- मुख्यमंत्री के अब तक चले आ रहे भेंट मुलाकात कार्यक्रम की सादगी में दिखी चांदी की चमक।
- क्या चांदी का मुकुट पहनाकर विधायक ने तय की अपनी विधानसभा की टिकट?
- प्रायोजित दिखा मनेंद्रगढ़ढ़ विधानसभा का मुख्यमंत्री कार्यक्रम,कहीं सादगी नजर नहीं आई।
- क्या चांदी का मुकुट सोने के निवाले के लिए या किला छोड़ आए जिला ले आए का प्रभाव तो नहीं?
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 01 जुलाई 2022(घटती-घटना)।प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का अविभाजित कोरिया जिला सह नवनिर्मित मनेंद्रगढ़ जिला के भेंट मुलाकात के कार्यक्रम की तस्वीर, जहां विधानसभा क्रमांक 2 के विधायक विनय जयसवाल जी ने मुख्यमंत्री को चांदी का मुकुट पहनाकर स्वागत किया। पूरे प्रदेश में चल रहे भेंट मुलाकात के कार्यक्रम के अंतिम चरण में मुख्यमंत्री जी का दौरा कोरिया जिला में चल रहा है। जहां पूरे प्रदेश में यह दौरा सादगी पूर्ण संपन्न हुआ, वहीं विधानसभा मनेंद्रगढ़ प्रवास के दौरान भेंट मुलाकात कार्यक्रम के सादगी में चांदी की चमक दिखाई दी। चांदी के मुकुट भेंट के बाद सोशल मीडिया में और आम लोगों के बीच चर्चाओं का दौर जारी है। जहां लोग यह कहने से नहीं चूक रहे की यह सब रेत के खेल का प्रभाव है, वहीं मनेंद्रगढ़ विधानसभा के सीमावर्ती राज्य मध्य प्रदेश के अवैध शराब का भी प्रभाव है।
चुंकि छत्तीसगढ़ विधानसभा का कार्यकाल जहां अब अवसान की ओर है, चांदी के मुकुट पहनाने की इस घटना को लोग आगामी विधानसभा में टिकट के आश्वशतीकरण को लेकर भी जोड़ रहे हैं। वहीं यह भी कयास लगाया जा रहा है की भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान यह विशिष्ट भेंट कोरिया जिला से पृथक कर मनेंद्रगढ़ जिला बनाए जाने को लेकर भी है। जिसे एक तरह से शक्ति प्रदर्शन की कवायद भी कही जा सकती है, क्योंकि जिला भले ही अलग हो गया हो परंतु अभी भी जिला मुख्यालय के लिए विवाद अपने चरमोत्कर्ष पर है।
भेंट मुलाकात का पूरा कार्यक्रम इवेंट जैसा प्रायोजन लगा
मुख्यमंत्री आदरणीय भूपेश बघेल जी की दूरदर्शिता के कारण पूरे प्रदेश में आम जनता हेतु भेंट मुलाकात का आयोजित किया जा रहा। परंतु वही मनेंद्रगढ़ विधानसभा में यह कार्यक्रम पूरी तरह से सत्ता के जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के द्वारा प्रायोजित दिखा। एक तरफ जहां लोग अपनी समस्याओं और शिकायतों को लेकर भेंट मुलाकात कार्यक्रम में अपनी शिकायत दर्ज कराना चाह रहे थे। वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के द्वारा यह सुनिश्चित किया जा रहा था कि मुख्यमंत्री महोदय के समक्ष किसी भी प्रकार की कोई शिकायत पहुंचने ना पाए। सादगी से विलग पूरा कार्यक्रम प्रायोजित नजर आया, जहां मुख्यमंत्री महोदय को केवल वही चीजें परिलक्षित की गई जो विगत साढ़े 3 वर्ष के कार्यकाल में उपलब्धियां कहीं जा सकती हैं। परंतु पीडि़त और शिकायतकर्ता पूरे कार्यक्रम के दौरान मुंह ताकते रह गए। इन्हें कार्यक्रम स्थल तक पहुंचे नहीं दिया गया, अपितु कार्यक्रम के दौरान बोलने का मौका भी उन्हीं को मिला जिन्हें प्रशिक्षित किया गया था। इन सब कारणों की वजह से सुशासन का यह दावा जरा खोखला नजर आया।