव ऐसा नहीं जो तबादला सूची में उनका नाम दर्ज कर सके।


-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 29 सितम्बर 2022 (घटती-घटना)। अविभाजित कोरिया जिले में एक ऐसा विभाग है जहां एक नाम काफी बड़ा होता चला जा रहा है और इसकी वजह भी सिर्फ एक है तबादला सूची में नाम ना होना, यदि पिछले 15 सालों की बात की जाए तो वन विभाग में कई बार तबादले हुए होंगे, जिसमें प्रभारी रेंजर, रेंजर, एसडीओ व डीएफओ सभी का तबादला हुआ होगा पर यदि किसी का तबादला नहीं हुआ तो वह है अखिलेश मिश्रा का जो कि वर्तमान में एसडीओ फारेस्ट बैकुंठपुर हैं, यह नाम ऐसा है जिसे शायद ही कोई व्यक्ति ना जनता हो, यह पहचान के मोहताज भी नहीं है और यह पहचान इन्होंने ऐसे ही नहीं बनाई है इन्होंने इस पहचान के लिए कोरिया जिले को लगभग 15 साल दिए है, इस 15 साल में कोई भी इस विभाग में ऐसा मुख्य सचिव नहीं आया जो इनका तबादला कर सके?
कोरिया जिले के वन मंडल में अखिलेश मिश्रा एक ऐसा नाम है जिनके रहते हुए कई एसडीओ व डीएफओ रेंजर व प्रभारी रेंजर बदल गए पर नहीं बदले गए तो सिर्फ अखिलेश मिश्रा, अखिलेश मिश्रा कोरिया जिले में रहते हुए प्रभारी रेंजर से रेंजर, रेंजर से एसडीओ अब हो सकता है कि डीएफओ भी बन जाए पर सवाल यह है कि क्या इनका तबादला होगा? पदोन्नति तो होती है पर इनका तबादला नहीं होता और तो और इन्हें सरगुजा संभाग के सभी पत्रकार अच्छे से जानते हैं इनके ऊपर इस जिले में मेहरबानी कितनी है की सारे निर्माण कार्य इनके अधीन होते हैं और एक नहीं दो-दो जगह का प्रभार इन्हें दे दिया जाता है, वहीं इनकी संपत्तियों में भी लगातार इजाफा होता आ रहा है वहीं जांच का विषय तो सिर्फ यह है कि आखिर इनकी बढ़ती संपत्ति का राज क्या है? शायद इस राज को एसीबी आयकर विभाग भी नहीं पता लगा पा रहें हैं, वैसे बताया जाता है कि इनकी पकड़ ही कुछ ऐसी है कि सभी कुछ इनके अधीन है,चाहे आयकर विभाग हो चाहे सतर्कता विभाग या आय से अधिक संपत्ति की जांच करने का कोई भी विभाग सभी मे इनकी पकड़ है और इसी पकड़ और पहचान की वजह से यह बचते चले आ रहें हैं और लगातार अपनी संपत्ति में इजाफा भी करते चले आ रहें हैं।

महंगे दाम पर जमीन खरीदी करने में भी इनका जिले में लिया जाता है नाम
इनकी ख्याति केवल विभाग तक ही सीमित है ऐसा नहीं है आजकल इनको जमीन महंगे दाम पर खरीदने में माहिर माना जाता है, जिले में जमीन कहीं भी जिस दाम पर मिल रही हो उससे अधिक दाम वह भी कई गुना ज्यादा दाम देकर जमीन खरीदने को लेकर इनकी खासी ख्याति है। जिले में इनकी जमीन संबंधी संपत्ति में लगातार इजाफा हुआ है जो जग जाहिर भी है।
विभाग सहित जिले के आला अधिकारियों पर भी नियंत्रण रखने में हैं माहिर
यह एक ऐसे अधिकारी हैं जिन्हें जिले के आला अधिकारियों सहित अपने विभाग पर नियंत्रण रखने में महारत हासिल है। इनके विरुद्ध न कभी कोई अधिकारी जांच की बात करता और न ही इनके विरुद्ध शिकायतों पर कोई कार्यवाही ही होती है। कई बार कई मामलों में इनकी गलती सामने लाने पर भी उच्चाधिकारी मौन रहते हैं जबकि जिले में वन विभाग के अधिकांश काम निर्माण के यही स्वयं करते हैं।
जनप्रतिनिधियों से भी बेहतर रखते हैं सामंजस्य
इनका जनप्रतिनिधियों से भी बेहतर सामंजस्य बना रहता है,किसी भी दल का जनप्रतिनिधि क्यों न हो सभी इनसे प्रसन्न रहते हैं और इनके विरुद्ध जाकर इनकी गलतियों को लेकर किसी कार्यवाही की मांग से बचते हैं,कुल मिलाकर सभी को साधे रखने में इन्हें महारत हासिल है और इसमें यह निपुण है।


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