भिड@राष्ट्रपति सम्मानित शिक्षक राजौरिया का गणित पढ़ाने का तरीका अनोखा

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देशभर से आता है लेक्चर के लिए बुलावा
भिड, 06 सितम्बर 2022।
भिड जिले के शासकीय माध्यमिक विद्यालय मध्यवर्ती मे पदस्थ शिक्षक राजौरिया के पढ़ाने का अदाज ही निराला है. गणित विषय के शिक्षक राजनारायण राजौरिया पिछले 42 वर्षो से शिक्षक है और गणित मे रुचि रखने के चलते बच्चो के लिए इस विषय को सरल बनाने मे जुटे हुए है. खास बात यह है कि उनके इन प्रयासो के लिए उन्हे राष्ट्रपति ने भी सम्मानित किया है. राजौरिया सर ने गणित को सरल रूप मे सिखाने के लिए दो किताबे भी लिखी है. उनकी किताब भारतीय गणित विज्ञान काफी लोकप्रिय है.
इतना ही नही राजौरिया ने घर मे निकलने वाले वेस्ट मटेरियल जैसे लकड़ी, प्लास्टिक, वगैरा से सरल रूप से गणित सीखने के लिए सैकड़ो डिजाइन और एक्सपेरिमेटल टूल बनाए है. जिसकी मदद से खेल-खेल मे बच्चे गणित समझ लेते है. शिक्षक राजनारायण राजौरिया के जुनून को इस बात से अदाजा लगाया जा सकता है कि वे अपने बनाए एक्सपेरिटल टूल्स को स्कूल मे लेकर जाते है और उनसे बच्चो से लाइव प्रदर्शन करते हुए सिखाते है. उनकी क्लास के बच्चे भी कहते है कि उनके सर का इस तरह से सिखाने का तरीका उन्हे बेहद पसद है. उनकी क्लास मे हमेशा कुछ नया सीखने को मिलता है और खेलने के लिए भी।
शिक्षक राज नारायण राजौरिया कहते है कि इस तरह से बच्चे बिना किताब पढ़े गणित सीखते है. बच्चे वे सवालो को पहले हल करते है. किताब बाद मे देखते है. स्कूल के अलावा उन्होने घर मे भी गणित की प्रयोगशाला बना रखी है. स्कूल के बाद भी वो बच्चो के कठिन प्रश्नो को हल करते है. स्कूल की हेडमास्टर भी कहती है कि राजौरिया सर के बारे मे काफ़ी सुना था. अब यहाँ उनके साथ काम कर अच्छा लगता है. जब बच्चे शिक्षको से सीखकर आगे बढ़ते है. उनका रिज़ल्ट अच्छा आता है.
राजनारायण रजौरिया गणित के लिए उनकी इस लगन के लिए भारत सरकार और लेकर अलग अलग प्रदेश सरकारे सम्मानित कर चुकी है. साल 2014 मे तत्कालीन राष्ट्रपति स्व प्रणव मुखर्जी ने उन्हे राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान राष्ट्रपति सम्मान से नवाजा था. मध्यप्रदेश सरकार ने भी उन्हे रामानुजन पुरस्कार से लेकर राज्य शिक्षक सम्मान दिया है. साल 2014 मे उन्हे कई पुरस्कारो से नवाजा गया है. उसके बाद से कई अवार्डस आज उनके घर की शोभा बढ़ा रहे है.
गणित के प्रति उपलçध सिफऱ् स्कूल या घर तक ही सीमित नही है ना सिफऱ् मध्यप्रदेश सरकार बल्कि अलग अलग राज्यो की सरकारे और खुद भारत सरकार के डीएसटी ( डिपार्टमेट ऑफ साइयन्स एड टेक्नॉलजी) द्वारा आयोजित कार्यक्रमो मे ट्रेनिग कार्यशालाओ मे उन्हे विशेष तौर पर उन्हे बुलाया जाता है. जहा वे अपने गणित सिखाने के तरीक¸े और एक्सपेरिमेट से दूसरो को भी ट्रेनिग देते है. वे अब तक कई प्रतिष्ठित विश्व विद्यालयो मे भी मैथ्स सेमिनार लेने जा चुके है.
राज नारायण कहते है कि अच्छा लगता है जब कोई आपके कार्य की सराहना करता है. वे इन कार्यक्रमो मे जाते है, तो उन्हे कई नए लोगो से ख़ासकर गणितज्ञो से मिलने का अवसर मिलता है. वे उनसे सीखते है उन्हे सीखते है. कई लोग ने तो उनसे इन्स्पाइअर होकर इन टूल्स के साथ नए एक्सपेरिमेटल टूल भी तैयार किए है. एक ओर जहा चबल का भिण्ड जिला शिक्षा और पिछड़ेपन का शिकार है. जहा पर रोजगार और शिक्षा के सीमित साधन है. उसके बावजूद यह शिक्षक गणित को सरल रूप मे सिखाने और समझाने के लिए नए-नए तरीके इजाद कर बच्चो का भविष्य सवार रहा है.


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