कोरबा@रेत के लिए धड़ड़ल्ले से चीर रहे नदी का सीना,विभाग मौन

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-राजा मुखर्जी-
कोरबा, 24 अगस्त 2022 (घटती-घटना)। जिले में अभी कुछ ही दिन हुई झमाझम बारिश ने रेत चोरों के लिए रास्ता खोल दिया है। जिससे रेत चोरों की सक्रियता बढ़ गई है। पर्यावरणीय कारणों से एनजीटी द्वारा बरसात के चार महीने 15 अक्टूबर तक रेत खनन पर प्रतिबंध लगाया गया है। शासन द्वारा भी इस संबंध में निर्देश जारी किए गए , लेकिन कोरबा जिले के अनेक क्षेत्रों में इस प्रतिबंध का कोई असर नजर नहीं दिख रहा। अमले की कमी से जूझ रहे खनिज विभाग की जहां इस मामले में नाकामी दिख रहीं है, वहीं जिले में रेत व अन्य खनिजों की चोरी, अवैध खनन व परिवहन पर रोक लगाने का खनिज विभाग का जिम्मा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसके लिए कलेक्टर और एसपी को कार्यवाही की जिम्मेदारी दी है ,लेकिन माइनिंग और पुलिस दोनों फिलहाल रेत चोरों पर सख्त नहीं है। आलम यह है कि प्रतिबंध के बाद भी दिनदहाड़े रेत की चोरी जारी है। यह नजारा कटघोरा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम कसनिया में अहिरन नदी में देखने को मिला , जहां ट्रेक्टर को नदी में उतारकर दिनदहाड़े रेत की चोरी की जा रही है। पुलिस और उसका मुखबिर तंत्र के अलावा खनिज विभाग का स्थानीय मैदानी अमला या तो नतमस्तक है या फिर खबर होकर भी बेखबर है। सुबह से शाम तक दर्जनों ट्रैक्टर रेत अहिरन नदी से खोदकर निकाली जा रही है और मुख्य सड़क से परिवहन भी हो रहा है, लेकिन यह कैसे संभव कि पुलिस व खनिज विभाग के मैदानी अमला की नजरों से चूक कर दर्जनों ट्रैक्टर पार हो जाएं ! स्थानीय पंचायत व जनप्रतिनिधियों की भी भूमिका रेत की चोरी रोकने अथवा धरपकड़ के मामले में फिलहाल नगण्य दिख रहा है। बता दें कि मुख्यमंत्री ने रेत के अवैध खनन के बढ़ते मामलों में सख्ती दिखाते हुए कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक के द्वारा इस पर प्रभावी कार्यवाही कर नियंत्रण के निर्देश पूर्व में जारी किए हैं। निर्देश के बाद पुलिस विभाग के द्वारा ट्रैक्टरों को पकड़ा जाता रहा और राजस्व विभाग से तहसीलदार, नायब तहसीलदार सड़क पर उतरकर रात-रात में भी कार्यवाही करते नजर आते रहे, लेकिन एकाएक यह सब कार्यवाही बंद कर दी गई , जिसका पूरा फायदा रेत चोर उठा रहे हैं। रेत का अवैध खनन व परिवहन रोकने के मामले में मुख्यमंत्री के निर्देश की अवहेलना दिख रही है। वैसे सम्बंधित अधिकारी को इस मामले से अवगत कराने व कार्यवाही के लिए संपर्क किया गया किन्तु संपर्क नहीं हो सका न ही किसी तरह का रिस्पांस आया । ऐसे में समझा जा सकता है कि, आदेश का पालन खनिज विभाग द्वारा किस हद तक किया जा रहा ?


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