वर्ल्ड डेस्क न्यूयॉर्क बीजिंग 14 जुलाई 2022। यह बात नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने न्यूयॉर्क में आयोजित एक राउंड टेबल कार्यक्रम में कही। इसका आयोजन भारतीय महावाणिज्य दूतावास ने बदलते भारत को लेकर नीति आयोग की साझेदारी से किया था। चीन के बढ़ते आक्रामक रूख के बीच भारत के पूर्वोत्तर राज्यों पर केंद्र सरकार पर्याप्त ध्यान दे रही है। अब अन्य राजनीतिक दल भी वहां अपना प्रभाव जमाने के लिए एक-दूसरे से होड़ कर रहे हैं।
यह बात नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने न्यूयॉर्क में आयोजित एक राउंड टेबल कार्यक्रम में कही। इसका आयोजन भारतीय महावाणिज्य दूतावास ने बदलते भारत को लेकर नीति आयोग की साझेदारी से किया था। कार्यक्रम में अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी मंच और टॉई न्यूयॉर्क भी सहभागी थे।
नीति आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि चीन का कड़ा रुख और पूर्वोत्तर क्षेत्र आज भारतीय राजनीतिक के दो महत्वपूर्ण मुद्दे बनकर उभरे हैं। इसीलिए ये अलग स्थान रखते हैं और राजनीतिक दलों के लिए ये आकर्षक स्थान बन रहे हैं। बेरी ने ये बात असम व पूर्वोत्तर को लेकर एक सवाल के जवाब में कही। इन्हें शेष भारत से कैसे बेहतर ढंग से जोड़ा जा सकता है, इसे लेकर भी उन्होंने कुछ सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि दो बातें खासतौर से सामने आ रही हैं कि ये क्षेत्र भारतीय राजनीति के लिए आकर्षण के केंद्र बनने लगे हैं और दूसरा सरकार इस क्षेत्र की ओर पर्याप्त ध्यान दे रही है।
शेष भारत से पूर्वोत्तर को एकीकृत करने में कितना वक्त लगेगा, यह यह भौतिक दूरी और बुनियादी ढांचे से जुड़ा मसला है। तेजी से बुनियादी ढांचे का विकास किया जा रहा है। भारत बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में बिम्सटेक की दिशा में भी ध्यान दे रही है। यह भी एकीकरण की दृष्टि से बड़ा इलाका है। इसलिए आने वाले दिनों में पूर्वोत्तर पहले की तुलना में बहुत अलग होगा।
बता दें, भारत की लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा है। पैंगोंग झील क्षेत्र में 5 मई, 2020 को हिंसक झड़प के बाद भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच सीमा को लेकर तनाव पैदा हुआ है। इसके बाद 15 जून, 2020 को गलवान घाटी में झड़पों के बाद सेनाओं का जमावड़ा और बढ़ गया। वहां हथियारों के साथ सेना मौजूद है।