- एसएलआरएम सेंटर में कार्यरत स्वच्छता दीदियों व ठेका कर्मचारियों पर निगम कमिश्नर क्यों चला रहे हिटलर शाही?
- क्या महापौर के निर्देश पर बार-बार बंद की जा रही है ठेका श्रमिकों की निष्ठा?
- आखिर इन श्रमिकों को दबाकर क्या सिद्ध करना चाहते है महापौर और निगम कमिश्नर?
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 28 अगस्त 2022 (घटती-घटना)। कोरिया जिले के एकमात्र नगर निगम में एसएलआरएम सेंटरों में कार्यरत ठेका श्रमिकों के शोषण के आए दिन नए नए मामले देखने को मिल रहे है, मिली जानकारी के अनुसार पिछले 3 माह पूर्व राज्य सरकार की ओर से प्रदत श्रमिकों के प्रोत्साहन के लिए लगभग बारह लाख रुपए एवं बोनस के लगभग तीन लाख रुपए चिरमिरी निगम को प्रदान किए गए थे जिसकी समस्त राशि इन श्रमिकों के खातों में बराबर बांट कर डाली जानी थी किंतु जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के भ्रष्ट और कमीशन खोरी की आदत ने उस राशि से कुछ पैसे का बोरा खरीदे किया गया था, जिसका स्वच्छता दीदियों और श्रमिकों ने इस बात का पुरजोर विरोध किया और अपनी बात मीडिया में रखी, तो किमजॉन की तरह शासन करने वाले जनप्रतिनिधियों को यह बात नगांवारा गुजरी और उन्होंने तत्काल अपने अधीनस्थ अधिकारियों को बोलकर उन दीदियों के निष्ठा बंद करा दी, कहते हैं एकता में ताकत होती है, सभी इस आवेदन सेंटर में कार्यरत वीडियो ने इसका पुरजोर विरोध किया और अपने नेताओं से यह बात बताई आनन फानन पक्ष विपक्ष के सभी नेता सक्रिय हुए, सबने इन कर्मचारियों के साथ धरना प्रदर्शन करने की घोषणा कर डाली, अंत: पक्ष और विपक्ष के जिम्मेदार नेताओं का दबाव बना तो किम जॉन और उनकी कठपुतली की तरह काम कर रहे निगम के जिम्मेदार अधिकारियों को घुटने टेकने पड़े और पुनः उन दीदियों की निष्ठा चालू करनी पड़ी, इस पूरे घटनाक्रम के बाद सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों निगम के जनप्रतिनिधि और अधिकारी इन मेहनत कस भोले भाले श्रमिकों के पीछे पड़े हैं ज्योति, बोरीसाल, शीतल, फूलबाई सहित अन्य कई दर्जन भर दीदियों एवम कर्मचारी इनके अवैध कृतियों का विरोध करने पर इनकी निष्ठा बंद कर दी गई थी क्या निगम के जनप्रतिनिधि और अधिकारियों कि अपने से कमजोर कर्मचारियों को को दबाने और शोषण करने आदत सी हो गई है या फिर जनता के द्वारा दी गई ताकत और पद को ये पचा नहीं पा रहे हैं शायद ये सभी यह भूल गए कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है यहां सभी को अपने तौर तरीके से अपनी बात रखने और विरोध करने का अधिकार है।
एक पार्षद पति और उमेश तिवारी के सांठगांठ की चर्चा जोरो पर
