नई दिल्ली, 06 अगस्त 2022। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि भारत मे बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया बहुत कठिन’ है और प्रक्रियाओ को सुव्यवस्थित करने की तत्काल आवश्यकता है। न्यायमूर्ति डी. वाई. चद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की पीठ ने केद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज से देश मे बच्चो को गोद लेने की प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए कदम उठाये जाने के अनुरोध सबधी एक जनहित याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा।
पीठ ने कहा कि हमारे जनहित याचिका पर नोटिस जारी करने का कारण यह है कि भारत मे बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया बहुत कठिन है। केद्रीय दाक ग्रहण ससाधन प्राधिकरण की वार्षिक क्षमता 2,000 दाक ग्रहण करने की है जो अब बढ़कर 4,000 हो गई है। इस देश मे तीन करोड़ बच्चे अनाथ है। प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की तत्काल आवश्यकता है।
अदालत ने नटराज को जनहित याचिकाकर्ता ‘द टेपल ऑफ हीलिग’ के सुझावो पर विचार करने और प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए उठाए गए कदमो के बारे मे जवाब दाखिल करने को कहा। एएसजी ने कहा कि उन्हे गैर सरकारी सगठन की विश्वसनीयता के बारे मे पता नही है और याचिका की एक प्रति उन्हे नही दी गई है। पीठ ने एनजीओ की ओर से पेश पीयूष सक्सेना को याचिका की एक प्रति नटराज को देने के लिए कहा, ताकि वह अपना जवाब दाखिल कर सके। न्यायालय ने मामले को तीन सप्ताह के बाद सूचीबद्ध कर दिया।
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