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बैकुण्ठपुर@पांच कलेक्टर व चार पुलिस अधीक्षकों को जिले में बदला जा चुका, एक जिला पंचायत सीईओ का आखिर क्यों नहीं हो रहा तबादला?

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  • क्या जिले में प्रशासनिक कसावट नहीं होने का मुख्य कारण है ट्रांसफर नीति का पालन सही से नहीं होना।
  • क्या ट्रांसफर नीति निष्पक्ष है या फिर जनप्रतिनिधियों का नीति पर है कब्जा।
  • ईमानदार छवि के प्रशासनिक अधिकारी कब मिलेंगे जिले को और कब होगा जिले का भला या जिले वासी होते रहेंगे परेशान?
  • क्या ट्रांसफर में पैसे की बोली हावी यही वजह है कि काम करने वालों को नहीं मिलता जिला।
  • जनता को परेशान करने वाले मुख्य चिकित्सा स्वास्थ अधिकारी व जिला पंचायत सीईओ का तबादला कब?
  • वन विभाग का भ्रष्टाचार करने वाले रेंजर से एसडीओ बने अधिकारी का तबादला कब, क्या तबादला नहीं सेवानिवृत्त होंगे अधिकारी?
  • पैसे देकर प्रशासनिक अधिकारी जिले का संभाल रहे कमान भाजपा का बड़ा आरोप तो कैसे होगी प्रशासनिक कसावट लोग तो होंगे परेशान।


-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 25 जुलाई 2022 (घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ शासन की अजीब तबादला नीति देखकर अब लगने लगा है कि प्रदेश में प्रशासनिक कसावट कभी नहीं आने वाली और अधिकारियों की मनमानी यूंही जारी रहेगी जो साढ़े तीन सालों से जारी है और ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि कोरिया जिले में ही पिछले कई तबादलों पर नजर डाला जाए तो एक बात सामने नजर आएगी वह यह कि मनचाही जगह पर तबादला या मनचाही जगह पर वर्षों जमे रहने का पूरा जुगाड़ वर्तमान सरकार के कार्यकाल में है जो कई पिछले तबादला सूची देखकर समझ मे भी आता है। जिले में पांच कलेक्टर बदले जा चुके वहीं चार पुलिस अधीक्षक अभी तक बदले जा चुके हैं वहीं यदि मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत की बात की जाए तो वह टिके हुए हैं जबकि उनको लेकर कर्मचारियों को लामबंद होते हुए भी देखा गया था जो उनके व्यवहार के कारण लामबंद हुए थे वहीं दो पुलिस अधीक्षकों की ही बात की जाए पुराने तो उनको लेकर जो बड़ी बात सुनने को मिली वह यह कि वह आते ही जाने की बात करते रहे और कहां जा सकते हैं यह भी वह उजागर करते हुए अंततः रवाना हो गए। अब यदि उन्हें मनचाही जगह जाने का अवसर कम समय मे ही मिल गया मतलब प्रदेश में मनचाही तबादला नीति अधिकारियों के लिए कम से कम जारी है।
आखिर जिला पंचायत सीईओ का तबादला क्यों नहीं हो रहा…
जिला पंचायत कोरिया के सीईओ का तबादला आखिर क्यों नहीं हो रहा है यह सवाल अब खड़ा हो रहा है क्योंकि उनको लेकर कई बार शिकायतें उनके व्यवहार को लेकर आईं और कई बार उनका सार्वजनिक रूप से भी व्यवहार को लेकर शिकायतें आईं जिसके बाद भी उनका तबादला नहीं हुआ। जिला पंचायत सीईओ अभी जाना नहीं चाहते केवल इसलिए उनका तबादला नहीं हुआ यह बात सामने आ रही है और जब वह जाना चाहेंगे उनका मनचाही जगह पर तबादला हो जाएगा यह भी बताया जा रहा है। जबकि इनके रहते हुए कोई भी जांच पूरी नहीं हो पाई चाहे वह जिला पंचायत के अंतर्गत कर्मचारियों की हो या फिर जनपद पंचायत के अंतर्गत होने वाले कामों के हो या फिर कहा जाए तो स्वास्थ विभाग का भी वही हाल है जहां पर भी जांच का जिम्मा मिला पर जांच आज तक पूरा नहीं हुआ, ना जाने इनके रहते हुए कोई भी जांच शायद ही पूरा हुआ होगा, सूत्रों की माने तो कार्यवाही के लिए जांच शुरू हुई पर जांच एक भी पूरी नहीं हुई चाहे वह किसी भी विभाग की हो।
एसडीओ फारेस्ट जो नीचे से ऊपर पद पर आने तक जिले में ही हैं पदस्थ
जिले के वन विभाग की ही बात करें तो एसडीओ फोरेस्ट जो नीचे से ऊपर तक जिले में ही पदस्थ रहें हैं और अभी हाल में ही जिनको एसडीओ पद पर पदोन्नति मिली है पदोन्नति के बाद भी उनका तबादला नहीं हुआ है और वह भी जब चाहेंगे तभी उनके तबादला होगा यह बताया जाता है भी एक उदाहरण हैं जिससे साबित होता है कि प्रदेश में अधिकारियों का राज है और सरकार उनके कहे अनुसार चल रही है। रेंजर से एसडीओ बने उक्त एसडीओ की बेनामी संम्पतियों की पूरी लंबी लिस्ट है जो वह जिले में ही पदस्थ रहकर कमाएं हैं और जिसमें जमीन सबसे ज्यादा उन्होने खरीदे हैं जो जग जाहिर है।
सीएमएचओ स्वास्थ्य भी हैं अपनी मर्जी के मालिक, नहीं लगा पाया उन पर कोई अंकुश
यदि स्वास्थ्य विभाग की ही बात की जाए तो सीएमएचओ एवम उनके अधीनस्थ एक लिपिक जो एनएचआरएम का प्रभार सम्हालते हैं दोनों की जुगलबंदी से जिले के स्वास्थ्य विभाग में बड़ा गोलमाल जारी है बावजूद इसकी जानकारी होते हुए इनपर कोई कार्यवाही नहीं हो पा रही है। सीएमएचओ एवम एनआरएचएम के उक्त लिपिक की संम्पतियों में भी हाल फिलहाल में काफी बढ़ोतरी हुई है और जो भी जग जाहिर है लेकिन इनपर भी न तो सतर्कता विभाग की नजर पड़ रही है और न सरकार के किसी खुफिया विभाग की। दोनों के कार्यप्रणाली पर अंकुश भी लगा पाने में शासन असमर्थ साबित हो रहा है वहीं दोनों के कारण पूरा विभाग परेशान है जनता भी परेशान है।


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