भारत ने की सुरक्षा परिषद सुधार वार्ता आगे बढ़ाने की आलोचना, कहा- 75 वर्ष तक कर सकते हैं बिना प्रगति यूएनएससी में बातचीत

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एजेंसी, संयुक्त राष्ट्र 14 जुलाई 2022 193 सदस्यीय महासभा ने 77वें सत्र के लिए अंतर-सरकारी वार्ता (आईजीएन) प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए, यूएनएससी में सुधार पर एक मौखिक मसौदा पारित किया था। 77वां सत्र इस साल सितंबर में शुरू होगा।

भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के सुरक्षा परिषद सुधार पर अंतर-सरकारी वार्ता को अगले सत्र में आगे बढ़ाने के निर्णय की आलोचना की है। भारत ने जोर देकर कहा कि सुरक्षा परिषद सुधार पर बातचीत बिना किसी प्रगति के अगले 75 साल तक जारी रह सकती है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने भी बैठक में कहा कि सुरक्षा परिषद में सुधार जरूरी हैं और इसमें पहले ही काफी देर हो चुकी है।

इस 193 सदस्यीय महासभा ने 77वें सत्र के लिए अंतर-सरकारी वार्ता (आईजीएन) प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार पर एक मौखिक मसौदा पारित किया था। 77वां सत्र इस साल सितंबर में शुरू होगा। यूएन में भारत के स्थायी मिशन के प्रभारी आर. रवींद्र ने कहा कि भारत अपने रुख पर कायम है कि आईजीएन को आगे बढ़ाने का फैसला सिर्फ तकनीकी कवायद तक सिमट कर ना रह जाए। उन्होंने कहा कि वह आईजीएन को आगे बढ़ाने की इस तकनीकी कवायद को एक और अवसर गंवाने की तरह देखते हैं, जिसमें पिछले चार दशक में कोई प्रगति नहीं हुई है।

सुधार प्रक्रिया बेहद जरूरी
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन प्रभारी आर. रवींद्र ने जोर देकर कहा, अब यह स्पष्ट है कि अपने वर्तमान स्वरूप और तौर-तरीकों में कार्यवाही के अधिकृत रिकॉर्ड के बिना आईजीएन वास्तविक सुधार की दिशा में कई वर्षों तक जारी रह सकता है। लेकिन ‘जीए रूल्स ऑफ प्रोसीजर’ को लागू करना ही पड़ेगा। उन्होंने जोर दिया कि सुधार प्रक्रिया के बिना सुरक्षा परिषद में सभी देशों का सही तरीके से प्रतिनिधित्व नहीं हो पा रहा है।
आईजीएन से परे देखना व्यावहारिक रास्ता
भारत ने कह, संयुक्त राष्ट्र का एक जिम्मेदार सदस्य होने के नाते, हम सुधारों का समर्थन करने वाले हमारे साझेदारों के साथ इस प्रक्रिया में शामिल होते रहेंगे और भाषणों की बजाय इसे लिखित वार्ता में तब्दील करने के प्रयासों पर जोर देते रहेंगे। भारत ने कहा, जो सदस्य वास्तव में हमारे नेताओं की सुरक्षा परिषद सुधारों की शीघ्र एवं व्यापक प्रतिबद्धता को पूरा करना चाहते हैं, उनके लिए आईजीएन से परे देखना ही अब एकमात्र व्यवहार्य रास्ता हो सकता है।


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