बैकु΄ठपुर @राजस्व विभाग छोटे झाड़ जंगल मद की भूमि हस्तांतरित करने के फिराक में

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मामला बैकुंठपुर तहसील के ग्राम पंचायत पटना का गुपचुप तरीके से नामान्तरण की तैयारी

भूमिहीनों को जीवन यापन व निर्वाह के लिए मिली गैर हस्तांतरणीय भूमि पर भू-माफिया का हो सकता है कब्जा

  • रवि सिंह-

बैकु΄ठपुर 19 अक्टूबर 2021 (घटती-घटना)। बैकुंठपुर तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत पटना में भी अब भूमाफियाओं का दखल दिखाई देने लगा है मामला छोटे झाड़ जंगल मद की भूमि के हस्तांतरण से जुड़ा हुआ सामने आया है। कब रजिस्ट्री हुई, किसने बिक्री की अनुमति दी, इस्तेहार कब जारी हुआ इन सब जानकारियों का किसी को पता नही लेकिन एक बात अब सामने आ रही है वह यह कि जमीन बेच दी गई, वहीं अब नामान्तरण होना है जिसका प्रकरण उप तहसील में विचाराधीन होने की चर्चा जोरो पर है वहीं पूरे मामले में ग्रामवासियों को भी कुछ भी पता नहीं।
सूत्रों की माने तो जमीन लगभग डेढ़ करोड़ से भी ज्यादा दाम पर बेचने की जानकारी आ रही है बताया यह भी आ रही है कि यह जमीन एक बहोत बड़े भू-माफिया के कब्जे में जा रही है जिसका कोरिया जिले में गुपचुप तरीके का जमीन खरीदी करने का व्यवसाय है और वह राजस्व विभाग को अपनी गिरफ्त में रखता है। छोटे झाड़ जंगल मद की भूमि उन भूमिहीनों को मिली भूमि है जिसका हस्तांतरण निषेध है और बिक्री की अनुमति भी तभी मिलनी है जब विक्रेता पट्टेधारी के पास इस बात का पक्का आधार हो कि उसके पास इस भूमि के बिक्री के अलावा अपनी बेटी के विवाह या अन्य किसी पारिवारिक सदस्य के बीमारी के इलाज के लिए अर्थ की जरूरत का बिक्री के अलावा कोई विकल्प नही है। वही इस मामले में विक्रेता एक सम्पन्न व्यक्ति है और उसके बच्चे भी सम्पन्न है वही उसके पास इस भूमि के बिक्री का कोई ऐसा आधार नही है जिससे यह साबित हो सके कि उसको पैसों की जरूरत हो। वही इस मामले में अनुमति मिलने को लेकर भी अब यह बात सामने आ रही है कि पूरे जिले के कई इसी तरह के मामले जिला कार्यालय में लंबित हैं वहीं इस मामले में चूंकि भारी लेनदेन किया गया इसलिए अनुमति दी गई है।

राजस्व विभाग व रजिस्ट्रार कार्यालय में पैसे व पहुंच वालों का जलवा

कोरिया जिले में राजस्व विभाग व उप पंजीयक कार्यालय में पैसे व पहुंच वालों का जलवा है। ऐसे लोग जो पैसे देकर काम कराना चाहते हैं या फिर प्रभावशाली हैं के काम मे कोई दिक्कत नहीं होती वहीं यदि मामला किसी मजबूर का हो या जरूरतमंद का हो तो फिर वह चक्कर ही लगाता रहेगा उसका काम नहीं होगा यह तय है। इस मामले में भी पैसे का जमकर लेनदेन हुआ है और पैसे के दम पर ही अनुमति बिक्री की मिली है वहीं यह अनुमति केवल एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के लिए दी गई है जबकि इसी प्रकार के कई अन्य मामलों में आज तक अनुमति नहीं दी गई वहीं आवेदन नस्तीबद्ध कर किनारे कर दिए गए हैं।

वन विभाग के एक अधिकारी के रिश्तेदार ने खरीदी है जमीन

इस जमीन मामले में जमीन खरीदने वाला एक वन विभाग का अधिकारी है और वह अपने एक करीबी रिश्तेदार के नाम से यह जमीन क्रय किया है यह सूत्रों का कहना है। वैसे सूत्रों की माने तो यह वन विभाग का अधिकारी जमीन किसी भी भाव खरीदने में माहिर हैं वहीं इनके रिश्तेदारों के नाम से यह लगातार जमीन खरीद भी रहे हैं।


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