बैकुण्ठपुर@क्या बचे हुए सावन माह में बुझ सकेगी नदी नालों की प्यास?

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  • आधा सावन बीत गया पर जलाशयों की नहीं बुझ सकी है प्यास।
  • आधा सावन बीत गया नदी नालों में नहीं है पानी,किसान पानी के लिए तरस रहे।
  • मौसम की बेरुखी ने किसानों सहित सरकार की चिंता बढ़ाई,अकाल जैसी स्थिति ना हो जाए निर्मित।
  • काले मेघा काले मेघा पानी तो बरसा आज हर किसान हर व्यक्तियही कह रहा।
  • बरसात के मौसम में आसमान से बारिश की जगह कड़कड़ाती धूप से लोग हो रहे हलकान, किसान पानी के लिए परेशान।
  • किसान सुबह से शाम तक निहार रहें हैं आसमान को और युवा मोबाइल पर बारिश होने की आशंका को रहे निहार।
  • क्या बारिश नहीं हुई तो अकाल घोषित करेगी सरकार चिंता अभी से होने लगी?
  • औसतन वर्षा से काफी कम वर्षा ने बढ़ा दी है चिंता भूजल स्तर भी गिरने की आशंका?


-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 31 जुलाई 2022 (घटती-घटना)। बारिश का मौसम आ गया पर अच्छी बारिश का इंतजार अभी भी लोगों को करना पड़ रहा है, अच्छी बारिश ना होने की वजह से जहां खेती प्रभावित हो रही है तो वही गर्मी से भी राहत नहीं मिल रही है इन दो समस्याओं के अलावा एक और समस्या है और वह है जलाशयों का प्यासा रहना आधा सावन बीत गया जुलाई माह खत्म हो गया पर जलाशयों की प्यास नहीं बुझी और क्या इस सावन में जलाशयों की प्यास बुझेगी यह एक बड़ा प्रश्न है? उधर किसान जैसे तैसे पंपों के सहारे फसलों को लगाने में जुटे हुए हैं पर पानी ना गिरने की वजह से लगे हुए फसल भी बीमारियों की चपेट में आने का खतरा मंडरा रहा है इस बार क्या बोनी का लक्ष्य पूरा होगा क्योंकि बरसात ने अभी तक दगा ही दिया है।
इस बार अल्प वर्षा ने समस्या बढ़ा दी है जहां एक तरफ किसानों की चिंता बढ़ी हुई है तो वहीं दूसरी ओर अकाल की स्थिति निर्मित ना हो जाए यह भी चिंता सरकार को सता रही है, इसकी मुख्य वजह है मानसून का सक्रिय ना होना मानसून ने तो दस्तक जल्दी दिया और उसकी सक्रियता बिल्कुल भी नहीं दिखी जिस का आलम यह है कि जुलाई माह तो खत्म हुआ ही साथ में बारिश वाला महीना जिसे सावन के नाम से जाना जाता है वह भी आधा बीत चुका है पर वह बारिश अभी तक देखने को नहीं मिली जिस बारिश को हर बार सावन में देखा जाता था, खेतों में पानी की जरूरत है जलाशयों को पानी की जरूरत है पर बारिश दगा देता दिख रहा है जो थोड़ा बहुत पानी है उससे किसान खेती तो कर रहे हैं पर क्या उससे पूरी खेती हो पाएगी यह भी एक बड़ा प्रश्न है पर वही यदि जलाशय सूखे रह गए तो भूगर्भ में भी पानी की कमी होगी और आने वाले गर्मी में पानी की समस्या बढ़ जाएगी इस बार यदि बारिश नहीं हुई तो अकाल जैसी स्थिति निर्मित हो जाए ऐसा कहना भी गलत नहीं होगा भूगर्भ में पानी ना जाना आने वाली गर्मी में पानी की भीषण समस्या उत्पन्न हो सकती है।
बारिश ना होने की वजह से अभी भी गर्मी का साया
अच्छी बारिश का इंतेजार करते अब जुलाई माह भी बीतने को हो जो बारिश जहां नहीं हो रही है वहीं गर्मी भीषण पड़ रही है। धूप तो मानो ऐसी तेज निकल रही है जैसे भीषण गर्मी का मौसम हो। किसान सहित सभी लोग बारिश को लेकर चिंतित हैं लेकिन बारिश का आलम यह है कि अभी तक एक बार भी अच्छे से बरसने का नाम नहीं ले रही है।
किसान पंप के भरोसे कर रहे खेती जलाशयों में भी नहीं है पानी
किसान जैसे तैसे पम्पो के सहारे भूजल जे खेती कर रहें हैं,जहां जलाशयों की सुविधा है वहां जलाशयों के नहर से खेती हो रही है फिर भी इसके भरोशे खेती हो सकेगी पूरी लग नहीं रहा है क्योंकि सभी जगह सिंचाई की सुविधा भी नहीं है और न ही क्षेत्र का भूजल स्तर इतना बçढ़या है कि खेती धान की हो सके।
जलाशयों में अभी तक सिर्फ 40 प्रतिशत ही भराव
जलाशयों की यदि बात की जाए तो अभी तक 40 प्रतिशत ही भराव हो सका है और जलाशयों से सिंचाई भी जारी है। जलाशयों के नहीं भरने से वहीं लगातार सिंचाई के लिए पानी छोड़े जाने के वजह से भी जल स्तर नीचे जाएगा यह आने वाले समय मे होने की संभावना बढ़ चुकी हैं और तब पीने के लिए पानी का भी होगा आभाव।
क्या सूखे की स्थिति होगी निर्मित सरकार क्या है तैयार
प्रदेश के अधिकांस जिलों में सूखे की स्थिति निर्मित हो चुकी है और किसान चिंतित हैं वहीं क्या सरकार भी सूखे को लेकर चिंतित है यह आने वाला समय बताएगा जब यह सामने आ सकेगा कि सरकार की सूखे को लेकर क्या तैयरी है।


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