- कौन देगा मृतक पौलुश के परिवार को क्षतिपूर्ति?
- वन मंडल बैकुण्ठपुर का सरकारी वाहन और अफसर साही बनी युवक के मौत की वजह।
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 26 सितम्बर 2022 (घटती-घटना)। वन मंडल बैकुंठपुर का सरकारी वाहन और अफसर साही बनी युवक के मौत की वजह, लापरवाही ऐसी की दुर्घटना बाद भी सरकारी जीप का अता पता लगाना भी मुनासिब नहीं समझा वन विभाग, आपको बता दें की वन मंडल बैकुंठपुर की सरकारी जीप क्रमांक सी जी 02/2032 जो की उत्पादन क्षेत्र दौरे के लिए भगन राम खेस को दी गई थी। सूत्रों के अनुसार 7 मई को रात्रि 7 बजे रेंजर भगन राम खेस का भतीजा पौलुष आत्मज चंद्रिका खेस उम्र 23 वर्ष निवासी जामडीह सीतापुर सरगुजा के द्वारा अन्यत्र कारणों से या फिर बिलकुल गैर जिम्मेदाराना तरीके से साम रात को सोनहत से बैकुंठपुर मार्ग पर सरकारी जीप को चलाते हुए लेजाया जा रहा था। जिसके बाद उक्त चालक ने ट्रैक्टर ट्राली से जीप लड़ा दी। मृतक चालक के पास ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं था और ना ही उसे ठीक से वाहन चलाना आता था। जिसमे भगन राम खेस के भतीजे पौलुश की मौके पर ही मौत हो गई। घटना की खबर बाद वन विभाग ने गाड़ी की खैर खबर तक नही लिया। जिसके बाद सोनहत पुलिस द्वारा आम लोगों से सूचना मिलने पर उक्त दोनों वाहनों का जप्ती बनाया गया और थाने में गाड़ी खड़ी कराई गई। जानकारी में यह भी स्पष्ट हुआ की बाद में भगन राम खेस के द्वारा थाने में सूचना दी गई। अवगत करा दें की सोनहत पुलिस द्वारा उक्त सरकारी जीप के कागजों को मंगाया भी गया परंतु वन विभाग उस वाहन का कोई भी वैध अवैध दस्तावेज नहीं दिया।जिसके बाद सोनहत पुलिस द्वारा उक्त वाहन पर आई पी सी की धारा 304 ए के तहत जे एम एफ सी कोर्ट बैकुंठपुर में 13/6/22 को चालान पेश कर दिया गया है। और अब मामला न्यायालय में विचाराधीन है।
मौत पर लापरवाह बना वन विभाग,कैसे मिलेगा मृतक के परिवार को क्षतिपूर्ति
उक्त सरकारी जीप क्रमांक सी जी 02/2032 काफी पुरानी है, जिसका शायद फिटनेस भी नही था। आखिर किसकी मनमानी से सड़क पर दौड़ाई जा रही थी सरकारी जीप। गैर सरकारी चालक बिना ड्राइविंग लाइसेंस के कैसे चला रहा था वाहन। अगर वाहन पुराना था तो उसे मनमानी पूर्वक उपयोग में क्यू लिया जा रहा था? घटना के बाद वन विभाग पुलिसिया कार्यवाही से क्यू भाग रहा था? पुलिस के कई बार मांगने पर भी कोरिया वन मंडल के अधिकारियों द्वारा वाहन के दस्तावेज क्यों नहीं दिए गए? मृतक चालक को गाड़ी किसने दिया। मृतक पौलुश की मौत पर उसके परिवार के तरफ से क्षतिपूर्ति का दावा किस दबाव पर नहीं किया गया, क्या देवगढ़ के वर्तमान रेंजर वन विभाग और लापरवाही लिप्त अधिकारियों सहित खुद की मनमानी उजागर न हो और वाहन प्रभारी भी बचे रहें? इस मंशा से अपने भतीजे को क्षतिपूर्ति नही दिला रहे हैं? आपको अवगत करा दें की न्यायालय में प्रस्तुत मामले को हल्का बनाकर क्यू पेश कराया गया? हालांकि पुलिस ने इस कार्यवाही में पूरी ईमानदारी दिखाई है, लेकिन काफी सारे पहलुओं पर मामले चालान के वक्त ही शुरुआती कागजी खानापूर्ति को कमजोर बनाने के लिए वन विभाग ने अंदरूनी प्रयास किया है। जिसके बाद यही लगता है की आखिर मृतक को कहां से न्याय दिलाने की कोशिश की गई है। क्या मृतक के परिवार को पौलुश की मृत्यु का क्षतिपूर्ति मिल सकेगा, सब कुछ।