अम्बिकापुर 02 सितंबर 2022(घटती घटना)। वृंदावन से पधारे श्रीमद्भागवत कथा के प्रवक्ता अनिरुद्धाचार्य की अमृतमय वाणी ने शुक्रवार को श्रीमदभागवत कथा के सातवें दिन में
भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की निस्वार्थ मित्रता की चर्चा से भाव विभोर कर दिया। मधुरमय कथा का श्रवणपान कराते हुए सबको बताया कि सच्चा मित्र वही है, जो अपने मित्र की परेशानी को समझे और बिना बताए ही मदद कर दे। परंतु आजकल स्वार्थ की मित्रता रह गई है। जब तक स्वार्थ सिद्ध नहीं होता है, तब तक मित्रता रहती है। जब स्वार्थ पूरा हो जाता है, मित्रता खत्म हो जाती है।
उन्होंने कहा कि एक सुदामा अपनी पत्नी के कहने पर मित्र कृष्ण से मिलने द्वारकापुरी जाते हैं। जब वह महल के गेट पर पहुंच जाते हैं, तब प्रहरियों से कृष्ण को अपना मित्र बताते है और अंदर जाने की बात कहते हैं। सुदामा की यह बात सुनकर प्रहरी उपहास उड़ाते है और कहते है कि भगवान श्रीकृष्ण का मित्र एक दरिद्र व्यक्ति कैसे हो सकता है। प्रहरियों की बात सुनकर सुदामा अपने मित्र से बिना मिले ही लौटने लगते हैं। तभी एक प्रहरी महल के अंदर जाकर भगवान श्रीकृष्ण को बताता है कि महल द्वार पर एक सुदामा नाम का दरिद्र व्यक्ति खड़ा है और अपने आप को आपका मित्र बता रहा है। द्वारपाल की बात सुनकर भगवान कृष्ण नंगे पांव ही दौड़े चले आते हैं और अपने मित्र को रोककर सुदामा को रोककर गले लगा लिया। ऐसा भावमय प्रसंग सुन वहां उपस्थित हजारों भक्तों की आंखों में आंसू आ गये। साथ सातों दिन की संपूर्ण कथा की पुनरावृत्ति के साथ मुख्य प्रसंगों पर प्रकाश डालते हुए भक्त भगवान के मिलन और राजा परीक्षित के मोक्ष गमन के बारें चर्चा करते हुए बताया आज भी कोई व्यक्ति पूर्ण विश्वास के साथ कथा श्रवण करे तो वो भी मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है। साथ ही भावमय होकर सभी ने पूज्य व्यास जी का पूजन किया और दिव्य फूल होली के साथ आरती करते हुए कथा का विश्राम हुआ।
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