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बैकुण्ठपुर@पूर्व मंत्री भैयालाल राजवाड़े की दावेदारी पुख्ता मगर टिकट कटने का खतरा कितना?

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  • विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के दावेदार मैदान हुए सक्रिय।
  • पूर्व नपाध्यक्ष शैलेष शिवहरे व पूर्व जिपं सदस्य देवन्द्र तिवारी उतरे मैदान में।
  • 2018 के चुनाव में मिली हार से भाजपा संभल कर रखेगी कदम।
  • भाजपा भैयालाल को देगी टिकट या नही इस पर संषय, दिल्ली से टीम ने आकर सर्वे का काम किया- सूत्र
  • विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा का संगठनात्मक ढांचा भी बदलने की चर्चा।

-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 04 सितम्बर 2022 (घटती-घटना)। विधानसभा चुनाव के लिए अब मात्र 16 महीने का समय शेष रह गया है, अनुमान के मुताबिक नवंबर-दिसंबर 2023 में विधानसभा का चुनाव होना है इसके लिए प्रदेश की मुख्य विपक्षी दल भाजपा में प्रदेष सहित विधानसभा स्तर भी तैयारियां शुरू हो गई है, पार्टी द्वारा समय-समय पर विरोध प्रदर्शन के माध्यम से अपनी सक्रियता दिखलाने की कोशिष की जा रही है, खासकर जबसे क्षेत्रीय संगठन मंत्री का प्रभार अजय जामवाल को मिला है तब से लेकर भाजपा में तैयारियां और तेज हो गई है। विधानसभा चुनाव में 2018 में पार्टी को मिली करार हार को देखते हुये और इस बीच साढे तीन वर्ष का समय बीतने के बाद प्रदेष भर में सुस्त पड़ी भाजपा कार्यकर्ताओं में जान फंूकने के लिए ही प्रदेष भाजपा की जिम्मेदारी सांसद अरूण साव को दी गई तो वहीं नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी विधायक नारायण चंदेल को दी गई है। दोनो ही नेता अलग-अलग क्षेत्रों में दौरे पर निकल पड़े हैं। यहां यह कहने में कोई अतिष्योक्ति नही होगी कि भाजपा ने अपने पुराने चेहरों को अभी से किनारे करना शुरू कर दिया है जिनके दम पर हुये पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को बुरी तरह से मुंह की खानी पड़ी थी। इसी प्रकार जिले में भी प्रदेष की तर्ज पर भाजपा संगठन का वर्तमान चेहरा विधानसभा चुनाव के पहले बदल जाएगा यह जानकारों का मानना है।

