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बैकुण्ठपुर@आंदोलन कर्मचारी हित के लिए हो रहा या कर्मचारी संघों के वर्चस्व के लिए?

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कर्मचारी संघों के आपसी वर्चस्व की भेंट चढ़ गया छत्तीसगढ़ढ़ में जारी आंदोलन

-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 28 जुलाई 2022 (घटती-घटना)। आभाष हो रहा की सरकार के खिलाफ न होकर आंदोलन आपसी वर्चस्व के लिए हो रहा। महंगाई भत्ता सहित अन्य मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ प्रदेश के कर्मचारी हैं हड़ताल पर। कहीं पांच दिवसीय कहीं अनिश्चतकाल के लिए आंदोलन में बैठे हैं कर्मचारी। एकजुटता के आभाव में सरकार भी नहीं दे रही आंदोलन पर ध्यान,आम जनता है परेशान। छत्तीसगढ़ प्रदेश में लगभग सभी कमर्चारी संघों ने एकसाथ आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है। सभी कर्मचारी संघों की मांग भी एक है और वह है महंगाई भत्ता केंद्रीय कर्मचारियों की तर्ज पर उन्हें भी मिले और उनको महंगाई से निजात मिल सके।
सभी कर्मचारी संघ अपने अपने बैनर के साथ धरना दे रहें हैं कोई 5 दिन के लिए बैठा है तो कोई अनिश्चतकाल के लिए अब इसी को समझने का यदि प्रयास किया जाए तो एक बात समझ मे जरूर आती है और वह यह कि कर्मचारी संघ महंगाई भत्ते से कहीं ज्यादा अपने वर्चस्व को लेकर परेशान हैं इसलिए वह आंदोलन में कूच कर गए हैं और अपने अपने पंडाल में ज्यादा से ज्यादा संख्या उपस्थित हो सके इस प्रयास में लगे हैं। कर्मचारियों के आंदोलन में सरकार से महंगाई भत्ते की मांग भले ही कि जा रही हो लेकिन उससे भी ज्यादा यदि कोई विषय उनके द्वारा दोहराई जा रही है तो वह है संख्या और उपस्थिति को लेकर लगातार उद्बोधन में इसका उल्लेख कर रहें हैं और आंदोलन में रहकर पंडाल में नहीं आने वालों को कोष रहें हैं। कर्मचारियों का यह जारी आंदोलन सरकार पर दबाव बनाने के उद्देश्य से आयोजित बिल्कुल नहीं लगता बल्कि अपने ही समूह के कर्मचारियों को पंडाल तक लाने के लिए जद्दोजहद करते सभी कर्मचारी संघ संख्या और उपस्थिति को लेकर परेशान नजर आ रहें हैं और सरकार पर दबाव बना पाने में असफल नजर आ रहें हैं। कर्मचारियों के आंदोलन में अधिकारी वर्ग का पहली बार शामिल होना भी इस आंदोलन में कर्मचारी संघों के लिए महत्वपूर्ण था लेकिन यदा कदा एक दो अधिकारियों के अलावा अधिकांश अधिकारी भी आंदोलन स्थल से दूरी बनाए हुए हैं और कर्मचारी संघ लगातार सभी का पंडाल आने के लिए आग्रह कर रहें हैं। कर्मचारियों के इस आंदोलन में कर्मचारियों को दो धड़ों में भी बंटा देखा जा रहा है, एक धड़ा 5 दिनों के लिए आंदोलन में है वहीं दूसरा धड़ा अनिश्चतकाल के लिए आंदोलन में है। अब अलग अलग मंचों पर खुद को ही बांटकर कर्मचारियों के विभिन्न संघ जो आंदोलन कर रहें हैं वह अपनी एकता की बजाए अनेकता के कारण सरकार को क्या दबा पाएंगे यह जानी जुनाई बात है।


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