- मजदूरों का सुनने वाला कोई नहीं,अधिकारियों की सुनने वाले कई, संरक्षण देने वाले कई।
- सोनहत पार्क प्रभारी रेंजर पर शासकीय राशि से निजी कार्य कराने का मजदूरों ने लगाया आरोप।
- मामला राष्ट्रीय उद्यान के सोनहत वन क्षेत्र का,मजदूरों का नहीं मिल रहा समय पर मजदूरी।
- रेंजर संघ मामले को हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट लगाए इसके बाद भी क्यों कई रेंज आज भी डिप्टी रेंजरों पर निर्भर हैं?
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 20 सितम्बर 2022 (घटती-घटना)। वन विभाग का कार्य कागजों में ज्यादा और धरातल में कम मिलता है। कुछ कार्य अगर धरातल में हुए भी तो ग्रामीणों को मजदूरी की भुगतान विभाग नही कर पा रहा है बल्कि अफशर कैश पेमेंट का बहाना करके राशि ढकार ले रहे है।
गौरतलब है कि जिले के गुरुघासी दास राष्ट्रीय उद्यान वन विभाग बैकुंठपुर में कुछ रेंज प्रभारी के मत्थे जिले की बागडोर सम्हाल रहे है। वन विभाग पर लगातार अनिमियता का आरोप लगते ही रहा है पर क्या जाच व कार्यवाही हुई? यह आज भी पहेली बनी हुई हैं जहा निर्माण कार्यो में अनियमितता को लेकर इन दिनों राष्ट्रीय उद्यान सुर्खियों में तो हैं, अब सोनहत पार्क परिक्षेत्र में कार्यरत पूर्व मजदूरों ने सोनहत पार्क प्रभारी परिक्षेत्रधिकारी पर बड़ा आरोप लगाते हुए बताया कि साहब हमारा मजदूरी भुगतान नही दे रहे, वही हमसे साहब अपने घर मे निजी काम करवाने का दबाव डालते है मना करने पर हम पर दबाव डालते है। काम नही दूंगा कहते है और बचा हुऐ पेमेंट के लिए कार्यालय का चक्कर कटवाते है। कार्यालय का चक्कर कटवा कर मानशिक दबाव डाला जा रहा कि हम उनके घर का खेती बाड़ी में कार्य करने को तैयार हो जाए, साफ साफ मना कर दिए तो कार्यालय का चक्कर कटवा रहे है। तो वही शासन के रुपयों से हमारा मजदूरी भुगतान करवाने की बात कहते है। अब इस बात पर कितनी सच्चाई है ये तो जांच के बाद ही पुष्टि हो सकती है, मगर ये कथन मजदूरों का है कोई तो बात जरूर होगी अन्यथा कोई अपने रोजी रोटी पर उंगली क्यो उठाएगा? वही मजदूरों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों से भी इसकी शिकायत की किन्तु कोई कार्यवाही नही हुई जिससे मजदूरों में अब प्रभारी रेंजर के प्रति रोष हैं।
एक नजर पूरे मामले पर
सोनहत पार्क परिक्षेत्र प्रभारी रेंजर की मनमानी तो आपको सुनने को हमेशा मिलता ही हैं पर अब शासकीय दरों में कार्यरत व निजी कार्य मे लगे मजदूरों के भी भुगतान के लिए शासन की राशि का उपयोग कराने का मामला सामने आया है। मजदूरों के हिसाब से जिन मजदूरों ने प्रभारी पार्क परिक्षेत्राधिकारी पर आरोप लगाया है वे सोनहत पार्क परिक्षेत्र अंतर्गत लोलकी मझगांव सर्किल में फ़ायर्वाचार का काम करते थे। आगे बताया कि हम लोग मजदूरी कर जैसे तैसे अपना जीवन व्यतीत करते है और 4 से 6 महीने पेमेंट नही मिलने से हमारा जीवन बसर आर्थिक स्थिति शून्य हो गई है। जबरजस्ती करने और लगातार बोलने पर प्रभारी रेंजर ने कुछ पेमेंट कराया और बाकी के लिए बाद में बोले थे जिसके बाद काम भी दोबारा नही दिया गया अब पेमेंट की मांग करते है तो कहते है मेरे घर पर काम करो तब पेमेंट मिलेगा और साल भर पेमेंट करवाता रहूंगा जानकारी देने वाले मजदूर ने बताया कि शासकीय रुपए में मजदूरों को अपने घर निजी कार्य कराने के लिए भेजते है। हम लोग मना कर दिए तो फायरवाचार कार्य के बाद दूसरा कोई कार्य नही दिया गया, जबकि कई काम चल रहे है इस प्रकार मजदूरों का प्रभारी रेंजर द्वारा दोहन किया जा रहा है।
प्रभारी रेंजर ही विभाग के उच्य अधिकारियों को क्यो पसंद है?
जब उच्य अधिकारी ही पार्क परिक्षेत्रों में प्रभारी रेंजर बैठाने का दाव खेल रहे तो उनके भरोशे मंद प्रभारी रेंजर क्यो न मैदान में ऐसे कृत्यों के साँथ क्यो न खेले? समझ से परे है कि प्रभारी रेंजर ही विभाग के उच्य अधिकारियों को क्यो पसंद है। जबकि रेंजर संघ ने भी इस मामले में कई बार आवाज बुलंद की है यहाँ तक कि हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तक भी मामला जा चुका है। उसके बाद भी सब समझ से परे है कि आखिर क्यों कई रेंज आज भी डिप्टी रेंजरों पर निर्भर हैं।