भैयालाल राजवाड़े वर्तमान में वे सबसे मजबूत दावेदार
अब यदि बात बैकुंठपुर विधानसभा कि की जाए तो यहां देखने मे मिल रहा है कि यहां से पूर्व केबिनेट मंत्री भैयालाल राजवाड़े के साथ ही पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष शैलेष शिवहरे व पूर्व जिला पंचायत सदस्य देवेन्द्र तिवारी टिकट की चाह में अभी से ही मैदान में उतर चुके हैं। तीनो ही नेता आए दिन किसी न किसी गांव व हाट बाजारों में जनसंपर्क करते हुए देखे जा सकते हैं। इन तीनो ही नेताओं में अभी भी पूर्व मंत्री श्री राजवाड़े की दावेदारी और तैयारी काफी पुख्ता दिखलाई देती है,भाजपा ने उन्हे चार बार विधानसभा का टिकट दिया है जिसमें दो बार उनकी हार हुई और दो बार जीत मिली लेकिन सूत्रो के हवाले से अब जो खबर मिल रही है उसके अनुसार यदि भाजपा ने पुराने चेहरो को किनारे किया तो इसमें श्री राजवाड़े की टिकट खतरे में पड़ सकती है। सूत्रों ने बताया कि इस बार भाजपा के विधानसभा प्रत्याशियों का चुनाव सीधे तेजतर्रार नेता और देष के गृहमंत्री अमित शाह के चुनावी समीकरण से होना है, उनका चुनावी समीकरण और रणनीति किस प्रकार होता है यह सभी ने उत्तरप्रदेश समेत अन्य प्रदेशों के चुनाव में अच्छी तरह से देखा है। जाहिर सी बात है कि पिछला चुनाव भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह के चेहरे पर लड़ा और बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था उस दौरान यह बात सामने आई थी कि तब पार्टी के अध्यक्ष के रूप में काम संभाल रहे अमित शाह ने पुराने अधिकांष चेहरों का टिकट काटने को कहा था लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेष नेतृत्व ने इससे इंकार कर जीत दिलाने का भरोसा दिया भी दिया था लेकिन प्रदेश भर में भाजपा की दुर्गती हो गई, इससे तय है कि अमित शाह के चुनावी मैनेजमेंट में अधिकांष पुराने चेहरो का पत्ता साफ हो जाएगा। ऐसे में जानकारों का कहना है कि इस समीकरण से पूर्व मंत्री भैयालाल राजवाड़े की टिकट खतरे में पड़ सकती है। हलांकि पिछले चुनाव में हार के बावजूद पूर्व मंत्री अपने क्षेत्र में उसी प्रकार सक्रिय हैं जैसे कि वे पहले रहते थे। वर्तमान में वे सबसे मजबूत दावेदार भी है। सभी के दुःख-सुख में शामिल होना उन्हे अन्य नेताओं की तुलना में अलग रखता है उनकी छवि भी मिलनसार और एक सहयोगी नेता के रूप में है। लेकिन इसके बावजूद पार्टी उन्हे ही टिकट देगी इसमें संषय है। पूरे विधानसभा क्षेत्र में भी कार्यकर्ताओं समेत मतदाता भी इस बात को लेकर असमंजस में है और सभी को यह अंदेषा है कि प्रदेष में मौजूदा हालात को देखते हुए पार्टी उनका टिकट काट सकती है।

शैलेश समर्थकों के साथ प्रतिदिन हाट बाजारों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा कर रहे है
भाजपा में भैयालाल राजवाड़े की टिकट यदि कटेगी तो इस स्थिति में पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष शैलेष शिवहरे भी अपनी दावेदारी मजबूत करते हुए देखे जा सकते हैं। आए दिन राजनैतिक,सामाजिक व धार्मिक कार्यक्रमों में उनकी सक्रियता देखने को मिल रही है। 15 अगस्त को जन्मदिवस के बहाने शक्ति प्रदर्शन करने में भी उनके समर्थकों ने कोई कोर कसर नही छोड़ी है जगह-जगह जन्मदिवस कार्यक्रम का आयोजन करते हुए मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने में श्री षिवहरे ने सफलता हासिल की है। उसके बाद से वे अपने समर्थकों के साथ प्रतिदिन हाट बाजारों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा कर रहे है। श्री शिवहरे के पास कार्यकर्ताओं की बड़ी फौज है वे सभी के चहेते हैं साथ ही जिला मुख्यालय में भाजपा के एक बड़े और सहयोगी चेहरे के रूप में देखे जाते है। मुख्यालय में भाजपा का बड़ा कार्यक्रम भी उनकी मौजूदगी में संपन्न होता है यह कहना कोई गलत नही है। आज जिला मुख्यालय में भाजपा का दूसरा कोई भी ऐसा चेहरा नही है जो कि कार्यकर्ताओं की पसंद हो और जिसके पास कार्यकर्ता या आम जन अपने काम के लिए जाते हों। धार्मिक कार्यक्रम के माध्यम से उन्होने महिलाओं के बीच में अपनी जबरजस्त छवि बनाई है। एक समय था जब श्री षिवहरे भैयालाल राजवाड़े के खासमखास थे लेकिन समय के साथ-साथ अब स्थिति काफी बदल गई है और दोनो ही नेताओं के बीच बनी दूरी कार्यकर्ताओं मे चर्चा का विषय है। श्री षिवहरे अब चुनावी मैदान में उतर चुके हैं पार्टी श्री राजवाड़े का टिकट काटने की स्थिति में शैलेष षिवहरे पर जरूर विचार कर सकती है क्योंकि श्री षिवहरे भी भाजपा के एक मजबूत आधार स्तंभ माने जाते हैं। बीते नगरपालिका चुनाव में भाजपा के पार्षदों की संख्या कम होने के बावजूद और बने समीकरण पर अंततःश्री षिवहरे ने अपनी राजनीतिक चतुराई का परिचय दिया और अपनी पत्नी श्रीमती नविता षिवहरे को अध्यक्ष बनवाने में सफलता हासिल की। इस अप्रत्याषित जीत के बाद श्री षिवहरे की साख भाजपा में प्रदेष भर पर बढी और इससे प्रदेष कांग्रेस में हलचल देखने को मिला था। एक कुषल राजनीतिज्ञ के रूप में खुद को स्थापित करने में श्री षिवहरे ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। चुनावी मैदान में उनकी सक्रियता देखकर लगता है कि पार्टी एक बार उनके नाम पर भी विचार कर सकती है। पार्टी यदि पूर्व नपाध्यक्ष को टिकट देती है तो यह कहा जा सकता है कि सभी समाज से उनके मधुर संबध और व्यवहार को देखते हुए पार्टी इस सीट पर विजय पा सकती है। वैसे भी वर्तमान बैकुन्ठपुर विधायक के कार्यकाल से आम जन और खुद पार्टी के कार्यकर्ता,नेता किस कदर रूष्ट है। यह किसी से छिपा नही है, लोग सिर्फ और सिर्फ चुनाव का इंतजार कर रहे है इसका फायदा भी भाजपा प्रत्याषी को मिलना तय माना जा रहा है।

