वर्ल्ड डेस्क, बीजिंग 14 जुलाई 2022। सामने आए ब्योरे के मताबिक चारों बैंकों ने थर्ड पार्टी एजेंसी के जरिए लोगों से संपर्क किया। उन्हें 4.1 से 4.5 फीसदी तक की ब्याज देने का वादा किया गया। जबकि चीन में सरकारी ब्याज दर 2.75 फीसदी ही है। ये स्कीम पांच साल से चल रही थी…चीन में हुए एक बड़े बैंक घोटाले ने देश में विनियमन (रेगुलेशन) की व्यवस्था की पोल खोल दी है। इस मामले को देश का अब तक का सबसे बड़ा वित्तीय घोटाला बताया जा रहा है। पिछले सप्ताहांत इस घोटाले का शिकार हुए लोग सड़कों पर उतर आए। रविवार को प्रदर्शनकारियों पर अज्ञात लोगों के हमले में दर्जनों लोग घायल हुए। उसके बाद से दुनिया का ध्यान इस घटना पर गया है।
इस घोटाले का हेनान और अनहुई प्रातों के हजारों लोग शिकार बने हैं। घोटाले में चार बैंक शामिल हुए, जिन्होंने अधिक ब्याज देने का लालच देकर लोगों से रकम जमा करवाई। लोगों ने इन बैंकों में हजारों की रकम जमा की। घोटाले का खुलासा होने के बाद जब शिकार हुए हजारों लोगों ने सड़कों पर प्रदर्शन जारी रखा, तो उसके बाद चीन सरकार की नींद टूटी है। चाइना बैंकिंग एंड इंश्योरेंस रेगुलेटरी कमीशन (सीबीआईआरसी) ने इस मामले में दो बयान जारी किए हैं। नुकसान उठाने वाले लोगों को मुआवजा देने का एलान किया गया है। लेकिन पीड़ित लोग उससे संतुष्ट नहीं हैं।
हांग उपनाम वाली एक महिला ने हांगकांग से प्रकाशित अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से कहा- ‘सरकारी घोषणा से समस्या हल नहीं हुई है। हमें पूरा पैकेज दिया जाना चाहिए। अगर हेनन प्रांत की सरकार के पास पैसा नहीं है, तो केंद्र सरकार को ऐसा करना चाहिए। ऐसा नहीं हुआ तो जमाकर्ताओं को क्षति होगी।’ घोटाले के कारण हांग की आठ लाख 60 हजार युवान (एक लाख 28 डॉलर) की रकम डूब गई है।
झेंगझाउ में रहने वाले वांग उपनाम वाले एक अन्य जमाकर्ता ने मंगलवार को इसी अखबार को बताया कि सरकारी अधिकारियों ने ज्यादातर जमाकर्ताओं को वापस उनके घर भेज दिया है। भीड़ में कुछ लोगों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद अधिकारियों ने ये कदम उठाया। कुछ लोगों को वहां की पुलिस ने हिरासत में भी लिया। वांग की तीन लाख युवान की रकम डूब गई है।
सामने आए ब्योरे के मताबिक चारों बैंकों ने थर्ड पार्टी एजेंसी के जरिए लोगों से संपर्क किया। उन्हें 4.1 से 4.5 फीसदी तक की ब्याज देने का वादा किया गया। जबकि चीन में सरकारी ब्याज दर 2.75 फीसदी ही है। ये स्कीम पांच साल से चल रही थी। इस दौरान अक्सर लोगों ने अपने पैसे निकाले। लेकिन हाल में बैंकों के सिस्टम नॉन-रेस्पॉन्सिव (निष्क्रिय) हो गए। तब जाकर जमाकर्ताओं के कान खड़े हुए।
लंदन स्थित आर्थिक अनुमान लगाने वाली कंपनी एनोडो इकॉनमिक्स के मुताबिक चीन के पास बैंकिंग व्यवस्था संचालन के शक्तिशाली हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर हैं। इसलिए फिलहाल वह फिलहाल ग्रामीण बैंकों के संचालन को नियंत्रित कर लेगा। लेकिन बैंकिंग व्यवस्था जिस तरह से काम कर रही है, उससे लंबी अवधि में गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
जिंयाग्सु प्रांत में रहने वाले झांग सरनेम वाले एक व्यक्ति ने 4.5 फीसदी ब्याज पाने की आस में दिसंबर 2020 में घोटालेबाज बैंकों की योजना में 50 हजार युवान का निवेश किया था। उन्होंने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से कहा- ‘ब्याज तो दूर की बात है, अब अगर सरकार मेरे 50 हजार युवान भी दे दे, तो मुझे लगेगा कि मुझ पर अहसान किया गया है।’ शी नाम की एक महिला की घोटाले में छह लाख 65 हजार युवान लुट गई है। उन्होंने कहा- जरूरत पूरी जांच की है, ताकि बैंकिंग में पारदर्शिता बढ़ सके।