रायपुर@मुख्यमत्री भूपेश बघेल ने सामुदायिक वन ससाधन अधिकार जागरूकता अभियान का किया शुभारभ

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9 अगस्त 2022 से 26 जनवरी 2023 तक होगा ग्राम सभाओ का आयोजन
रायपुर, 10 अगस्त 2022। छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वनवासियो को जागरूक करने प्रदेश मे 15 अगस्त से 26 जनवरी तक सामुदायिक वन ससाधन अधिकार जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान का एक कैलेडर तैयार किया गया है, जिसका विमोचन विश्व आदिवासी दिवस पर 9 अगस्त को मुख्यमत्री भूपेश बघेल ने किया। सामुदायिक वन ससाधन अधिकार के क्रियान्वयन की राज्य स्तर पर मार्गदर्शिका तैयार की गई है और मैदानी कर्मचारियो के लिए कार्यशालाए आयोजित की गई, परतु ग्राम सभाओ मे अभी भी सूचनाए और प्रक्रियाए पहुच नही पा रही थी। अब पुनः मुख्यमत्री ने समीक्षा की और ग्राम सभाओ को जागरूक करने के लिए एक विशेष अभियान की आवश्यकता महसूस की। इसे ध्यान मे रखते हुए फाउडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी सस्था ने आदिवासी विकास विभाग और वन विभाग के मार्गदर्शन मे ग्राम सभाओ को प्रक्रियाओ की जानकारी देने सामुदायिक वन ससाधन अधिकार जागरूकता अभियान का एक कैलेडर तैयार किया। इसका शुभारभ 9 अगस्त को मुख्यमत्री भूपेश बघेल ने किया। यह अभियान 15 अगस्त 2022 से 26 जनवरी 2023 तक चलाया जाएगा।
स्वतत्रता दिवस के 75वे वर्ष के समारोह मे सभी ग्राम पचायतो मे वन अधिकार कानून के बारे मे वाचन करते हुए अभियान की शुरुआत की जाएगी। इसके बाद जनवरी 2023 तक सभी वन आधारित गावो मे ग्राम सभाओ मे सामुदायिक वन ससाधन पर चर्चा प्रस्ताव करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमे अगस्त मे दावो के शुभारभ के लिए ग्राम सभा, सितबर मे लोकवाणी के माध्यम से मुख्यमत्री से बातचीत, अक्टूबर की ग्राम सभा मे प्रस्ताव, नवबर मे राज्य स्थापना दिवस पर कार्यक्रम, दिसबर मे हाट बाजार, जनवरी मे ग्राम सभा मे विचार आदि के सबध मे जागरूकता अभियान सचालित रहेगा. यह अभियान एक साझा अभियान है, जिसमे सभी स्वयसेवी सस्थाए जुड़ेगी, जिन्होने लबे समय तक इस कार्य को गति दी है और वर्तमान मे सचालित कर रहे है। विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त को आदिवासी विकास विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम मे इस अभियान के शुभारभ मे अभियान गीत के साथ जागरूकता पोस्टर्स एव धमतरी के नगरी विकासखड के चारगाव के ग्राम सभा के प्रयासो पर एक फिल्म का प्रदर्शन किया गया।
कार्यक्रम मे मुख्यमत्री श्री भूपेश बघेल ने इस अभियान को राज्य भर मे सचालित करने के लिए आदिवासी विकास विभाग और वन विभाग को निर्देशित किया। स्वयसेवी सस्थाओ की भूमिका को भी महत्वपूर्ण मानते हुए मुख्यमत्री ने अभियान को सफल बनाने के लिए उनका आव्हान किया। छत्तीसगढ़ अकेला राज्य है, जहा इस तरह के सामुदायिक ससाधनो के अधिकार का लक्ष्य बनाया गया है और उसके लिए ग्राम सभाओ को सशक्त करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके माध्यम से समुदाय की परपरागत सास्कृतिक धरोहर के साथ आजीविका के माध्यम ये वन ससाधन उनकी जिम्मेदारी सहित अधिकार मे आएगे।
फाउडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी सस्था के कार्यकारी निदेशक सजय जोशी के अनुसार सस्था देशभर मे सामुदायिक प्राकृतिक ससाधनो के प्रबधन एव सरक्षण के माध्यम से समुदाय की आजीविका को बेहतर करने पर कार्य करती है। इसी के माध्यम से पर्यावरण के भी स्वास्थ्य को बेहतर रखने का प्रयास किया जाता है। इसी क्रम मे सस्था छाीसगढ़ शासन के साथ भी सामुदायिक वन ससाधन प्रबधन को मैदानी स्तर पर मजबूत करने मे प्रयासरत है।
वर्तमान मे राज्य के कुल 3801 ग्रामो के सामुदायिक वन ससाधन अधिकार के दावे स्वीकृत हो चुके है। इनमे 15,32,316.866 हेक्टेयर का दावा शामिल है। सामुदायिक वन ससाधन अधिकार मे एक पारपरिक गाव के सीमा के भीतर के वन और राजस्व के छोटे बड़े झाड के जगल का अधिकार ग्राम सभा को मिलता है, जिसमे उन्हे इन वन क्षेत्रो की सुरक्षा, सरक्षण, पुनरुत्पादन, प्रबधन की भी जिम्मेदारी निभानी होती है। दावा प्रस्तुत करने के लिए ग्राम सभाए वन अधिकार समिति का गठन करती है और दावा मिल जाने पर प्रबधन के लिए वन प्रबधन समिति का गठन कर सकती है।
दावो के लिए गाव के बुजुर्ग, महिलाए, सभी निवासरत जनजाति के प्रतिनिधि सहित पटवारी, वन रक्षक, पचायत सचिव इत्यादि परम्परागत सीमा की पहचान करते है और पड़ोसी गाव के साथ जानकारी साझा करते है। साथ ही नजरी नक्शा, गाव का निस्तार पत्रक, बुजुर्गो का कथन और पड़ोसी सीमा के लगे गाव के अनापत्ति पत्र लगाए जाते है। इसके बाद उपखड स्तरीय समिति द्वारा सत्यापन करवाया जाता है। सब सही पाए जाने पर जिला स्तरीय समिति को भेजा जाता है। वहा सही पाए जाने पर अधिकार पत्र मिलता है।


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