नई दिल्ली@महिलाओ के हक¸ मे कोर्ट का सुप्रीम फैसला!

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कहा-सभी महिलाए सुरक्षित और कानूनी गर्भपात की हकदार
नई दिल्ली , 29 सितम्बर 2022।
ने महिलाओ के हक¸ मे एक अहम फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने अविवाहित महिलाओ या नाबालिग महिलाओ पर से 20 सप्ताह की अवधि के बाद गर्भावस्था के बाद गर्भपात से प्रतिबध हटा दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने सभी महिलाओ को 24 सप्ताह तक अपनी गर्भावस्था को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने की इजाजत दी है।
एमटीपी यानी मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेसी पर जस्टिस डी वी चद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आधुनिक समय मे यह धारणा छोड़ी जा रही है कि विवाह इन अधिकारो का स्रोत है। विधियो को हमेशा बोलने वाला माना जाता है।
एमटीपी (मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेसी) की व्याख्या सामाजिक वास्तविकताओ और मागो के अनुसार होनी चाहिए। कानूनो का पुनर्समायोजन और पिछले अभिलेखागार मे नही हो सकता। असशोधित 1971 अधिनियम विवाहित महिला से सबधित था, लेकिन 2021 के उद्देश्यो और कारणो का विवरण विवाहित और अविवाहित के बीच अतर नही करता है। इस प्रकार सभी सुरक्षित और कानूनी गर्भपात के हकदार है।
जस्टिस डी वाई चद्रचूड़ ने कहा कि वास्तव मे विवाह मे अधिकारो का सचार होता है। लेकिन व्यक्तियो के अधिकारो के लिए एक पूर्व शर्त के रूप मे विवाह को बदलना होगा। बदलते सामाजिक कुरीतियो को ध्यान मे रखना चाहिए। ऐसा होना चाहिए ताकि गैर-पारपरिक पारिवारिक सरचनाए ऐसे कानूनो का लाभ उठा सके। बता दे कि इस तरह की माग की जा रही थी कि 24 सप्ताह के अदर गर्भपात का अधिकार सभी महिलाओ को मिलना चाहिए।


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