बैकुण्ठपुर@आखिर क्यों नहीं बुलाई जाती व्यापार संघ की बैठक

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कहीं वर्तमान पदाधिकारियों को हटाये जाने का डर तो नहीं?
स्थानीय व्यापार संघ से उठ गया है व्यापारियों का विश्वास?
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 02 सितम्बर 2022 (घटती-घटना)।
नित नये नये कारनामे और दूसरों के काम में अडंगा करने वाला शहर का व्यापार संघ सिर्फ और सिर्फ अपने स्वार्थ सिद्व करने तक सीमित रह गया है, इस संघ से स्थानीय व्यापारियों का भरोसा उठ गया है, व्यापारी वर्ग चाहता है कि संघ की बैठक बुलाई जाए जहां पर सभी बिंदुओं पर चर्चा और न ए सिरे से गठन हो लेकिन जिम्मेदार पदाधिकारियों द्वारा जानबुझकर बैठक का आयोजन नही किया जाता,जाहिर सी बात है कि शहर का एक छोटा व्यापारी इतना सक्षम नही है कि वह बैठक का आयोजन कर सके इस कारण व्यापार संघ के पदाधिकारी अपने मनमानी पर ऊतारू हैं।
स्थानीय व्यापारियों ने बताया कि शहर में लगभग 3 वर्ष पूर्व चौड़ीकरण के मुद्वे पर स्थानीय व्यापारियों की एक बैठक आयोजित की गई थी जिसमें कि सबसे अहम था कि इसके पहले व्यापारियों को यह नही बतलाया गया था कि व्यापार संघ का भी गठन किया जाएगा लेकिन व्यापारियों की उक्त बैठक में एक षडयंत्र के तहत व्यापार संघ के गठन की बात सामने आ गई और पूर्व नियोजित कहानी के अनुसार कुछ पदाधिकारियों का मनोनयन भी कर लिया गया इस बात की जानकारी जब शहर के वरिष्ठ और अन्य व्यापारियों को हुई तो इन्होनें इसे गलत करार दिया और कहा कि जब संघ का गठन किया जाना था तो इसकी पूर्व सूचना सभी व्यापारियों को दी जानी चाहिए थी उक्त बैठक में शहर के 50 प्रतिषत भी व्यापारी शामिल नही थे। और तो और सबसे मजे की बात है कि शहर का व्यापार संघ पंजीकृत भी नही है जिसकी आड़ में कुछेक पदाधिकारी अपना उल्लू सीधा कर रहे है। गैर पंजीकृत व्यापार संघ के नाम पर अधिकारियों की आंख में धूल झोंकने का काम व्यापार संघ के चंद पदाधिकारियों द्वारा किया जा रहा है।
दोबारा नहीं हुई व्यापार संघ की बैठक
स्थानीय व्यापारियों ने बताया कि व्यापार संघ की बैठक लगभग 3 साल पहले हुई थी जिसमें गिनती के व्यापारी ही शामिल थे उसके बाद संघ के नाम पर एक व्हाट्सप गु्रप बना लिया गया है। उसी गु्रप में मनमुताबिक सूचना व्यापारियो के सलाह बगैर डाल दी जाती है। कुछ ऐसे भी निर्णय थोप दिए जाते हैं जिनसे कि अधिकतर व्यापारी वर्ग अंजान होता हे। एक बार की बैठक के बाद दोबारा संघ की बैठक भी नही बुलाई गई। तो वहीं कुछ जानकारों का कहना है कि शहर के व्यापार संघ को स्थानीय व्यापारियों का विष्वास हासिल नही है गिनती के पदाधिकारी अपने मन मुताबिक प्रायवेट लिमिटेड की तरह संघ का संचालन कर रहे हैं और उन्हे डर है कि यदि संघ की बैठक बुलाई गई तो उन्हे पद से हटा दिया जाएगा ऐसे में काफी व्यक्तिगत नुकसान उठना पड़ेगा। आखिर में संघ के कुछेक पदाधिकारी जो कि अधिकारियों के सामने खुद को व्यापार संघ को सर्वेसर्वा बताकर उन पर दबाव बनाते हैं खुद को व्यापारियों को सबसे बड़ा हितैषी बतलाकर खुद का हित साध रहे हैं वे यदि पद से हट जाएं तो उन्हे अपना हित साधने मे दिक्कत होगी। इसलिए जानबुझकर संघ की बैठक नही बुलाई गई जिससे कि व्यापारियों में खासी नाराजगी देखने को मिलती है। स्थानीय व्यापारियों को कहना है कि जब कई सूचनांए गु्रप में डाली जाती है तो आखिर में ऐसी क्या बात है कि संघ की बैठक का आयोजन नही किया जाता। उल्लेखनीय है कि शहर में काफी वरिष्ठ और ऐसे व्यापारी भी हैं जो कि व्यापार संघ की बागडोर बहुत अच्छे से निःस्वार्थ संभाल सकते हैं लेकिन एक वर्ग है जो चाहता है कि संघ की कमान उनके पास ही रहे इस वजह से बैठक बुलाना जरूरी नही समझा जा रहा है।
संघ के अध्यक्ष की सफाई में भी व्यापारियों को संदेह
विगत दिनों घटती घटना अखबार ने व्यापार संघ के नाम पर जो गड़बड़ी की जा रही है और अधिकारियों पर सप्लाई आदि के लिए दबाव बनाया जा रहा है इस बात की खबर प्रकाषित की गई थी जिसके बाद उसे लेकर व्यापार संघ के अध्यक्ष द्वारा काफी लंबा चौड़ा मैसेज लिखकर सफाई दिया गया था उसमें यहां तक दावा किया गया था कि संघ का सदस्य प्रत्येक कार्य के लिए खुद सक्षम भी है लेकिन सवाल यह उठता है कि संघ के चुनिंदा पदाधिकारियों के अलावा कोई भी व्यापारी कभी शासकीय कार्यालयों में सप्लाई के नाम पर घूमते नही देखा गया है। शहर के व्यापारी अंजान हैं कि उनके नाम पर बनाए गए संघ के नाम पर खुद के स्वार्थ से जुड़ा आखिर क्या-क्या काम कुछेक जिम्मेदार पदाधिकारी कर रहे हैं। अखबार में खबर प्रकाषन के तत्काल बाद जिस प्रकार संघ के अध्यक्ष द्वारा खुद को पाक साफ साबित करने के लिए सफाई दिया गया उस पर भी स्थानीय व्यापारियों को संदेह है। स्थानीय छोटे और सीधे साधे व्यापारी वर्ग का मानना है कि एक ऐसे व्यक्ति को संघ का अध्यक्ष जबरन बनाकर थोप दिया गया है जो कि हमेषा से ही गरीब और छोटे व्यापारी वर्ग को दबाकर रखने का प्रयास करता है। आज स्थिति यह हो गई है कि शहर मे यदि किसी के द्वारा व्यापार करने का प्रयास किया जाता है तो जिम्मेदार पदाधिकारियों द्वारा उसे तरह-तरह से परेषान किया जाता है। सिर्फ और सिर्फ इसलिए कि दूसरे व्यापारी के आ जाने से संबंधित का व्यापार प्रभावित होता है। हलांकि उसके कृत्य की जानकारी स्थानीय व्यापारियों को नही होती है और व्यापारी वर्ग भी खुद को इन सबसे दूर रखकर सिर्फ और सिर्फ व्यापार करना चाहता है लेकिन एक वर्ग है कि उसे व्यापार के साथ-साथ शहर में कौन व्यापार करेगा कौन नही यह सब तय करने में ज्यादा ही दिलचस्पी होती है।


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