सूत्रों की मामने तो चिरमिरी नगर निगम इन दिनों एक पार्षद पति और उमेश तिवारी के सांठगांठ की चर्चा काफी जोरो से देखी जा रही है, यह पार्षद पति सुबह 10 बजे से शाम 8 बजे तक निगम के विभिन्न विभागों में सक्रिय रहता है और हर मामले में अपनी दखलअंदाजी करता है, पूर्व महापौर डमरु रेड्डी के कार्यकाल में भी यह पार्षद था और उनका काफी करीबी माना जाता था उसी समय से या निगम के हर एक मामलों में दखल रखता है इस बार पुनः इसकी पत्नी पार्षद बनी और यह व्यक्ति फुल टाइम निगम के विभिन्न टेबलो में सक्रिय देखा जा सकता है, बताया जाता है कि उमेश तिवारी जो इन दिनों स्वच्छता प्रभारी का दायित्व संभाल रहे हैं इन दोनों ने मिलकर इन श्रमिकों को शासन से मिलने वाली राशि से स्वच्छता से संबंधित कुछ सामग्रियां खरीदने की जुगत में थे नियम विरुद्ध तरीके से इन्होंने उस राशि से बोरा भी खरीदा है, यह बात जब इन स्वच्छता दीदियों और सफाई कर्मियों को पता लगे तो उन्होंने इसका पुरजोर विरोध किया अपने विरोध में स्वच्छता कर्मियों ने कहा कि चिरमिरी सहित जिले के अन्य नगरपालिका में भी यह राशि पिछले 3 महीने पहले आई थी और वह उसी समय आवंटित हो गई है आखिर हमें हमारा अधिकार मिलना चाहिए, लेकिन पार्षद पति और उमेश तिवारी की मनसा कुछ और ही थी जिसकी शुरुआत उन्होंने बोरा खरीदी सी कर दी थी, लेकिन जब नेता प्रतिपक्ष संतोष सिंह और ब्लॉक अध्यक्ष सुभाष कश्यप का दबाव बड़ा और इसकी शिकायत जब प्रदेश स्तरीय नेताओं से की तो वहां से इन जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को फटकार लगी तत्काल आनन-फानन इन लोगों ने उस राशि को मजदूरों के खातों में आवंटित कर दिया हैं और इस तरह से पार्षद पति और उमेश तिवारी के गलत मंसूबे कामयाब नहीं हो पाए।
मुख्यमंत्री कर्मचारियों के कार्य प्रभावित हो प्रोत्साहन व बोनस राशि आवंटित की, फिर उस राशि से बुरा कैसे
खरीदा गया?
सवाल यह उठता है कि जब प्रदेश के मुख्यमंत्री अपने कर्मचारियों के कार्य से प्रभावित होकर प्रोत्साहन राशि और बोनस राशि आवंटित की तो उस राशि से बुरा कैसे खरीदा गया जो जांच का विषय है, राज्य सरकार को इनके विरुद्ध कार्यवाही की जाने की आवश्यकता है सनद रहे कि उमेश तिवारी पिछले 23 साल से नगर निगम में पदस्थ है सत्ता और विपक्ष से सामंजस्य बनाने में महारत प्राप्त उमेश तिवारी के द्वारा काफी भ्रष्टाचार किया जा रहा है, लंबे समय से एक ही स्थान में पदस्थ होने से यह श्रीमान पूरी तरह से निरंकुश हो चले हैं और अपनी मनमानी और लूट का सूट वाली पद्धति का पूरा उपयोग कर रहे हैं, इनके द्वारा रीवा में करोड़ों रुपए के अकूत संपत्ति जमा की गई है, जो जांच का विषय है, सुलभ शौचालय के नाम पर प्रतिमाह तीन लाख रुपए इन्हीं की सांठगांठ से निकाले जा रहे हैं, मच्छर मारने एवं अन्य कीटनाशक पाउडर के फर्जी खरीदी इनके द्वारा प्रतिवर्ष की जा रही है, इस वर्ष भी गुणवत्ता विहीन मटेरियल खरीदे जाने हेतु सेटिंग की गई है, पूरे चिरमिरी के एरिया में लाखों रुपए के डस्टबिन लगाए जाने बताए जा रहे हैं जबकि गिने-चुने स्थानों पर ही डस्टबिन लगाया गया है,वही पिछले वर्ष पूरे चिरमिरी एरिया में स्वच्छता के लिए जागरूक करने के लिए वॉल पेंटिंग कराया गया था इस वर्ष भी उन्हीं वॉल पेंटिंग में सिर्फ वर्ष चेंज करा कर लगभग दस लाख फर्जी तरीके से निकाले गए हैं जो जांच का विषय है आखिर जनता का टैक्स का पैसा कब तक इन शातिर जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के साठ गांठ से लूटा जाएगा।