सूरजपुर@रोक के बावजूद भी प्लास्टिक का उपयोग धड़ल्ले से हो रहा

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-ओमकार पांडेय-
सूरजपुर 27 जुलाई 2022 (घटती-घटना)। वर्तमान समय में प्रदूषण पर रोक और पर्यावरण संरक्षण आवश्यक है लेकिन विकास की आपाधापी में लोग प्रकृति को नुकसान पहुंचाने के साथ विभिन्न माध्यम से प्रदूषण फैलाने में लगे हुए हैं। प्रदूषण का एक मुख्य प्लास्टिक का अधिक उपयोग है। सरकारी स्तर पर एक जुलाई से प्लास्टिक और थर्मोकाल के उपयोग निर्माण और बिक्री पर रोक लगाई गई है। परंतु सरकारी स्तर पर रोक के बावजूद भी नगर के बाजारों सहित ग्रामीण अंचलों पर पालीथिन सहित अन्य प्लास्टिक के सामानों का उपयोग हो रहा है। वहीं रोक को लेकर प्रशासन भी उदासीन है। यही कारण है कि हर जगह बेखौफ इसका इस्तेमाल हो रहा है। जिला मुख्यालय पर दुकानदार और फुटकर विक्रेता अब भी पालीथिन में सामान दे रहे हैं और लोग पालीथिन में सामान लेकर आते-जाते भी नजर आते है। जिन पर रोक का कोई असर नहीं है। एक जुलाई से पालीथिन की बिक्री और इस्तेमाल को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया है। उसके बावजूद नगर की दुकानों में न सिर्फ इसका खुलेआम इस्तेमाल हो रहा है। बल्कि इसकी बिक्री भी हो रही है। जानकारी के अनुसार बंदी के घोषणा बाद एक दिन भी छापेमारी की कार्रवाई नहीं की गई है ।। बंदी के जानकारों की माने तो नगर सहित नाम पर थोक विक्रेता और मंहगे में आस-पास के क्षेत्रों में पालीथिन का पालीथिन बेच रहे हैं।
नैपकीन क्लाथ
कैरी बैंग का उपयोग कम

पालिथीन पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद बाजार में थैले के साथ नैपकीन क्लाथ से बने कैरी बैग की मांग बढ़ी है। दवा दुकानों के साथ विभिन्न स्थाई दुकानों में इसका प्रयोग फिर से किया जाने लगा है। किराना स्टोर और मिठाई दुकानों में नैपकीन क्लाथ से बने कैरी बैग इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। कारण यह कि गीला होने के बाद यह बेकार हो जाता है। इन जगहों पर अब भी पालीथिन का इस्तेमाल हो रहा है।
बिना वैकल्पिक व्यवस्था कैसे होगा पूर्ण बंद
पालीथिन पर पूर्णरूप से प्रतिबंध लगाने से लोगों व व्यवसायियों की परेशानी बढ़ी है। व्यवसायियों को पालीथिन के विकल्प के तौर पर ग्राहकों को अन्य सामग्री में सामान देने में अब अधिक खर्च बढ़ गई है। पालीथिन पर्यावरण के लिए नुकसानदेह है पर बिना वैकल्पिक व्यवस्था के इसे पूर्ण रूप से बंद करना ठीक नहीं है। उस पर कितने गेज के प्लास्टिक का उपयोग होगा या लोग कर रहे है। इसके जांच की व्यवस्था नहीं हैं। जिसको ध्यान में रखते हुए शसान प्रशासन को विशेष ध्यान देने की जरूरत है।


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