नई दिल्ली,28 सितम्बर 2022। नोटबदी के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट मे याचिका पर सुनवाई 12 अक्टूबर तक के लिए स्थगित हो गई है। कोर्ट ने कहा कि पहले यह जाच की जाएगी कि नोटबदी को चुनौती दे रही याचिकाए अकादमिक तो नही बन गई है। कोर्ट के अनुसार, यह भी पता लगाना होगा कि सुनवाई योग्य है या नही। कोर्ट के अनुसार, यह भी पता लगाना होगा कि इसे सुना जा सकता है या नही। सरकार ने साल 2016 मे नोटबदी का ऐलान किया था।
बुधवार को जस्टिस एस अदुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना की सविधान बेच 58 याचिकाओ पर विचार कर रही थी। ये याचिकाए केद्र सरकार के साल 2016 मे लिए गए नोटबदी के फैसले के खिलाफ दायर की गई थी।
सुनवाई के दौरान जस्टिस नजीर ने सवाल किया, ‘क्या अब भी यह बचा है।’ इसपर वकील ने जवाब दिया कि शीर्ष न्यायालय ने साल 2016 मे कई मुद्दो की पहचान की थी और मामले को सविधान बेच के पास भेज दिया था। उन्होने बताया कि इस मामले पर उच्च न्यायालयो मे सुनवाई पर रोक लगा दी थी। बाद मे जस्टिस गवई की तरफ से भी इसी तरह का सवाल किया गया।
एक अन्य वकील ने कहा कि मामले के दो पहलु है। पहला कि इसमे सरकार के निर्णय की वैधता और लोगो की तरफ से किए गए परेशानियो का दावे शामिल है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘व्यवहारिक उद्देश्यो के लिहाज से ये मुद्दे अब नही बचे है। अगर शैक्षणिक उद्देश्य से बेच इन पर विचार करना चाहती है, तो हम मदद कर सकते है।’
इसपर जस्टिस गवई ने सवाल किया, ‘इतने बड़े स्तर पर लबित होने के बाद भी पाच जजो की बेच के अकादमिक मुद्दो पर विचार करना चाहिए? क्या अकादमिक मुद्दो के लिए समय है?’ जस्टिस नजीर ने मामले पर सुनवाई के लिए 12 अक्टूबर की तारीख तय की है। उन्होने कहा, ‘पहला सवाल है कि हम यह जाच करेगे कि क्या यह मुद्दा अकादमिक बन गया है और इसे सुना जा सकता है या नही।’
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