बैकुण्ठपुर@मैं जयस्तम्भ चौक हूँ, शहर के प्रमुख चौक चौराहों में मेरी गिनती होती है, मेरा इतिहास भी पुराना है, लेकिन मैं आजाद नहीं हूं:मनेन्द्रगढ़

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  • जय स्तंभ को चाहिए आजादी अतिक्रमणकारियों के चंगुल में फंसा जयस्तंभ कौन दिलाएगा आजादी?
  • जय स्तंभ भी सुरक्षित नहीं धरोहर पर भी अतिक्रमणयों का हमला?
  • मनेंद्रगढ़ का जयस्तंभ को अतिक्रमणकारियों से आजादी कौन दिलाएगा कलेक्टर नगर पालिका या फिर मुख्यमंत्री?
  • राष्ट्रीय धरोहर को भी नहीं छोड़ रहे यह लोग कौन हैं?


-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 23 जुलाई 2022 (घटती-घटना)। शहीदों की चिताओं पर जुड़ेंगे हर बरस मेले वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा, इन पंक्तियों को गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हर जगह उल्लेखित किया जाता है, लेकिन दुर्भाग्य का विषय है कि मनेंद्रगढ़ में बने जयस्तंभ को चारदीवारी में कैद करके रख दिया गया है. शहीदी स्मारक की जगह पर दुकानें बनाकर किराए पर उठा दी गई है, हैरत वाली बात तो यह है कि इस शहीद स्मारक को आजाद कराने के लिए जब लोगों ने शासन प्रशासन से गुहार लगाई तो सभी ने यह कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है, ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जय स्तंभ को अतिक्रमण करने वाले व शहीद स्मारक की जगह में दुकान बनाने वालों पर आखिर कब कार्यवाही होगी।
मैं जयस्तम्भ चौक हूँ, शहर के प्रमुख चौक चौराहों में मेरी गिनती होती है, मेरा इतिहास भी पुराना है, लेकिन मैं आजाद नहीं हूं, मुझे आजादी चाहिए कौन दिलाएगा? जब भी लोगो को श्रद्धांजलि अर्पित करनी पड़ती है जयंती मनानी पड़ती है तो लोग मेरे पास आकर यहां दीप जलाकर, पुष्प अर्पित कर अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते है। हर 15 अगस्त और 26 जनवरी के यहां झंडा भी फहराते है। देशभक्ति की बड़ी बड़ी बातें करते है और चले जाते है। लेकिन मुझे अब तक आजाद नहीं करा पाए।
पहले मैं आजाद था तब मैं यहीं से आजादी का महोत्सव देखता था अब चारदीवारी में कैद होने के कारण मैं अतिक्रमणकारियो की चपेट में हूँ। आजादी के बाद अमर शहीदों की याद को चिरअक्षुण बनाये रखने के लिए देश के सभी विकासखंडों में मुझे बनाया गया। मेरे पास आकर लोग आजादी का जश्न हर साल मनाते रहे लेकिन बीते 3 दशकों से जैसे जैसे शहर बढ़ता गया मेरा कद घटता गया और पहचान गुम होती गई। देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है मैं भी आजादी का अमृत महोत्सव मनाना चाहता हूँ, मैं भी आजादी चाहता हूँ। जिम्मेदारों से विनती करता हु मुझे इस 15 अगस्त आजाद कराए।
मेरी इस स्थिति का जिम्मेदार कौन?
जय स्तंभ राष्ट्र की संपत्ति होते हैं राष्ट्र की धरोहर होते हैं लेकिन अगर उस पर अतिक्रमण कर लिया जाए और इसे आजाद कराने के लिए आम लोगों को न्यायालय की शरण लेना पड़े तो इसका जिम्मेदार आखिर कौन है। भारत गणराज्य में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। बड़े बड़े आयोजन हो रहे हैं लेकिन दुर्भाग्य है अमर शहीदों की शहादत को याद रखने के लिए बनाया गया अभी तक आजाद नहीं हो पाया है।
मैं गांधी पार्क भी आजाद होना चाहता हूँ,
एक और जहां जयस्तंभ अतिक्रमण का शिकार है वहीं दूसरी ओर जय स्तंभ से लगा हुआ गांधी पार्क नाम का स्थल भी अतिक्रमण से नहीं बच पाया है।गांधी पार्क बच्चों के खेलने के लिए बनाया गया है लेकिन एक तथाकथित ट्रस्ट द्वारा इसे भी अपने कब्जे में कर लिया गया है। पूरे परिसर में तालाबंदी कर दी गई है गांधी पार्क में तालाबंदी शहीद स्मारक में अतिक्रमण ऐसे में हम आजादी का अमृत महोत्सव कैसे बना पाएंगे।
मेरे लिए ये कहते है जिम्मेदार
जयस्तम्भ का मामला न्यायालय में है इसलिए चारदीवारी में है। शिकायत को लेकर प्रकरण दर्ज है मामला न्यायलयीन है विचाराधीन है इसलिए प्रकरण पर फैसला आने के बाद ही कुछ होगा।
नयनतारा सिंह तोमर
एसडीएम

मैं इस पूरे मामले में एसडीएम मनेन्द्रगढ़ से जानकारी लेकर ही कुछ कह पाऊंगा। मैं एसडीएम से इस मामले में जानकारी लेता हूं।
कुलदीप शर्मा
कलेक्टर

नगरपालिका द्वारा अतिक्रमण हटाया जाता है लेकिन फिर से वहां दुकान लगा लेते है। नगरपालिका इसका सौंदर्यीकरण कराएंगे।
प्रभा पटेल
अध्यक्ष नगरपालिका मनेन्द्रगढ़


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