एम्स फैकल्टी एसोसिएशन ने विरोध जताकर सदस्यो से मागी राय
नई दिल्ली ,03 सितबर 2022। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान सस्थान (एम्स) दिल्ली की फैकल्टी एसोसिएशन ने देश के सभी 23 एम्स को विशिष्ट नाम देने के सरकारी प्रस्ताव का विरोध किया है और इस मुद्दे पर अपने सदस्यो की राय मागी है। एसोसिएशन ने तर्क दिया है कि इस प्रस्ताव पर अमल से सस्थान की पहचान समाप्त हो जाएगी।
सदस्यो के बीच प्रसारित एक नोट मे एसोसिएशन ने कहा है कि पहचान नाम से जुड़ी होती है और अगर पहचान खो जाती है तो देश के भीतर और बाहर सस्थागत मान्यता भी खो जाती है। यही कारण है कि ऑक्सफोर्ड, कैब्रिज और हार्वर्ड जैसे प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयो का नाम सदियो से एक ही है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अचल कुमार श्रीवास्तव और महासचिव डॉ. हर्षल रमेश साल्वे के दस्तखत वाले नोट के मुताबिक, भारत मे आईआईटी (भारतीय प्रौद्योगिकी सस्थान) की पहचान उनके नाम से है, जो उन्हे एक सस्थान की पहचान देती है और इसे बदलने का कोई प्रस्ताव नही है। आईआईएम (भारतीय प्रबधन सस्थान) के मामले मे भी ऐसा ही है।
इसमे लिखा है कि नाम पर आधारित पहचान कितनी मजबूत होती है, इसका अदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कलकाा, बबई और मद्रास विश्वविद्यालय ने अपना नाम बरकरार रखा है।
जबकि वे जिन शहरो मे स्थित है, उनका नाम बदलकर कोलकाता, मुबई और चेन्नई किया जा चुका है। अगर नाम बदल दिया जाता है तो एम्स दिल्ली को पहचान और मनोबल की भारी क्षति का सामना करना पड़ेगा। यह अतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की स्थिति को भी प्रभावित करेगा।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनो यह सामने आया था कि सरकार ने दिल्ली सहित देश के सभी 23 एम्स का नाम स्थानीय नायको, स्वतत्रता सेनानियो, क्षेत्र की ऐतिहासिक घटनाओ या स्मारको के नाम पर रखने का प्रस्ताव किया है।
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