असम से गुजरात तक जमकर क्रॉस वोटिग
नई दिल्ली, 22 जुलाई 2022। राष्ट्रपति चुनाव मे भले ही विपक्ष के उम्मीदवार को इस बार सबसे ज्यादा वोट मिले है, लेकिन उसकी एकजुटता मे जमकर सेध लगी है। आलम यह है कि असम से लेकर गुजरात तक जमकर क्रॉस वोटिग हुई है। इसमे भी सबसे बड़ी लूजर काग्रेस रही है। असम के मुख्यमत्री हिमत बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को दावा किया विपक्ष के 22 विधायको ने द्रौपदी मुर्मू के पक्ष मे वोट डाला है। इनमे 15-16 विधायक काग्रेस के है। सरमा का कहना है कि इन सभी ने अपनी पार्टी लाइन से हटकर सत्ता पक्ष के उम्मीदवार को वोट दिया है। वही गुजरात मे 7, गोआ मे 3 और राजस्थान मे 2 काग्रेस विधायको के क्रॉस वोटिग का दावा है।
असम का ऐसा रहा हाल
राष्ट्रपति चुनाव मे असम के 126 मे से 124 विधायको ने वोट डाले है। वही एआईयूडीएफ के दो विधायक देश से बाहर थे। असम विधानसभा मे एनडीए के 79 विधायक है, वही मुर्मू को यहा कुल 104 वोट मिले है। वही सयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार यशवत सिन्हा को मात्र 20 वोट हासिल हुए है, जबकि विधानसभा मे विपक्ष के 44 सदस्य है। सरमा ने मीडिया से बातचीत मे कहा कि द्रौपदी मुर्मू को जो अतिरिक्त 22 वोट मिले है, उनमे 15 से 16 काग्रेस विधायको के है। उन्होने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव मे विधायक और सासद पार्टी लाइन नही, बल्कि अपनी अतरात्मा के आधार पर वोट करते है।
झारखड मे भी नही चला दाव
वही झारखड की बात करे तो यहा पर द्रौपदी मुर्मू को कुल 70 वोट मिले है। कुल 81 सदस्यो वाली झारखड विधानसभा मे विपक्ष के उम्मीदवार यशवत सिन्हा को महज 9 वोट मिले है। यहा पर कुल 80 विधायको ने राष्ट्रपति चुनाव की वोटिग प्रक्रिया मे हिस्सा लिया था।
जबकि भाजपा के विधायक इद्रजीत महतो बीमार होने के चलते वोट डालने नही पहुचे थे। एनडीए को यहा पर 79 मे से कुल 70 वोट मिले है, जबकि उसने यहा से 60 वोट मिलने की घोषणा की थी। इनमे 25 भाजपा, 30 झारखड मुक्ति मोर्चा, दो अजसू, दो निर्दलीय और एक नेशनलिस्ट काग्रेस पार्टी के विधायक का वोट था। दूसरी तरफ यूपीए ने सयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार यशवत सिन्हा के लिए झारखड विधानसभा से 20 वोट पाने की घोषण की थी, इसमे से 18 काग्रेस और आरजेडी व सीपीआई (एमएल) से एक-एक वोट की उम्मीद थी।
बिखर गई सयुक्त विपक्ष की एकता
सिर्फ इतना ही नही काग्रेस को अन्य राज्यो मे भी एकजुटता के अभाव का सामना करना पड़ा है। गुजरात मे 7, गोआ मे 3 और राजस्थान मे 2 काग्रेस विधायको द्वारा क्रॉस वोटिग किए जाने का दावा सामने आया है। इन हालात को देखते हुए कहा जा सकता है कि सयुक्त विपक्ष का फॉर्मूला नाकाम होता नजर आ रहा है। गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले ही विपक्ष की एकता मे दरार आती दिख रही है। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान सयुक्त विपक्ष का उम्मीदवार चुनने मे आगे रही टीएमसी चीफ और पश्चिम बगाल की मुख्यमत्री ममता बनर्जी उपराष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार चयन मे कही नही दिखी। यही नही, अब तो ममता बनर्जी की पार्टी ने मार्गरेट अल्वा को उम्मीदवार चुने जाने पर नाराजगी जताई है। वही इसको लेकर काग्रेस और एनसीपी ने भी बयान जारी किया है।