देवन्द्र तिवारी भी टिकट की चाह में प्रयास करते देखे जा सकते हैं
उक्त दोनो ही नेताओं के अलावा सोनहत क्षेत्र से पूर्व जिला पंचायत सदस्य देवन्द्र तिवारी भी टिकट की चाह में प्रयास करते देखे जा सकते हैं बैकुंठपुर क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं को लेकर इन दिनों वे आवाज मुखर करते देखे जा सकते हैं। संगठन में जबरजस्त पकड़ के बदौलत व युवा चेहरे के रूप में पार्टी यदि उन्हे टिकट देती है तो इस पर भी कोई अतिष्योक्ति नही होगी। श्री तिवारी इन दिनों चुनावी मैदान पर बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र में हर जगह अपनी उपस्थिति बतला रहे हैं। वे अपनी एक नई टीम बनाने का काम कर रहे हैं। क्षेत्र के अनेक कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति देखी जा रही है। पूर्व में वे षिक्षक संवर्ग में कार्यरत थे लेकिन नौकरी से इस्तीफा के बाद राजनैतिक क्षेत्र में काम करने के दौरान उन्हे षिक्षक संवर्ग का भी खासा समर्थन प्राप्त है। राजनैतिक कुषलता व समीकरण तय करने में वे माहिर खिलाड़ी हैं काफी कम समय में उन्होनें बैकुंठपुर क्षेत्र में खुद को स्थापित करनें में सफलता हासिल की है जिससे कि पार्टी में ही उनके विराधी नेताओं की बाढ सी आ गई है। खुद पूर्व मंत्री श्री राजवाड़े उनके प्रखर राजनैतिक विराधी माने जाते है। पार्टी यदि श्री तिवारी को टिकट देगी तो एक नए चेहरे के रूप में उन्हे जीत के लिए काफी प्रयास तो करना पड़ेगा लेकिन भाजपा का नया चुनावी समीकरण उनके काम आ सकता है। बहरहाल इन सबके बीच खबर यह भी मिल रही है कि चुनावी तैयारी के हिसाब से भाजपा ने अब सर्वे का काम भी प्रारंभ कर दिया है सूत्रो ने बतलाया कि दिल्ली की एक टीम ने यहां आकर संभावित प्रत्याषियों के नाम पर सर्वे भी किया है इस टीम को सीधे गृह मंत्री अमित शाह द्वारा भेजे जाने की जानकारी मिल रही है जो कि रिपोर्ट उन्हे सौपेगी। हलांकि भाजपा द्वारा कई चरण का सर्वे कराया जाएगा और उसे आरएसएस समेत अन्य एजेंसियों द्वारा भी रिपोर्ट दी जाएगी जिसके बाद ही टिकट तय किया जाएगा लेकिन विधानसभा चुनाव को देखते हुए अभी से दावेदार मैदान में देखे जा रहे है जिससे कि भाजपा की राजनीति अब धीरे-धीरे गर्म होती जा रही है।


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